MP Govt Jobs: यही मांग कश्मीर करे तो कहते हैं राष्ट्रदोही

BJP Politics: बीजेपी शासित प्रदेशों में स्थानीय युवाओं के लिए नौकरियां आरक्षित करने पर तीखी प्रतिक्रिया, कश्मीरी नेताओं ने बताया बीजेपी का दोहरा मापदंड

Updated: Aug 20, 2020, 12:30 AM IST

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश शासन ने राज्य की सभी शासकीय नौकरियों को राज्य के युवाओं के लिए आरक्षित करने का फैसला लिया है। शिवराज सरकार के इस निर्णय का विपक्षी पार्टियां जमकर विरोध कर रही हैं। सबसे ज़्यादा विरोध जम्मू कश्मीर के नेता कर रहे हैं। सीपीआईएम की जम्मू कश्मीर इकाई के सचिव एमवाई तारिगामी का कहना है कि अगर यही मांग जम्मू कश्मीर करे तो यह राष्ट्रद्रोह की श्रेणी में आ जाता है। 

मध्य प्रदेश सरकार के फैसले का ऐलान होने के बाद तारिगामी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी शासित प्रदेशों में स्थानीय युवाओं के लिए नौकरियां आरक्षित करना राष्ट्रवाद है लेकिन यही मांग अगर जम्मू कश्मीर के लोग करें तो उन्हें राष्ट्रदोही की संज्ञा दी जाती है। तारिगामी ने कहा कि बीजेपी का यह दोहरा मापदंड और बीजेपी के दोहरेपन को उजागर करता है तथा जम्मू कश्मीर जैसे सीमावर्ती राज्य को संभालने की असंवेदनशीलता को दर्शाता है। 

तारिगामी के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिज़ा मुफ्ती ने भी मध्यप्रदेश सरकार के इस फैसले की आलोचना की है। अब्दुल्ला ने शिवराज सरकार के फैसले पर तंज कसते हुए कहा कि ' कश्मीर और लद्दाख में नौकरियां सबके लिए है लेकिन मध्य प्रदेश में नौकरियां ‘केवल’ राज्य के लोगों के लिए है।' इसके साथ ही अब्दुल्ला ने कहा कि ' यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है।'

कश्मीर मुस्लिम बहुल है इसलिए छीन लिया दर्जा 

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिज़ा मुफ्ती के कहा कि मध्य प्रदेश और नगालैंड जैसे राज्य सिर्फ अर्ध स्वायत्तता दर्ज की ओर अग्रसर हैं। इल्तिज़ा ने कहा कि जम्मू कश्मीर से संवैधानिक तौर पर मिले इन अधिकारों को सिर्फ आधार पर छीन लिया गया क्योंकि यह मुस्लिम बहुल है।' 

 

 

जिन्ना की थ्योरी सही साबित हो रही है

इस समय इल्तिज़ा ही काफी समय से अपनी मां महबूबा मुफ्ती का ट्विटर हैंडल चला रही हैं। इल्तिज़ा ने लिखा है कि बीजेपी के राज में अल्पसंख्यकों की कोई जगह नहीं है।इल्तिज़ा ने कहा कि बीजेपी भारत में जिन्ना की टू नेशन थ्योरी को सही साबित कर रही है।

ज्ञात हो कि यह सभी नेता जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने और मध्य प्रदेश में केवल राज्य के ही युवाओं को शासकीय नौकरी प्रदान करने के निर्णय का विरोध कर रहे हैं। नेताओं का कहना है कि एक तरफ जहां जम्मू कश्मीर के युवाओं का विशेषाधिकार छीन लिया गया, तो वहीं मध्य प्रदेश में बिना किसी विशेष दर्जा होने के बावजूद विशेष प्रावधान किए जा रहे हैं।