ओमिक्रॉन वेरिएंट कोरोना महामारी के अंत का संकेत, वैज्ञानिकों का दावा लगातार म्यूटेशन से कमजोर हो रहा वायरस

ओमिक्रॉन वेरिएंट है कोरोना की नैचुरल वैक्सीन है, साल के अंत तक खत्म कर सकती है महामारी, हेल्थ एक्सपर्टस बोले ओमिक्रॉन के लक्षण माइल्ड और सामान्य हैं, इसके मरीजों को अस्पताल में ऑक्सीजन, वेंटीलेटर और ICU की जरूरत नहीं पड़ती

Updated: Jan 04, 2022, 01:06 PM IST

Photo Courtesy: the economic times
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देश में कोरोना की तीसरी लहर के चलते मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इन संक्रमितों में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मरीज बड़ी संख्या में हैं। जिसे लेकर लोगों में डर बैठ गया है। दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ते ओमिक्रॉन के बारे में वैज्ञानिकों का दावा है कि यह डेल्टा वेरिएंट से कम खतरनाक है। अमेरिकी Yale University की रिसर्च में कहा गया है कि डेल्टा वेरिएंट की अपेक्षा ओमिक्रॉन के काफी ज्यादा म्यूटेशन हुए हैं। कई बार ज्यादा म्यूटेशन वायरस को कमजोर बनाने का काम भी कर देते हैं। वहीं कभी-कभी ये म्यूटेशन वायरस को पहले से ज्यादा घातक बना देते हैं। पिछले दो साल 2020 और 2021 में कोरोना के जितने म्यूटेशन देखने को मिले वे इंसान के लिए खतरनाक थे, लेकिन ओमिक्रॉन के साथ ऐसा नहीं है, ओमिक्रॉन अब कमजोर वायरस की तरह हो गया है। जो कि कोरोना महामारी को खत्म कर सकता है।

ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि ओमिक्रॉन संक्रमितों में किसी तरह के कॉम्प्लीकेशन देखने को नहीं मिल रहे हैं। इन मरीजों को ऑक्सीजन, ICU और वेंटीलेटर की जरूरत नहीं पड़ रही है। ओमिक्रॉन का संक्रमण हल्के लक्षण वाला होता है। इसके संक्रमितों का इलाज करने वाले डॉक्टर्स का कहना है कि इससे घबराने या डरने की जरूरत नहीं है। सामान्यतौर पर इसके मरीज 7 दिन में नेगेटिव आ जाते हैं। जबकि कोरोना के डेल्टा वेरियेंट से ठीक होने में 7 से 10 दिन लगते थे। वहीं कई कमजोर या पहले से बीमार मरीजों को इससे उबरने में काफी ज्यादा वक्त लगता था। अब तक मिले ओमिक्रोन वेरिएंट के मरीज हफ्तेभर में ठीक हो जाते हैं। करीब 92 फीसदी ओमिक्रॉन संक्रमित मरीजों का RTPCR टेस्ट 7 दिन में नेगेटिव आ जाता है। वहीं 5 फीसदी को नेगेटिव होने में आठ दिन और केवल 3 प्रतिशत मरीजों को 9 दिन निगेटिव आने में लगते है। इस बारे में दिल्ली के LNJP अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि जो मरीज डायबिटीज, हाइपरटेंशन या टीबी जैसी किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, उन मरीजों को ओमिक्रोन से उबरने में थोड़ा वक्त लग रहा है। इससे संक्रमित मरीजों में कोई ज्यादा लक्षण नहीं दिखते, कुछ लोगों को हल्का बुखार, कमजोरी, मतली और भूख नहीं लगने जैसे बिल्कुल सामान्य दिक्कतें होती हैं। इसके इलाज में रेमडेसीवर की जरूरत भी नहीं पड़ रही है।

वहीं ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित बच्चों में पेट दर्द और डायरिया के लक्षण देखने को मिले हैं। राहत की बात है कि मरीजों में सांस लेने में किसी तरह की परेशानी नहीं देखी गई। दिल्ली के लोकनायक अस्पताल में ओमिक्रॉन संक्रमित 105 मरीजों का इलाज किया गया। जिसमें से किसी को ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत नहीं पड़ी थी। जो मरीज डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित थे केवल उन्हें ही ऑक्सीजन और वेंटिलर की जरूरत पड़ी है।

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दावा किया जा रहा है कि ओमिक्रॉन संक्रमितों के अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम डेल्टा वेरिएंट की तुलना में 50 से 70 फीसदी कम है। जो मरीज ओमिक्रॉन से रिकवर हो चुके हैं, उनमें उच्च स्तर की एंटीबॉडी पाई गई हैं। एंटीबॉडी को शरीर का वो सुरक्षा कवच कहा जाता है। जो किसी भी तरह के वायरस और दूसरी बीमारियों से लड़कर शरीर की रक्षा करता है।

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अमेरिकी यूनिवर्सिटी की स्टडी में कहा गया है कि ओमिक्रॉन संक्रमितों के शरीर में बनी एंटीबॉडी इतनी ताकतवर हैं जिसे किसी भी वैक्सीन से विकसित नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि माना जा रहा है कि अब कोरोना वायरस का अंत निश्चित है। भारत में ओमिक्रॉन मरीजों की संख्या करीब 2 हजार पहुंच गई है। यह अन्य वेरिएंट की अपेक्षा तेजी से फैलता है।