मौत के फ़र्ज़ी प्रमाणपत्र के जरिए 15 साल तक क़ानून को दिया धोखा, आख़िरकार एक तस्वीर ने पकड़वाया

मेरठ के रहने वाले अनिराज को उम्रक़ैद हुई थी, 2004 में वो पैरोल से फरार हो गया, 2006 में मेरठ के विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में ख़ुद को मृतक साबित करने के बाद से नाम बदलकर रह रहा था

Updated: Mar 20, 2021, 03:40 PM IST

photo courtesy: NBT
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लखनऊ। अपनी ही मौत का फर्जी प्रमाणपत्र बनवाकर आज़ाद घूम रहे सज़ायाफ्ता अनिराज को पुलिस ने सत्रह साल बाद गिरफ्तार कर लिया। अनिराज को हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। लेकिन 2004 में पैरोल पर रिहा होने के बाद वह फ़रार हो गया था। लेकिन आखिरकार बुलंदशहर की पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इतने सालों से छिपकर रह रहा अपराधी इतने बरसों बाद व्हाट्सऐप पर शेयर की गई एक तस्वीर की बदौलत पकड़ा गया। 

अनिराज मेरठ के थाना सरधना के गांव महावीरपुर का रहने वाला है। 15 जुलाई 88 को गांव के अनिल की हत्या में अनिराज समेत चार लोगों पर नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था। इसमें मेरठ न्यायालय से इन चारों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी उसकी उम्रकैद की सजा बरकरार रही। लेकिन अनिराज 2004 में पैरोल पर बाहर आने के बाद फरार हो गया। इसके बाद 2006 तक तो पुलिस उसकी तलाश करती रही। लेकिन 10 अप्रैल 2006 को मेरठ में विक्टोरिया पार्क में अग्निकांड हुआ। शार्ट सर्किट की वज़ह से पंडाल में आग लगने से हुई इस दुर्घटना में 67 लोगों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी।

अनिराज के परिजनों ने सरधना पुलिस को बताया कि अनिराज की मौत भी अग्निकांड में हो गई है। रिश्तेदारों ने उसका मृत्यु प्रमाणपत्र भी थाने पर जमा कराया। वकील के जरिए वही मृत्यु प्रमाणपत्र न्यायालय में भी पेश हुआ। जिसके बाद उसके खिलाफ केस बंद कर दिया गया। इसके बाद अनिराज ने अपना नाम और पहचान बदल लिए और बेखौफ होकर अलग-अलग जगहों पर रहता रहा। इस दौरान उसने बुलंदशहर, गुरुग्राम, नोएडा, मेरठ और रुद्रपुर में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी भी की। लेकिन पिछले साल उसने अपने रिश्तेदारों के साथ एक तस्वीर खिंचवाई जिसे उसके कुछ गांववालों ने देख लिया। उन्होंने अनिराज को पहचानकर पुलिस को खबर दी। जिसके बाद बुलंदशहर की पुलिस ने उसे उत्तराखंड के रुद्रपुर से गिरफ्तार कर लिया, जहां वो अपनी पत्नी और बच्चे के साथ सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर रह रहा था।