आवारा कुत्तों को खाना खिलाने पर 8 लाख का फाइन, सोसाइटी ने महिला पर लगाया गंदगी फैलाने का आरोप

नवी मुंबई की महिला पर जुलाई से रोजाना 5 हजार रुपए के हिसाब से लगाया जुर्माना, लीगल एक्सपर्ट्स ने जानवरों को खाना खिलाने पर जुर्माना लगाने को कहा गैरकानूनी

Updated: Dec 17, 2021, 01:35 PM IST

Photo Courtesy: Bhaskar
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होम करते हाथ जले, यह कहावत मुंबई की एक महिला पर सटीक बैठ रही है, जिस पर उसकी हाउसिंग सोसाइटी ने 8 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। यह फाइन आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के लिए लगाया गया है। अंशु सिंह का आरोप है कि उनपर कैंपस में स्ट्रीट डॉग्स को खाना खिलाने पर रोजाना 5,000 रुपये की दर से फाइन जोड़ा गया है। अंशु सिंह पर आरोप है कि उन्होंने हाउसिंग सोसाइटी में जुलाई से अब तक रोजाना आवारा कुत्तों को खाना खिलाया है। अब यह रकम करीब 8 लाख रुपए से ज्यादा हो गई है। अंशू का कहना है कि उन्होंने केवल बेजुबानों जानवरों को खाना खिलाया था, लेकिन सोसाइटी ने उन पर गंदगी फैलाने का आरोप लगाया है, और 8 लाख से ज्यादा का जुर्माना ठोंका है।

इस हाउसिंग सोसाइटी के चौकीदार रहवासियों पर नजर रखते हैं, जो कुत्तों को खाना खिलाते हैं। वे उनका नाम नोट करके मैनेजिंग कमेटी को भेज देते हैं जिसके बाद जुर्माने की कार्रवाई की जाती है। अंशु सिंह नवी मुंबई के सी-वुड एस्टेट के NRI कॉम्प्लेक्स में रहती हैं। यहां इस कैंपस में 40 से ज्यादा अपार्टमेंट हैं। यह पहला मौका नहीं है जब इस सोसाइटी के किसी मेंबर एक पर जुर्माना लगा है। इससे पहले यहां के एक और रहवासी पर 6 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा चुका है। इस हाउसिंग सोसाइटी के सचिव की मानें तो ये आवारा कुत्ते सोसाइटी के बच्चों के पीछे भागते हैं। जिसकी वजह से हादसे की आशंका बनी रहती है। अक्सर बुजुर्ग को भी इन कुत्तों की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ता है।

 उनका कहना है कि उन्होंने आवारा कुत्तों के लिए एक बाड़ा बनाया है, लेकिन सोसाइटी के कई मेंबर्स इन जानवरों को खुले स्थान में ही खाना खिलाते नजर आते हैं। यही वजह है कि जुर्माना रखा गया है। उनका दावा है कि अंशु सिंह पर कार्रवाई सोसाइटी के नियमों के अनुसार की गई है। लोगों को यहां के नियम कायदों का पालन करना चाहिए। इस सोसाइटी की शिकायत डॉग लवर्स संस्था की ओर से एनिमल वेलफेयर बोर्ड से कर दी गई है। वकील का कहना है कि जानवरों को खाना खिलाने पर जुर्माना लगाना गैरकानूनी हैं। वहीं एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया के नियमानुसार किसी इलाके के जानवरों को दूसरी जगह शिफ्ट नहीं किया जा सकता है।