ED दफ्तर पहुंची सोनिया गांधी, प्रतिशोध की राजनीति के खिलाफ एकजुट हुआ विपक्ष

कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी नेशनल हेराल्ड केस में पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय पहुंची, इससे पहले करीब 13 विपक्षी दलों ने कांग्रेस की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया, बैठक का मुद्दा था– केन्द्र सरकार की ‘प्रतिशोध की राजनीति’

Updated: Jul 21, 2022, 09:51 AM IST

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नेशनल हेराल्ड केस में पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर पहुंच गई हैं। वह राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ एक ही कार में निकली थीं। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और राहुल गांधी भी ईडी के दफ्तर में उनके साथ रहेंगे। उन्हें एक अलग कमरे में बिठाया जाएगा। इसकी वजह यह है कि सोनिया गांधी की दवाएं लेकर प्रियंका गांधी गई हैं और उन्हें कभी भी उनकी जरूरत पड़ सकती है। कोरोना से उबरने के बाद भी सोनिया गांधी की तबीयत खराब है और ऐसे में उन्हें दवाओं की जरूरत रहती है। 

इससे पहले देश की लगभग 13 विपक्षी दलों ने कांग्रेस की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया। बैठक का मुद्दा था केन्द्र सरकार की ‘प्रतिशोध की राजनीति'। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष के नेता को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। इस बैठक की खास बात यह थी कि इसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस पहली बार शामिल हुई।

इस बैठक में कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), IUML, NC, TRS, MDMK, NCP, VCK, शिवसेना और RJD के प्रतिनिधि शामिल हुए। समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों द्वारा एक बयान भी जारी किया गया जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के "दुरुपयोग" की निंदा की गई है। 

कांग्रेस ने सोनिया गांधी को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए जाने को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा प्रहार किया। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि, 'सोनिया गांधी जी की सास, उनके पति इस देश के लिए शहीद हो गए। मगर इस सरकार में कोई शर्म नहीं है कि ऐसी महिला के साथ आप किस तरह व्यवहार कर रहे हैं। इस सरकार का रवैया बहुत ही निम्न स्तर का है। इस सरकार को यह चिंता ही नहीं है कि यह देश क्या सोच रहा होगा। कांग्रेस शासन में ऐसा नहीं होता था।'

अशोक गहलोत ने आगे कहा कि, 'आज सोनिया गांधी जी को जिस रूप में बुलाया गया है, वो बेहतर तरीके से हो सकता है। हम मानते हैं कि कानून सभी के लिए समान होता है, लेकिन इनके शासन में कानून सभी के लिए समान नहीं है। इस सरकार ने देश के लिए दो कानून बना रखे हैं, जो विपक्ष के लिए अलग है और इनके खुद के लिए अलग है। इस प्रकार आज यह मुल्क चल रहा है। ED को एक प्रेस कांफ्रेंस कर देश को बताना चाहिए कि वो सोनिया गांधी जी, राहुल गांधी जी को क्यों बुला रहे हैं? इस सरकार की फितरत यह है कि आज हमारी जगह ये होते तो आग लगा देते, तोड़-फोड़ कर देते और हमारे यहाँ आप देख सकते हैं कि भजन हो रहे हैं। आप इसी से समझ सकते हैं कि कांग्रेस की सोच क्या है और इनकी सोच क्या है।'

राजस्थान सीएम ने यह भी कहा कि, 'पहले ये सरकार कांग्रेस मुक्त भारत की बात करती थी, लेकिन अब इनका मंत्र है कि विपक्ष मुक्त भारत बने, तानाशाही हो देश के अंदर, उसी दिशा में देश जा रहा है। लोकतंत्र में ED सरकार को गिराने का इनका बहुत बड़ा हथियार हो गया है। इसे घटिया बात कोई हो नहीं सकती कि आप एक एजेंसी के माध्यम से डरा-धमकाकर सरकार बदलते हो और गर्व महसूस करते हो। सोनिया गांधी जी के बारे में विदेशी होने के जुमले सुनते थे। लेकिन उस महिला ने जिस तरह हिंदुस्तान के संस्कार और संस्कृति अपनाई, उसका लोहा इस देश की महिलाएं भी मानती हैं। सोनिया गांधी जी ने इस देश के लिए, कांग्रेस पार्टी के लिए जिस तरह अपनी जान लगा दी, उसको हम कभी भूल नहीं सकते।'

इस दौरान कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि, 'सोनिया गांधी, राहुल गांधी जनता के मुद्दे उठाते हैं और इसी से सरकार की नींद हराम होती है। इसलिए एजेंसियों को पीछे लगाया जा रहा है। गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी की तासीर समझने में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को कई जन्म लेने पड़ जाएंगे। हम पीछे नहीं हटेंगे, हम डरकर घर बैठने वालों में से नहीं हैं। अगर पीएम मोदी और अमित शाह को शक है, तो अंग्रेजों से पूछ लीजिए।'