जब तक भाजपा की विदाई नहीं, तब तक कोई ढिलाई नहीं, ओपी राजभर ने दिया नया चुनावी नारा

जाट नेताओं से गृहमंत्री अमित शाह की मुलाकात पर ओपी राजभर ने साधा निशाना, बोले- जब 12 महीने किसान धरने पर बैठे थे तब अमित शाह ने किसी को मिलने क्यों नहीं बुलाया

Updated: Jan 27, 2022, 08:06 AM IST

लखनऊ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश चुनाव में जाट समुदाय की भूमिका निर्णायक मानी जाती है। पिछले विधानसभा चुनाव में जाट वोटों को साधकर ही बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब रही थी। हालांकि, इस बार किसान आंदोलन समेत अन्य कई वजहों से जाट समुदाय के नेता भाजपा से नाराज हैं। जाटों की नाराजगी दूर करने के लिए अब अमित शाह मैदान में आ गए हैं। 

बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने अपने आवास पर मीटिंग का आयोजन किया था। जिसमें करीब 200 से अधिक जाट समुदाय के नेताओं को बुलाया गया था। इस मीटिंग को लेकर प्रदेश की सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू है। अमित शाह की इस बैठक पर विपरीत नेता ओपी राजभर ने निशाना साधा है। राजभर ने कहा है कि 12 महीने तक जाट समुदाय के किसान जब गाजीपुर बॉर्डर पर बैठे थे तब अमित शाह ने उन्हें मिलने के लिए क्यों नहीं बुलाया?

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राजभर ने इस बैठक पर तंज कसते हुए कहा है कि प्रदेश में एक नारा खुब चल रही है 'जब तक भाजपा की विदाई नहीं, तब तक कोई ढिलाई नहीं'। एक निजी न्यूज़ चैनल से बातचीत के दौरान ओपी राजभर ने कहा कि, 'बीजेपी को अब हार का डर सताने लगा है, इसलिए अमित शाह को घर-घर जाकर पर्चा बांटना पड़ रहा है। जाट नहीं, बल्कि सभी किसान नाराज हैं और किसानों की कोई जाति नहीं होती। अमित शाह ने जिन लोगों से मुलाक़ात की, वे लोग किसान आंदोलन में शामिल नहीं थे।'

राजभर ने आगे कहा कि, 'यूपी में किसानों को जीप चढ़ाकर मार दिया गया लेकिन जीप गृह राज्यमंत्री के नाम पर थी इसलिए अभी तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जीप किसी और की होती तो मालिक अब तक जेल में होता। ये चाहे दिल्ली बुलाएं या मुंबई बुलाकर समझाएं।' बता दें कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान अमित शाह ने जाट समुदाय के नेताओं के साथ ऐसी ही एक बैठक की थी। 

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साल 2017 में बीजेपी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश 143 में से 108 सीटें अपने नाम कर ली थीं। इसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी को जाटों का समर्थन मिला और पार्टी29 में से 21 सीटों पर बीजेपी ने कब्जा जमाया। हालांकि, इस बार समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के बीच गठबंधन के बाद समीकरण बदल गए हैं। नतीजतन जाट वोटों को साधने के लिए पश्चिमी यूपी की कमान अमित शाह ने स्वयं संभाल ली है।