Prashant Bhushan: वकीलों ने की न्याय की विफलता रोकने की अपील

Supreme Court: प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना का दोषी ठहराए जाने के खिलाफ वकील एकजुट, लगभग 1500 वकीलों ने किया पुनर्विचार का आग्रह

Updated: Aug 19, 2020, 01:28 AM IST

File Photo : facebook
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नई दिल्ली। अदालत की अवमानना करने के आरोप में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद प्रशांत भूषण के समर्थन में देश भर के वकील सामने आ गए हैं। देश भर के लगभग 1500 वकीलों ने शीर्ष अदालत से न्याय की विफलता तो रोकने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने की अपील की है। 

देश भर के वकीलों ने सोमवार को सर्वोच्च अदालत से की गई अपनी अपील में यह बात कही है कि अवमानना का डर दिखा कर चुप कराने से कोर्ट की ही साख गिरेगी। वकीलों ने कहा है कि इससे सुप्रीम कोर्ट की ही न सिर्फ स्वतंत्रता बल्कि ताकत भी कम हो जाएगी। 

मूक बार मज़बूत अदालत का नेतृत्व नहीं कर सकती
अंग्रेज़ी के एक प्रमुख अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि देश भर के वकीलों ने अपनी अपील में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला जनता की नज़र में कोर्ट का अधिकार प्रदर्शित करने के बनिस्बत वकीलों को मुखर होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने से हतोत्साहित करेगा। वकीलों ने कहा है कि जब न्यायाधीशों पर दबाव बनाया जाता था तब बार ही थी जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता में आवाज़ उठाई थी। एक मूक बार कभी एक मजबूत अदालत का नेतृत्व नहीं कर सकती।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक प्रशांत भूषण को दोषी ठहराए जाने के मामले में श्रीराम पांचू, अरविंद दतार, श्याम दीवान, मेनका गुरू स्वामी, राजू रामचंद्रन, बिश्वजीत भट्टाचार्य, नवरोज सीरवाई, जनक द्वारकादास, इकबाल चागला, दारिअस खंबाटा, वृन्दा ग्रोवर, मिहिर देसाई, कामिनी जायसवाल और करूणा नंदी के हस्ताक्षर सुप्रीम कोर्ट से की गई अपील में शामिल हैं। 

क्या है मामला ? 
सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस को लेकर प्रशांत भूषण के दो ट्वीट को अदालत की अवमानना करार दिया है। प्रशांत भूषण ने 27 जून को अपने ट्विटर हैंडल से दो ट्वीट किए थे। जिसमें एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट तो दूसरा मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे के खिलाफ था। भूषण ने ट्वीट में लिखा था कि ' जब भावी इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे।' इसके अलावा प्रशांत भूषण ने अपने एक अन्य ट्वीट में मुख्य न्यायाधीश की बाइक पर बैठे एक तस्वीर पर आपत्ति जताई थी। 

जिसके बाद कोर्ट ने प्रशांत भूषण के खिलाफ अदाल की अवमानना मामले में दोषी ठहराया है। कोर्ट प्रशांत भूषण के खिलाफ 20 अगस्त को सज़ा मुकर्रर करने वाली है,जिसका देश भर के वकील विरोध कर रहे हैं।