हेट स्पीच में बिना धर्म देखे FIR दर्ज करें, कोताही हुई तो कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट माना जाएगा: राज्यों को SC का सख्त निर्देश

हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं? यह दुखद है। हेट स्पीच एक गंभीर अपराध है, जो देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित कर सकता है: सुप्रीम कोर्ट

Updated: Apr 29, 2023, 12:20 PM IST

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच के मामलों में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को तत्काल एक्शन लेने का निर्देश दिया। सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को कहा कि जब भी कोई नफरत फैलाने वाला भाषण देता है तो सरकारें बिना किसी शिकायत के FIR दर्ज करें। हेट स्पीच से जुड़े मामलों में केस दर्ज करने में देरी और कार्रवाई में कोताही होने पर इसे कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट माना जाएगा।  

कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में सिर्फ दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड सरकार को यह निर्देश दिया था। तब कोर्ट ने कहा था कि ऐसे बयानों पर पुलिस खुद संज्ञान लेते हुए मुकदमा दर्ज करे। इसके लिए किसी की तरफ से शिकायत दाखिल होने का इंतज़ार न किया जाए। अब कोर्ट ने अपने 2022 के आदेश का दायरा बढ़ाते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश दिए हैं।

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सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को कहा कि कोर्ट ने कहा- ऐसे मामलों में कार्रवाई करते हुए बयान देने वाले के धर्म की परवाह नहीं करनी चाहिए। इसी तरह धर्मनिरपेक्ष देश की अवधारणा को जिंदा रखा जा सकता है। अदालत ने कहा कि हेट स्पीच एक गंभीर अपराध है, जो देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को प्रभावित कर सकता है। जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं? यह दुखद है।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट देश के विभिन्न हिस्सों से दाखिल हेट स्पीच से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इससे पहले मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई में कहा था कि 'हर रोज टीवी और सार्वजनिक मंचों पर नफरत फैलाने वाले बयान दिए जा रहे हैं। क्या ऐसे लोग खुद को कंट्रोल नहीं कर सकते? जिस दिन राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे। नेता राजनीति में धर्म का उपयोग करना बंद कर देंगे। उसी दिन नफरत फैलाने वाले भाषण भी बंद हो जाएंगे। न्यायालय ने कहा कि हम अपने हालिया फैसलों में भी कह चुके हैं कि पॉलिटिक्स को राजनीति के साथ मिलाना लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।