यात्रियों को दूर रखने के लिए बढ़ाया ट्रेनों का किराया, जनता पर बोझ बढ़ाने के लिए रेलवे की अजब दलील
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक दिन पहले रेल किराए बढ़ाने की आलोचना की थी, तब भारतीय रेलवे ने उनके दावे को झूठा करार दिया था
नई दिल्ली। यात्रियों को ट्रेन पर चढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने रेल का किराया बढ़ा दिया है। रेलवे ने खुद किराया बढ़ाने के पीछे यही तर्क दिया है। रेलवे ने कम दूरी की यात्रा पर टिकटों के दाम बढ़ा दिए हैं। रेलवे ने कहा है कि वो ऐसा इसलिए कर रही है ताकि कम दूरी के यात्री ट्रेन पर चढ़ने से परहेज़ करें। रेलवे के मुताबिक ऐसा करने से ट्रेनों में भीड़ ज्यादा नहीं होगी और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सकेगा।
रेलवे द्वारा बढ़ाए गए टिकटों में दाम के बाद इसकी सबसे बड़ी मार छोटी दूरी तय करने वाली पैसेंजर ट्रेनों पर पड़ने वाली है। क्योंकि रेलवे ने उन्हीं टिकटों का किराया बढ़ाया है जिन पर यात्री 30 से 40 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। रेलवे ने खुद स्पष्ट किया है कि टिकटों के बढ़े हुए दाम केवल 20-30 रुपए वाले टिकट पर ही लागू होंगे।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में रेलवे द्वारा किराया बढ़ाए जाने की खबरों पर टिप्पणी करते हुए सरकार को घेरा था। राहुल ने इस बारे में टिप्पणी करते हुए ट्विटर पर लिखा था, 'कोविड - आपदा आपकी, अवसर सरकार की। पेट्रोल डीजल गैस का किराया, मध्य वर्ग को बुरा फंसाया, लूट ने तोड़ी जुमलों की माया।' तब रेलवे ने राहुल के इस दावे को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया था। लेकिन अब रेलवे द्वारा किराया बढ़ाए जाने की बात सही साबित हो गई है।
कोविड- आपदा आपकी, अवसर सरकार का।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 23, 2021
पेट्रोल-डीज़ल-गैस-ट्रेन किराया
मध्यवर्ग को बुरा फँसाया
लूट ने तोड़ी जुमलों की माया!#TrainFareLoot pic.twitter.com/RZU24qLLJh
एक हिंदी न्यूज चैनल ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है कि हाल ही में रेलवे के एक अधिकारी ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि कोविड-19 संकट के मद्देनजर यात्री ट्रेनों के परिचालन में कटौती और इनमें क्षमता से कम लोगों के सफर करने के कारण पश्चिम रेलवे को राजस्व का नुकसान झेलना पड़ रहा है। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल ने मीडिया से कहा था कि "कोविड-19 संकट के चलते हमें यात्री ट्रेनों के राजस्व के मामले में 5,000 करोड़ रुपये का सालाना नुकसान हो रहा है।" उनके मुताबिक कोविड-19 के डर के कारण अब भी कई लोग रेल के सफर से हिचक रहे हैं। महाप्रबंधक ने बताया था, "अभी पश्चिम रेलवे की जो यात्री ट्रेनें चल रही हैं, उनमें से कुछ रेलगाड़ियों में तो कुल सीट क्षमता के केवल 10 प्रतिशत लोग ही सफर कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब पहले से ही ट्रेनों में मुसाफिरों की कमी है तो उन्हें दूर रखने के लिए किराए बढ़ाने की क्या जरूरत पड़ गई?
यह बड़ी हैरतअंगेज़ नीति है कि एक तरफ यात्रियों की कम संख्या के कारण रेलवे को घाटा होने के बात सामने आ रही है और दूसरी तरफ रेलवे खुद कम दूरी के मुसाफिरों को दूर रखने के लिए किराया बढ़ाने की दलीलें दे रही है। कुल मिलाकर इसका परिणाम यही होने वाला है कि अगर रेलवे घाटे में चलेगी तो भी उसकी भरपाई जनता पर टैक्स का बोझ लादकर की जाएगी और अगर घाटे की भरपाई के लिए किराए बढ़ाए जाएंगे तो भी मार उसी जनता पर पड़ेगी।