वाराणसी के अस्पतालों में लूट, पीएम मोदी के प्रस्तावक पद्मविभूषण छन्नूलाल मिश्र के परिवार ने सुनाई आपबीती

वाराणसी से लोकसभा चुनाव के लिए पर्चा भरने के दौरान मोदी ने छन्नूलाल मिश्र को बनाया था प्रस्तावक, बाद में स्वच्छता अभियान के नवरत्नों में चुना, बनारस के अस्पताल में कुव्यवस्था ने ली परिजनों की जान

Updated: May 04, 2021, 01:12 PM IST

वाराणसी। कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के निजी अस्पतालों में लापरवाही और लूट की रूह कंपाने वाली खबर सामने आई है। देश के शास्त्रीय संगीत के पुरोधा पद्मविभूषण छन्नूलाल मिश्र की बेटी निजी अस्पतालों के कुव्यवस्थाओं की बलि चढ़ गईं। छन्नूलाल मिश्र के परिजनों की आपबीती सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।

दरअसल, बीते 26 अप्रैल को छन्नूलाल मिश्र की पत्नी मनोरमा मिश्र (76) की मौत वाराणसी के गुरुधाम इलाके में स्थित एक निजी अस्पताल में कोरोना से हो गई। इसके बाद 29 अप्रैल को उनकी बड़ी बेटी संगीता की मौत वाराणसी के ही मैदागिनी इलाके में स्थित दूसरे अस्पताल में हो गई। बताया जा रहा है कि संगीता को उल्टी-खांसी होने के पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।

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जानकारी के मुताबिक संगीता को अस्पताल में भर्ती कराने के बाद परिजनों को उनसे मिलने नहीं दिया जाता था उधर उनकी पत्नी मनोरमा भी दूसरे अस्पताल में जीवन और मौत से जूझ रहीं थी। चूंकि, मनोरमा की स्थिति नाजुक थी ऐसे में परिजन उनके देखभाल में ही व्यस्त हो गए। इधर बेटी संगीता के लिए उन्होंने मेडविन अस्पताल में डेढ़ लाख रुपए जमा करवाया था। अस्पताल से बताया गया कि उन्हें 40-40 हजार रुपए के जीवन रक्षक इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं। हालांकि, यह नहीं बताया गया कि इतना महंगा इंजेक्शन कौन सा है। 

26 अप्रैल को जब उनकी पत्नी का निधन हो गया तो प्रधानमंत्री मोदी ने फोन पर छन्नूलाल मिश्र से बातचीत की। इस दौरान मिश्र ने उन्हें अपना दुखड़ा सुनाया। बाद में मोदी के हस्तक्षेप से अस्पताल प्रशासन ने किसी एक को संगीता से मिलने की अनुमति दी। पत्नी के निधन की खबर सुनकर छन्नूलाल मिश्र भी बीमार हो गए। उधर संगीता की बेटी अपनी नानी की मौत के बाद टूट चुकी थी। ऐसे में उसे मां से मिलकर थोड़ी संतुष्टि होगी यह सोचकर परिजनों ने अस्पताल में अपनी मां से मिलने के लिए उसे भेजा।

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हद तब हो गई जब अस्पताल में छन्नूलाल मिश्र की नातिन को अपनी मां से मिलने के लिए 1,700 रुपए जमा करवाने पड़े और पीपीई किट पहनाकर दूर से मिलवाया गया। इस दौरान संगीता कुछ कहना चाह रहीं थी। संगीता ने कहा कि यहां बहुत कष्ट है। लेकिन वहां खड़े एक व्यक्ति ने उनकी बेटी को इतने में वहां से हटा दिया और बताया कि वह अस्पताल में भर्ती अन्य लोगों के कष्ट में होने की बात कह रही थी। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि उन्हें सात्विक भोजन व काढ़ा दिया जा रहा है और वह अब ठीक हो रही हैं। अस्पताल ने प्रतिदिन सीसीटीवी फुटेज भी दिखाने का वादा किया।

इसके बाद 29 अप्रैल को अस्पताल से उन्हें बताया कि संगीता की हालत बेहद नाजुक है। परिजन जब अस्पताल पहुंचे तो उन्हें पता चला कि संगीता की तो मौत हो चुकी है। छन्नूलाल मिश्र के घर में इस खबर से मातम पसर गया। मिश्र के परिजन जब शव को देखने गए तो उसके पहले अस्पताल प्रशासन ने अमानवीयता की सारी हदों को पार करते हुए उनसे 4 लाख रुपए बकाया बताकर पहले रकम मांगने लगे।

छन्नूलाल मिश्र की छोटी बेटी ने मेडविन अस्पताल प्रशासन को अपनी बहन की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराया है। चूंकि, वह अस्पताल जाकर अपनी बहन के रिपोर्ट्स, उनकी दवाइयों की सूची और उनके बेड का सीसीटीवी फुटेज मांगा तो अस्पताल कुछ भी उपलब्ध करवा पाने में असमर्थ रहा। नम्रता ने इस बात की लिखित शिकायत भी कोतवाली थाने में दर्ज की है। मीडिया के सामने पूरे प्रकरण की जानकारी देते हुए वह फूट-फूटकर रोने लगीं। 

सोशल मीडिया पर जब संबंधित वीडियो वायरल हुआ तब लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मच गया। आनन-फानन में वाराणसी डीएम ने जांच कमेटी गठित कर पूरे मामले की जांच तीन डॉक्टरों को सौंप दिया। बता दें कि यह वही छन्नूलाल मिश्र हैं जिन्हें वाराणसी से लोकसभा का पर्चा भरते वक़्त मोदी ने अपना प्रस्तावक बनाया था, ताकि वह उपासक संगीतज्ञ की प्रसिद्धि का लाभ उठा सकें। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री ने उन्हें स्वच्छता अभियान के नवरत्नों में भी चुना। अब सवाल यह है कि जब पद्मविभूषण संगीतकार के परिजनों की स्थिति यह है तो पीएम के संसदीय क्षेत्र के आम लोग किससे मदद मांगेंगे।