नेशनल हेराल्ड केस में ED का आरोपपत्र ध्यान भटकाने की कोशिश, भोपाल में बोलीं कुमारी शैलजा
प्रवर्तन निदेशालय को जवाब देना चाहिए कि एजेंसी ने NDA के किसी सहयोगी या भाजपा नेता को क्यों नहीं छुआ। सरकार ने ED को अपना चुनाव विभाग बना लिया है और बदले की भावना से इसका बार-बार दुरुपयोग कर रही है: कुमारी शैलजा

भोपाल। नेशनल हेराल्ड केस में ईडी द्वारा सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट पेश किए जाने के खिलाफ कांग्रेस देशभर में प्रदर्शन कर रही है। गांधी परिवार पर लगे आरोपों को लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व सांसद कुमारी शैलजा ने भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने कहा कि यह भाजपा की ध्यान भटकाने कि कोशिश है।
कुमारी शैलजा ने भोपाल में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला देश के सामने मौजूद ज्वलंत मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने और देश को गुमराह करने के लिए भाजपा की साज़िश है, जो कि सरासर एक राजनीतिक प्रतिशोध है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी के खिलाफ ED द्वारा दायर आरोपपत्र कुछ और नहीं, बल्कि एक गैर-मौजूद मामले के जरिए जनता का ध्यान बेरोजगारी, गिरती GDP और सामाजिक अशांति से भटकाने, जनता को भ्रमित करने और बरगलाने के लिए गढ़ा गया एक झूठ है।
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शैलजा ने कहा कि मौजूदा आर्थिक संकट, लोगों के मुद्दों और विदेश नीति से जुड़ी चुनौतियों—अमेरिका, चीन और बांग्लादेश से ध्यान भटकाने के लिए गांधी परिवार को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कानूनी छद्मवेश में प्रतिशोध के अलावा कुछ और नहीं है। पहली बार बिना पैसे या एक मिलीमीटर संपत्ति के हस्तांतरण के मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनाया गया है। अपराध की आय कहाँ है?
कांग्रेस नेत्री ने कहा कि कानून का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है। जब पैसा ही नहीं है, तो लॉन्ड्रिंग या अपराध कहाँ है? अगर कोई कंपनी कर्ज से छुटकारा पाना चाहती है, तो वह एक नई कंपनी बनाती है और उस कर्ज को नई कंपनी में ट्रांसफर करती है—कंपनी कानून के मुताबिक यह कानूनी है। जब पैसा ही नहीं है, तो लॉन्ड्रिंग कहाँ है? अगर कोई अपराध हुआ है, तो वह दो मास्टरमाइंड ने किया है, जिन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग का झूठा प्रचार करके कानून का दुरुपयोग किया है और वे हैं पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह।
कुमारी शैलजा ने बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा, 'ED के मामलों में सजा की दर सिर्फ 1% है। इसके अलावा, ED ने जो राजनीतिक मामले दर्ज किए हैं, उनमें से 98% सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ हैं। अदालत में यह मामला पूरी तरह से विफल हो जाएगा। यह बदले की राजनीति, धमकी, उत्पीड़न और भय फैलाने की राजनीति है, जो आपराधिक मानसिकता वाले दो लोगों के इशारे पर की जा रही है। वे हमें कितना भी चुप कराने की कोशिश करें, हम चुप नहीं होंगे। जो दूसरों को डराने की कोशिश करते हैं, वे खुद डरे हुए हैं। मेक इन इंडिया विफल हो गया है, इसलिए अब वे 'फेक इन इंडिया' की कोशिश कर रहे हैं। अपनी घोर विफलताओं को छिपाने के लिए ही यह झूठी कहानी फैलाई जा रही है। यह एक राजनीतिक साजिश है और कांग्रेस पार्टी इसका डटकर सामना करेगी।'
कुमारी शैलजा ने नेशनल हेराल्ड मामले के तथ्यों को स्पष्ट करते हुए कहा कि 1937 में, पंडित जवाहरलाल नेहरू ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से लड़ने के लिए एक उपकरण के रूप में नेशनल हेराल्ड अखबार शुरू किया। इस अखबार के पीछे दूरदर्शी महात्मा गांधी, सरदार पटेल, श्री पुरुषोत्तम दास टंडन, आचार्य नरेंद्र देव और श्री रफी अहमद किदवई थे। अंग्रेजों को इस अखबार से इतना खतरा महसूस हुआ कि उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान नेशनल हेराल्ड पर प्रतिबंध लगा दिया और यह प्रतिबंध 1945 तक चला। अखबार का प्रबंधन करने के लिए, 1937-38 में एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) का गठन किया गया था। ऐसी कंपनी लाभांश वितरित नहीं कर सकती, वेतन नहीं दे सकती या शेयरधारकों के लिए लाभ नहीं कमा सकती।
