सेक्युलरिज्म की परंपरा से पीछे हटी भारतीय सेना, दक्षिणपंथियों की आपत्ति के बाद डिलीट किया इफ्तार का ट्वीट

भारतीय सेना के एक ट्विटर हैंडल से ट्वीट की गई थी रोजा इफ्तार की तस्वीरें, नफरती पत्रकार सुरेश चव्हाणके की आपत्ति के बाद डिलीट करना पड़ा ट्वीट

Updated: Apr 23, 2022, 12:18 PM IST

नई दिल्ली। देश में लगातार बिगाड़े जा रहे सांप्रदायिक सौहार्द का असर अब भारतीय सेना पर भी दिखने लगा है। भारतीय सेना के एक आधिकारिक ट्विटर हैंडल से रोजा इफ्तार से जुड़ी तस्वीरें डिलीट कर दी गई हैं। सेना को धर्म निर्पेक्षता की परंपरा दर्शाने वाली इन तस्वीरों को इसलिए डिलीट करना पड़ा क्योंकि प्रोपेगैंडा और नफरत फ़ैलाने वाले दूरदर्शन चैनल के मालिक सुरेश चव्हाणके ने उसपर आपत्ति जताई थी।

भारतीय सेना में हर धर्म के त्योहार मनाए जाते हैं। रमजान के महीने में इफ्तार पार्टी का आयोजन भी एक परंपरा के तौर पर किया जाता है। जम्मू के डोडा में सेना ने इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। इस इफ्तार पार्टी में सेना के अधिकारी, जवान और स्थानीय लोग भी शामिल हुए। जम्मू में सेना के PRO ने इफ्तार पार्टी की तस्वीरें ट्वीट करते हुए लिखा कि, 'धर्म निरपेक्षता की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए जम्मू के डोडा में सेना की तरफ से इफ्तार का आयोजन किया गया।' #Ramadan

सेना ने इफ्तार से जुड़ी चार तस्वीरें पोस्ट की थी। तस्वीरों में दिख रहा है कि इफ्तार से पहले नमाज़ पढ़ी गई। फिर साथ बैठकर सबने रोज़ेदारों के साथ इफ्तार किया। लेकिन ये ट्वीट समुदायों के बीच जहर घोलने वालों के गले नहीं उतरी। दक्षिणपंथी विचारकों ने इफ्तार के आयोजन पर सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया। मुस्लिमों के खिलाफ हेट प्रोग्राम करने वाले सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मालिक सुरेश चव्हाणके ने तो सेना को बीमार करार दिया।

चव्हाणके ने लिखा कि, "अब ये बीमारी सेना में भी घुस गई है? दुखद।" चव्हाणके के इस ट्वीट का नतीजा ये हुआ कि सेना के PRO ने इफ्तार पार्टी का वो ट्वीट डिलीट कर दिया। सेना के इस कदम ने देश के लोग हैरान हैं। मामले में पत्रकार मान अमन सिंह ने ट्वीट कर कहा, ‘धर्मनिरपेक्षता का आखिरी किला भी डगमगा रहा है। 

 

सेना से जुड़े लोग बताते हैं कि इस तरह के आयोजन कोई पहली बार नहीं हुए हैं। इंडियन आर्मी ने हमेशा से हर धर्म के त्योहारों को बराबर उत्साह के साथ मनाया है। डिफेंस कॉलोनियों में रहने वाले दो अलग मजहबों के परिवार जिस मेल जोल के साथ रहते हैं, वो एक सभ्य समाज के लिए मिसाल के तौर पर देखा जाता है। हालांकि, सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी ट्रॉल्स अब सेना की इस परंपरा को भी निशाना बनाने लगे हैं।

किसान नेता बादल सरोज ने इस घटना को शर्मनाक बताया है। बादल सरोज ने कहा कि, 'भारतीय सेना अपनी वीरता के लिए विश्वविख्यात है। जो सेना कभी दुश्मनों से नहीं डरी उसे आज गली छाप ट्रॉल्स डरा-धमका दे रहे हैं। शर्मनाक यह है कि सेना ने भी दबाव में आकर ट्वीट डिलीट कर लिया। सेना को अपने आदर्शों पर कायम रहना चाहिए था।