TV मीडिया पर होती है सबसे ज्यादा हेट स्पीच, मीडिया के गिरते स्तर पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी धर्म हिंसा का प्रचार नहीं करता है, हमारा देश किधर जा रहा है? सरकार चुप क्यों है?

Updated: Sep 21, 2022, 04:16 PM IST

नई दिल्ली। हेट के मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देश में गिरते मीडिया के स्तर को लेकर भी चिंता जताई है। सर्वोच्च अदालत ने बुधवार को कहा कि सबसे ज्यादा हेट स्पीच मीडिया और सोशल मीडिया पर होती है। कोर्ट ने कहा है क‍ि हमारा देश किधर जा रहा है? टीवी एंकरों की बड़ी जिम्मेदारीबीबीबीबीबी है लेक‍िन टीवी एंकर गेस्ट को टाइम तक नहीं देते हैं। ऐसे माहौल में सरकार चुप क्यों है?

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि एक सख्त नियामक तंत्र स्थापित करने की जरूरत है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अब 23 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट मामले में अगली सुनवाई करेगा। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि, 'टीवी चैनल एक मंच के रूप में काम कर रहे हैं. सबसे ज्यादा नफरत भरे भाषण टीवी, सोशल मीडिया पर हो रहे हैं। दुर्भाग्य से हमारे पास टीवी के संबंध में कोई नियामक तंत्र नहीं है। इंग्लैंड में एक टीवी चैनल पर भारी जुर्माना लगाया गया था। दुर्भाग्य से वह प्रणाली भारत में नहीं है।'

अदालत ने आगे कहा कि, 'एंकरों को यह बताना चाहिए कि अगर आप गलत करते हैं तो परिणाम भुगतने होंगे। जब आप टीवी चालू करते हैं तो हमें यही मिलता है। हम इससे जुड़ जाते हैं। हर कोई इस गणतंत्र का है। यह राजनेता हैं जो लाभ उठा रहे हैं। लोकतंत्र के स्तंभ स्वतंत्र माने जाते हैं।'

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा क‍ि जब धर्म संसद होने जा रही थी तो आपने क्या कार्रवाई की? क्या आपने इसे रोका? इस पर उतराखंड सरकार ने कहा क‍ि हमने धारा 144 लगाई और 4 लोगों को गिरफ्तार किया। वहीं राज्य सरकार कार्रवाई कर रही है।

जस्टिस जोसेफ ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा क‍ि मुझे नहीं लगता कि कोई भी धर्म हिंसा का प्रचार करता है। कोर्ट ने कहा क‍ि इन मामलों में सजा ऐसी होनी चाहिए कि वह एक मॉडल बन जाए। कोशिश करनी चाहिए कि विशाखा गाइडलाइन की तरह सीमाओं के भीतर हम जो कर सकते हैं वह करें। कोर्ट ने कहा क‍ि असली समस्या संस्थाएं हैं। धर्म क्या है यह मत देखिए?