मुफ्त राशन और पैसे मिलने के कारण लोग काम नहीं कर रहे, रेवड़ी कल्चर पर सुप्रीम की तल्ख टिप्पणी
जस्टिस गवई ने कहा कि दुर्भाग्यवश, इन मुफ्त योजनाओं के कारण लोग काम करने के इच्छुक नहीं हैं। उन्हें बिना काम किए मुफ्त राशन और धनराशि मिल रही है।

नई दिल्ली। देश में बढ़ रहे रेवड़ी कल्चर पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से तल्ख टिप्पणी की है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि मुफ्त राशन और पैसे मिलने के कारण लोग काम नहीं कर रहे हैं। न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा कि वह लोगों को मुख्यधारा का हिस्सा बनाए।
दरअसल, जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच बुधवार शहरी क्षेत्रों में बेघर लोगों के आश्रय के अधिकार से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान जस्टिस गवई ने कहा कि लोग काम करना नहीं चाहते, क्योंकि आप उन्हें मुफ्त राशन दे रहे हैं। बिना कुछ किए उन्हें पैसे दे रहे हैं। इन मुफ्त योजनाओं के कारण लोग काम करने के इच्छुक नहीं हैं। उन्हें बिना काम किए मुफ्त राशन और धनराशि मिल रही है।
बेंच ने यह भी कहा कि सरकार को लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने और उन्हें राष्ट्र के विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित करना चाहिए। न्यायालय ने केंद्र से कहा, 'हम आपकी परेशानी समझते हैं और सराहना करते हैं, लेकिन क्या यह अच्छा नहीं होगा कि आप ऐसे लोगों को मुख्यधारा का हिस्सा बनाएं और उन्हें देश के विकास का हिस्सा बनाएं।'
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से शहरी गरीबी उन्मूलन मिशन और शहरी बेघर लोगों को आश्रय देने की योजनाओं को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल को बताया कि सरकार सुनिश्चित करें कि जो आंकड़े दिए गए हैं, वे वास्तविक स्थिति को दर्शाते हैं या नहीं। अदालत ने अटॉर्नी जनरल से यह भी जांचने को कहा है कि इस योजना को लागू करने में कितना समय लगेगा और इसके तहत कौन-कौन से पहलू शामिल होंगे।
बता दें कि यह पहली बार नहीं है जब कोर्ट ने फ्रीबीज को लेकर सख्त टिप्पणी की है। न्यायालय ने पिछले महीने सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को पेंशन से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि राज्यों के पास मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का पैसा है, लेकिन जजों की सैलरी देने के लिए नहीं है। न्यायालय ने कहा था कि राज्य सरकारों के पास उन लोगों के लिए पूरा पैसा है, जो कुछ नहीं करते, लेकिन जब जजों की सैलरी की बात आती है तो वे वित्तीय संकट का बहाना बनाते हैं।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर 2024 को केंद्र सरकार के मुफ्त राशन बांटने पर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि कब तक ऐसे मुफ्त राशन बांटा जाएगा। सरकार रोजगार के अवसर क्यों नहीं पैदा कर रही? तब कोर्ट अकुशल मजदूरों को मुफ्त राशन कार्ड दिए जाने से संबंधित मामले पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान केंद्र ने अदालत को बताया था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त या रियायती राशन दिया जा रहा है।