बेटी की याद आते ही टूट जाती है नींद, मोदी के प्रस्तावक रहे पं. छन्नूलाल मिश्र को नहीं मिला न्याय

वाराणसी से लोकसभा चुनाव के लिए पर्चा भरने के दौरान मोदी ने छन्नूलाल मिश्र को बनाया था प्रस्तावक, बाद में स्वच्छता अभियान के नवरत्नों में चुना, बनारस के अस्पताल में कुव्यवस्था ने ली बेटी की जान

Updated: May 22, 2021, 10:42 AM IST

वाराणसी। कल जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी के डॉक्टरों को संबोधित करते हुए भावुक हो गए थे तब दूसरी ओर वाराणसी में ही कमोबेश उसी समय देश के शास्त्रीय संगीत के पुरोधा पद्मविभूषण छन्नूलाल मिश्र अपनी बेटी के याद में भावुक थे। उनकी बेटी वाराणसी के निजी अस्पतालों के कुव्यवस्थाओं की बलि चढ़ गईं और अस्पताल प्रशासन का रवैया संदिग्ध है।

वर्चुअल माध्यम से डॉक्टरों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री डॉक्टरों की उनकी तुलना भगवान शिव से कर रहे थे, उस दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान छन्नूलाल मिश्र ने एक अस्पताल के डॉक्टरों पर बेहद संगीन आरोप लगाए। यहां मोदी और मिश्र के भावुक होने की तुलना इसलिए कि जा रही है क्योंकि यह वही छन्नूलाल मिश्र हैं जिन्हें वाराणसी से लोकसभा का पर्चा भरते वक़्त मोदी ने अपना प्रस्तावक बनाया था। मिश्र के प्रस्ताव से ही मोदी आगे चल कर देश के प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने उन्हें स्वच्छता अभियान के नवरत्नों में भी चुना। 

शुक्रवार को मीडिया के बातचीत के दौरान पं. छन्नूलाल मिश्र ने कहा, 'रातों में मैं ठीक से सो तक नहीं पाता हूं। बेटी की याद आते ही रात में नींद टूट जाती है। दुख इस बात की है कि सात दिनों में मेरी बेटी का निधन हो गया और उसके पहले हमें मिलने तक नहीं दिया गया। यह सब सोच-सोचकर मैं परेशान हो जाता हूं। प्रशासन हमारी मांग नहीं सुन रहा है। जांच कमेटी गठित हुए लगभग 20 दिन से ज्यादा हो गए, लेकिन अबतक कोई जानकारी नहीं है। आखिर हमें कितना दिन और इंतजार करना होगा।' मिश्र ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मदद की गुहार लगाई है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वाराणसी के जिलाधिकारी द्वारा गठित डॉक्टरों की पैनल ने अपनी जांच रिपोर्ट पेश की थी। लेकिन रिपोर्ट आधी-अधूरी होने के कारण जिलाधिकारी ने उसे लौटा दिया। पंडित मिश्र की छोटी बेटी नम्रता ने मीडिया से कहा कि, 'आखिर क्या वजह है जो हॉस्पिटल से हमें दवा इलाज का दस्तावेज और सीसीटीवी फुटेज नहीं दिया जा रहा है। इससे साफ है कि अस्पताल संचालक के मन में खोट है। मैं जानना चाहती हूं कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद अगले 6-7 दिन तक मेरी बहन के साथ क्या हुआ?'

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नम्रता ने यह भी आरोप लगाया कि अस्पताल प्रशासन द्वारा बार-बार झूठ बोला जा रहा है कि सीसीटीवी कैमरा खराब है। उन्होंने बताया, 'जब मेरी दीदी भर्ती थीं तब 24 अप्रैल को डॉ मनमोहन स्याम ने डीएम के कहने पर हमें सीसीटीवी फुटेज दिखाया था। संगीता दीदी उस समय 10 नंबर बेड पर थीं। हमारे पास उसकी फोटो भी है। जब 24 अप्रैल को सीसीटीवी चालू था तो वे झूठ क्यों बोल रहे हैं कि वह पिछले एक साल से खराब है।' 

क्या है पूरा मामला

दरअसल बीते 29 अप्रैल को पद्मविभूषण छन्नूलाल मिश्र की बड़ी बेटी संगीता की मौत वाराणसी के ही मैदागिनी इलाके में स्थित एक अस्पताल में हुई थी। बताया जा रहा है कि संगीता को उल्टी-खांसी होने के पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में भर्ती कराने के बाद हमें संगीता से मिलने तक नहीं दिया जाता था। अस्पताल से बताया गया कि उन्हें 40-40 हजार रुपए के जीवन रक्षक इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। हालांकि, यह नहीं बताया गया कि इतना महंगा इंजेक्शन कौन सा है।