Jammu Kashmir: डीडीसी चुनाव में विपक्षी उम्मीदवारों को प्रचार की छूट नहीं, विपक्ष का बेहद संगीन आरोप

विपक्ष का आरोप है कि ग़ैर बीजेपी उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर चुनाव क्षेत्र में जाने से रोका जा रहा है, जबकि बीजेपी उम्मीदवारों को प्रचार के लिए सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है

Updated: Nov 19, 2020, 06:47 PM IST

Photo Courtesy: The Wire
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श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनाव से महज नौ दिन पहले विपक्ष ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। विपक्ष का आरोप है कि उसके उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर कैद में रखकर चुनाव प्रचार करने से रोका जा रहा है। विपक्ष का कहना है कि उसके उम्मीदवारों को नामांकन के फौरन बाद सुरक्षित ठिकानों पर ले जाने के नाम पर जबरन कहीं ले जाकर बंद कर दिया जा रहा है। ऐसे में वे अपने इलाके में चुनाव प्रचार ही नहीं कर पा रहे।

पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया है कि डीडीसी का चुनाव लड़ने वाले गैर-बीजेपी उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर बंद करके चुनाव प्रचार करने से रोका जा रहा है। लेकिन बीजेपी और उसके इशारे पर चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के लिए प्रचार के लिए पूरा बंदोबस्त किया जा रहा है। महबूबा ने ट्विटर के जरिए सवाल उठाया है कि क्या यही वो लोकतंत्र है, जिसे बढ़ावा देने का दावा कल अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति के साथ फोन पर हुई बातचीत के दौरान भारत सरकार कर रही थी? महबूबा मुफ्ती ने इन आरोपों के समर्थन में एक उम्मीदवार के बयान को ट्विटर पर शेयर भी किया है।

अंग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट भी यही बता रही है कि क्लस्टर एकोमोडेशन कही जा रही इन कथित सुरक्षित जगहों पर विपक्षी उम्मीदवारों की हालत एक नज़रबंद कैदी जैसी हो जाती है। रिपोर्ट के मुताबिक इन जगहों पर रखे गए उम्मीदवारों को अपनी मर्ज़ी से कहीं आने-जाने की इजाजत नहीं होती। कई बार तो ये सुरक्षित जगहें उम्मीदवारों के चुनाव क्षेत्र से 50-60 किलोमीटर दूर होती हैं, जहां वे अपने इलाके से पूरी तरह कट जाते हैं। अगर कभी उन्हें प्रचार से लिए जाने की इजाजत मिलती भी है, तो उन्हें दोपहर 12-1 बजे निकलकर शाम 4 बजे तक वापस लौट आने को कहा जाता है। इसमें ज़्यादातर वक्त आने जाने में ही लग जाता है।

पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इंडियन एक्सप्रेस की खबर को ट्विटर पर शेयर करते हुए कहा है कि प्रशासन दावा तो कर रहा है कि सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों को सुरक्षित ठिकानों पर रखा जा रहा है, जो इसके लिए तैयार हैं, लेकिन हकीकत इससे बिलकुल अलग है। तमाम गैर-बीजेपी उम्मीदवारों को उनकी मर्ज़ी के खिलाफ इन कथित सुरक्षित ठिकानों पर लॉक करके रखा जा रहा है। 

उमर अब्दुल्ला ने ये आरोप भी लगाया है कि जम्मू-कश्मीर का प्रशासन बीजेपी की मदद करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। बीजेपी के विरोधी उम्मीदवारों को सुरक्षा के नाम पर बंद किया जा रहा है। उनका सवाल है कि अगर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा की स्थिति इतनी खराब है तो चुनावों का एलान करने की ज़रूरत ही क्या थी?

अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक क्लस्टर एकोमोडेशन में रखे गए उम्मीदवारों की शिकायत है कि वहां कई उम्मीदवारों को एक साथ रखा जाता है कि और उन्हें बाहर भी एक ही गाड़ी में ले जाया जाता है। जिससे अलग-अलग चुनाव क्षेत्रों में उन्हें पहुंचाने और फिर वहां से वापस लौटते समय उन्हें बारी-बारी से पिक करने में और भी ज्यादा वक्त निकल जाता है। विपक्ष का कहना है कि इन हालात में वे चुनाव प्रचार बिलकुल ही नहीं कर पा रहे हैं। 

विपक्ष का आरोप है कि जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार ने ये कौन सा लोकतंत्र का मॉडल खड़ा किया है, जिसमें उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार करने की भी छूट नहीं है। उसका आरोप ये भी है कि बीजेपी के उम्मीदवारों को इस तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ता, क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन सरकार के इशारे पर उन्हें चुनाव प्रचार के लिए हर तरह की सुरक्षा और सहूलियत मुहैया कराता है। 

विपक्ष का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार यह किस तरह का चुनाव करवा रही है, जिसमें प्रत्याशियों को चुनाव प्रचार करने से रोका जा रह है। आपको बता दें, जम्मू कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद आठ चरणों में पंचायत और नगर निकायों के उपचुनावों के साथ ही पहली बार डीडीसी चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण का मतदान 28 नवंबर को होगा और 22 अक्टूबर को अंतिम चरण का मतदान होगा। प्रत्येक डीडीसी में 14 निर्वाचन क्षेत्र हैं और पूरे प्रदेश में 20 जिलों में डीडीसी का गठन होना है।

दलीय आधार पर हो रहे इन चुनावों में सभी प्रमुख  विपक्षी दलों ने साथ मिलकर बीजेपी के खिलाफ उम्मीदवार खड़े करने का एलान किया है। विपक्षी दलों के इसी गठबंधन को गृह मंत्री अमित शाह ने गुपकर गैंग बताते हुए आरोप लगाया है कि वे राज्य में फिर से आतंकवाद का दौर वापस लाना चाहते हैं। 

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