उन्होंने बताया कि इसके शेयर व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बेचे जा सकते और अगर हस्तांतरित किए जाते हैं, तो उन्हें केवल किसी अन्य गैर-लाभकारी कंपनी को ही जाना चाहिए। AJL अपनी स्थापना के बाद से लगातार अस्तित्व में है। AJL के पास छह शहरों—दिल्ली, पंचकूला, मुंबई, लखनऊ, पटना और इंदौर में अचल संपत्तियां हैं, लेकिन केवल लखनऊ में ही इसकी स्वामित्व वाली संपत्ति है। अन्य सभी संपत्तियां केवल समाचार पत्र के संचालन के लिए AJL को लीज पर दी गई थीं। यह आरोप कि AJL के पास हजारों करोड़ रुपये की अचल संपत्ति है, निराधार है, क्योंकि लीज पर दी गई संपत्तियां स्वामित्व वाली संपत्ति नहीं होती हैं। भारी वित्तीय घाटे के कारण, AJL और नेशनल हेराल्ड कर्मचारियों के वेतन, VRS बकाया, कर और अन्य देनदारियों का भुगतान नहीं कर सके।
शैलजा ने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने नेशनल हेराल्ड को केवल एक समाचार पत्र नहीं, बल्कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और कांग्रेस विचारधारा का जीवंत प्रतीक मानते हुए संस्था की रक्षा के लिए 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया। कानूनी सलाह पर, कांग्रेस ने यंग इंडियन लिमिटेड नामक एक अन्य गैर-लाभकारी कंपनी (कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत धारा 25 कंपनी) बनाई, जिसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, स्वर्गीय मोतीलाल वोरा, स्वर्गीय ऑस्कर फर्नांडिस और सुमन दुबे निदेशक हैं। कंपनी ने कांग्रेस पार्टी को 50 लाख रुपये देकर AJL से 90 करोड़ रुपये का लोन लिया। बदले में AJL ने अपने शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिए।
शैलजा ने कहा कि कंपनी अधिनियम की धारा 25 के अनुसार कोई भी निदेशक वित्तीय लाभ नहीं उठा सकता—न वेतन, न लाभांश, न लाभ। 2013 में सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में केस दायर किया, जिसे उन्होंने 2020 तक जारी रखा। हालांकि, जब उन्होंने मोदी और शाह की आलोचना शुरू की, तो सरकार असुरक्षित महसूस करते हुए अपना केस शुरू कर दिया। इससे पहले, 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी की चुनाव आयोग में की गई शिकायत खारिज कर दी गई थी। चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29 (बी) और 29 (सी) के तहत, इस बात पर कोई प्रतिबंध नहीं है कि कोई राजनीतिक दल अपने फंड का इस्तेमाल कैसे कर सकता है।
शैलजा के मुताबिक कांग्रेस ने आधिकारिक फाइलिंग में लोन की घोषणा की थी और लेन-देन को सार्वजनिक किया था। सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत, जिसे 2012 में चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था, बाद में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा लगभग तीन वर्षों तक जांच की गई। अगस्त 2015 में, ED ने कोई गड़बड़ी नहीं पाई और फाइल बंद कर दी। मोदी सरकार ने तत्कालीन ED निदेशक श्री राजन कटोच को हटा दिया और सितंबर 2015 में मामले को फिर से खोल दिया, जो राजनीतिक प्रतिशोध का एक स्पष्ट उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि 2023 में, प्रवर्तन निदेशालय ने एक अनंतिम कुर्की आदेश जारी किया, जिसकी पुष्टि 10 अप्रैल 2024 को एक न्यायाधिकरण ने की। तब ED के पास चार्जशीट दाखिल करने के लिए 365 दिन थे। 365वें और अंतिम दिन, 9 अप्रैल 2025 को, ED ने चार्जशीट दाखिल की, जिसे अब सार्वजनिक कर दिया गया है। अगर कोई सबूत या वास्तविक गड़बड़ी होती, तो सरकार को आखिरी दिन तक इंतजार नहीं करना पड़ता। यह देरी मोदी सरकार की हताशा और नैतिक-राजनीतिक दिवालियापन दोनों को दर्शाती है।
कुमारी शैलजा ने बीजेपी सरकार के दोहरे मापदंड पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कर्ज माफ करना अपराध माना जाता है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। सरकार ने उद्योगपतियों के 16 लाख करोड़ रुपये के कर्ज माफ कर दिए हैं और उनकी संपत्तियां भारी छूट पर बेची गई हैं। क्या ED को पीएम मोदी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करनी चाहिए? भारत सरकार ने वोडाफोन के 36,000 करोड़ रुपये माफ कर दिए और उसका स्वामित्व भी अपने हाथ में ले लिया, जो अब 22.6% से बढ़कर 48.99% हो गया है। क्या पीएम मोदी के खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए? अगर इतने बड़े कॉरपोरेट कर्ज माफ किए जा सकते हैं, तो स्वतंत्रता संग्राम से निकले अखबार नेशनल हेराल्ड को दिए गए कर्ज का निपटारा क्यों नहीं किया जा सकता?