राज्यसभा में सभापति पर महिलाओं के अपमान का आरोप, जया बच्चन बोलीं- माफी मांगें जगदीप धनखड़

समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने कहा कि मैंने सभापति के टोन पर आपत्ति जताई। हम स्कूल के बच्चे नहीं हैं। हम सब वरिष्ठ हैं। उन्होंने कहा कि आप सेलिब्रेटी होंगी मुझे फर्क नहीं पड़ता। ये महिलाओं का अपमान है।

Updated: Aug 09, 2024, 02:59 PM IST

नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को जया बच्चन और सभापति जगदीप धनखड़ के बीच तीखा संवाद हुआ। सांसद जया बच्चन ने सभापति जगदीप धनखड़ की टोन पर आपत्ति जताई। इसपर धनखड़ ने कहा कि आप सेलिब्रिटी हों या कोई और मुझे फर्क नहीं पड़ता।

दरअसल, धनखड़ ने सपा सांसद को जया अमिताभ बच्चन कहकर संबोधित किया था। इसपर जया ने कहा कि मैं कलाकार हूं। बॉडी लैंग्वेज समझती हूं। एक्सप्रेशन समझती हूं। मुझे माफ कीजिए, लेकिन आपके बोलने का टोन स्वीकार नहीं है। जया की इस बात से धनखड़ नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि आप अपनी सीट पर बैठ जाइए। आप जानती हैं कि एक एक्टर को डायरेक्टर कंट्रोल करता है। मैं हर दिन अपनी बात दोहराना नहीं चाहता। हर दिन मैं स्कूली शिक्षा नहीं देना चाहता।

जगदीप धनखड़ ने आगे कहा कि आप मेरी टोन पर सवाल उठा रही हैं। इसे बर्दाश्त नहीं करूंगा। आप सेलिब्रिटी हों या कोई और, आपको डेकोरम बनाकर करना होगा।आप सीनियर मेंबर चेयर को नीचा दिखा रही हैं। इसके बाद विपक्षी सांसदों ने दादागिरी नहीं चलेगी के नारे लगाए और राज्यसभा से वॉकआउट कर गए। जया बच्चन ने बाहर निकलकर धनखड़ से माफी की मांग की।

समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने कहा, 'मैंने सभापति के टोन पर आपत्ति जताई। हम स्कूल के बच्चे नहीं हैं। हम सब वरिष्ठ हैं, खासकर जब नेता विपक्ष (मल्लिकार्जुन खड़गे) बोलने के लिए खड़े हुए उन्होंने माइक बंद कर दी। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? ये परंपरा के खिलाफ है। अगर आप उन्हें बोलने नहीं देंगे तो हम क्या करने आए हैं? वो हमेशा असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि आप सेलिब्रेटी होंगी मुझे फर्क नहीं पड़ता। ये महिलाओं का अपमान है। मुझे माफी चाहिए।' 

वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, 'बार-बार गणेश तिवारी ने सदन में विपक्ष के नेता का खुलेआम अपमान किया है। आज कहा गया कि गणेश तिवारी चेयर (राज्यसभा के सभापति) से मिलने आए और मल्लिकार्जुन खरगे की तारीफ की। हमने मांग की कि उन्होंने जो बातें चेयर से व्यक्तिगत रूप से कही हैं, वही सदन में भी कही जानी चाहिए। वे (राज्यसभा के सभापति) बार-बार मुझे टोकते रहे, मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन विपक्ष के नेता का अपमान किया गया है और एक संवैधानिक पद का अपमान किया गया है।'