साइबर ठगों से पुलिस का गठजोड़, भोपाल के एक ही थाने से सस्पेंड किए गए 8 पुलिसकर्मी

निलंबित ASI पवन रघुवंशी के घर से छापेमारी में सायबर ठगों से सांठ-गांठ से जुटाए 5 लाख पए बरामद किया गया है। एएसआई के पास से साइबर ठगी में इस्तेमाल हुआ एक लैपटॉप भी बरामद किया गया है।

Updated: Mar 06, 2025, 04:15 PM IST

भोपाल। मध्य प्रदेश में साइबर ठगी के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। साइबर ठगों से निपटने में राज्य की पुलिस नाकाम साबित हो रही है। हैरानी की बात तो ये है कि लोगों के खून-पसीने की कमाई पर डाक डालने वाले गिरोह की साथ पुलिसकर्मियों का भी गठजोड़ है। भोपाल में ऐसा ही मामला सामने आने के बाद ऐशबाग थाने में पदस्थ आठ पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है।

निलंबित सभी पुलिसकर्मियों को साइबर अपराध से जुड़े अलग-अलग मामलों में सस्पेंड किया गया है। वहीं, एक ASI के घर से 5 लाख बरामद हुआ है। निलंबित एएसआई पवन रघुवंशी के घर से छापेमारी में सायबर ठगों से सांठ-गांठ से जुटाए 5 लाख रुपए बरामद किया गया है। एएसआई के पास से साइबर ठगी में इस्तेमाल हुआ एक लैपटॉप भी बरामद किया गया है। 

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गिरफ्तार एएसआई पर सटोरियों से भी मिलीभगत का आरोप लगा है। पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ के खुलासे के बाद पुलिस कमिश्नर ने थाने के 8 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। पुलिसकर्मियों को साइबर ठगों और सटोरियों से मिलीभगत करने के आरोप में निलंबित किया गया है। फिलहाल मामले में आगे की जांच की जा रही है। हालांकि, इस घटना से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।

मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। कमलनाथ ने ट्वीट किया, 'मध्य प्रदेश में ऑनलाइन ठगी और डिजिटल अरेस्ट एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। बड़े पैमाने पर इस तरह के मामले सामने आने के बावजूद पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। अब तो इस तरह के मामले भी सामने आने लगे हैं कि इन अपराधियों को पकड़ने के बजाए पुलिस अपराधियों को संरक्षण देने में जुट गई है। भोपाल के ऐशबाग थाने का मामला इसका ज्वलंत उदाहरण है।'

कमलनाथ ने आगे लिखा, 'इस समस्या पर बहुत गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में देश में डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा दिया गया है। लेकिन डिजिटल ट्रांजेक्शन की वृद्धि के अनुपात में सुरक्षा के इंतज़ाम और डिजिटल ट्रांजेक्शन लिटरेसी बढ़ाने पर काम नहीं हुआ है। इसी के साथ देश में डेटा की सुरक्षा भी उतनी मज़बूत नहीं है जितनी होनी चाहिए। इसलिए डिजिटल ट्रांजेक्शन से जुड़े सभी पहलुओं पर विस्तार से अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की समिति बनायी जानी चाहिए और उसकी सलाह के अनुसार आगे क़दम उठाए जाने चाहिए।'