वाराणसी में सर्व सेवा संघ के परिसर को कब्जाने की तैयारी, रेलवे ने दिया ध्वस्तीकरण का नोटिस

वाराणसी के गांधी संस्थान पर चलेगा बुलडोजर, जमीन कब्जाने के लिए लाल बहादुर शास्त्री और विनोबा भावे पर लांछन लगाने की कोशिश, गांधीजनों में आक्रोश

Updated: Jun 27, 2023, 07:55 PM IST

वाराणसी। वाराणसी के सर्व सेवा संघ परिसर पर सत्ता की कुदृष्टि पड़ गई है। उत्तर रेलवे प्रशासन ने सर्व सेवा संघ परिसर में स्थित भवनों को ध्वस्त करने का नोटिस चस्पा कर दिया है। नोटिस में लिखा है कि उत्तर रेलवे प्रशासन 30 जून, 2023 को सुबह 9 बजे सर्व सेवा संघ परिसर में स्थित सभी ‘अवैध निर्माण’ को ध्वस्त किया जाएगा। नोटिस में सर्व सेवा संघ को अतिक्रमणकर्ता बताते हुए उनके द्वारा पिछले 60 वर्षों में किए गए सभी निर्माण को अवैध बताया है।

उत्तर रेलवे प्रशासन के इस नोटिस के बाद सर्व सेवा संघ पर ही नहीं साबरमती, वर्धा, दिल्ली और देश भर में स्थित गांधी संस्थाओं के अस्तित्व पर संकट के बादल मडराने लगे हैं। हैरानी की बात ये है कि जो जगह तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पहल पर रेलवे ने विनोबा भावे की अगुवाई वाले सर्व सेवा संघ को बाकायदा सेल डीड करके बेची थी, उसे सारे दस्तावेजों को सरकार कूटरचित यानी जाली बता रही है।

सर्व सेवा संघ ने 63 वर्ष पहले वाराणसी के राजघाट में जिस जमीन को रेलवे से खरीदा था, उसे अब रेल महकमे के अफसरों ने अवैध निर्माण घोषित कर दिया है। सेल डिड के कागजों को कूटरचित यानी फर्जी दस्तावेज करार दिया है। यानी सीधे तौर पर तत्कालीन रेल मंत्री लाल बहादुर शास्त्री और विनोबा भावे पर जालसाजी के आरोप लगाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं मामला कोर्ट में होने के बावजूद एकतरफा कार्रवाई करने जा रही है। 

बनारस के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ का परिसर ओल्ड जीटी रोड और वरुणा नदी के बीच स्थित है। इसी परिसर के एक हिस्से में गांधी विद्या संस्थान है, जिसे जबरन बंद करा दिया गया है। बीते 15 मई को पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने यहां आकर गांधी विद्या संस्थान (गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ स्टडीज) के कमरों का ताला तुड़वा दिया और उसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के हवाले कर दिया। आरएसएस से जुड़े राम बहादुर राय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के प्रमुख हैं। स्पष्ट है कि गांधी संस्थाओं पर आरएसएस कब्जा करने की कोशिश में है।

बताया जाता है कि यह परिसर 1960 या 62 में बना होगा। रेलवे ने इसी सर्व सेवा संघ को अपने तमाम रेलवे स्टेशन पर गांधी विचार के प्रचार प्रसार के लिए, सर्वोदय बुक स्टॉल आवंटित किए थे। जो आज भी कई स्टेशनों पर मौजूद हैं। अब उसी सर्व सेवा संघ को मोदी सरकार का रेल विभाग अचानक अवैध कब्जेदार घोषित कर रहा है। उत्तर रेलवे द्वारा ध्वस्तीकरण की नोटिस ने न केवल गांधीजनों बल्कि हर लोकतंत्र पसंद व्यक्ति को हैरान कर दिया है। सवाल उठ रहा है कि 1960 में रेलवे से बैनामा ली गई जमीन अचानक अवैध कैसे हो गई? 

गौरतलब है कि आचार्य विनोबा भावे की पहल पर पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के सहयोग से सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 एवं 1970 में रेलवे से खरीदा है, जिसका डिविजनल इंजीनियर उत्तर रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड हैं। 1960 में खरीद की जमीन की रकम 26,730 रुपए, 1961 में खरीद की गयी जमीन की रकम 3,240 रुपए एवं 1970 में खरीद की गयी जमीन की रकम 4,485 रुपए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, वाराणसी के क्रमश: ट्रेजरी चलान नं. 171 दि. 5 मई 1959, ट्रेजरी चलान नं. 31 दि. 27.04.1961 एवं ट्रेजरी चलान नं. 3 दि. 18.01.1968 के माध्यम से भुगतान किया गया है और यह रकम सरकार के खजाने में गई है।

पहले उत्तर रेलवे प्रशासन ने इसे कूटरचित दस्तावेज बताया और अब इसे अवैध अतिक्रमण बता रहा है। उत्तर रेलवे और बनारस जिला प्रशासन का यह कृत्य आचार्य विनोबा भावे, राधाकृष्ण बजाज, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम एवं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे व्यक्तित्वों को लांक्षित करना है। सर्व सेवा संघ गांधी विचार का राष्ट्रीय शीर्ष संगठन है। इसकी स्थापना मार्च 1948 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में सम्पन्न हुए सम्मेलन में हुआ। इस सम्मेलन में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू सहित शीर्ष राष्ट्रीय नेताओं यथा–आचार्य कृपलानी, आचार्य विनोबा भावे, मौलाना अबुल कलाम आजाद, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जेसी कुमारप्पा एवं अन्य नेता उपस्थित थे।