बिहार के 94 लाख गरीब परिवारों को 2-2 लाख रुपए देगी राज्य सरकार, सीएम नीतीश का बड़ा ऐलान

बिहार में मंगलवार को देश का पहला जातिगत आर्थिक सर्वे पेश किया गया जिसके मुताबिक पिछड़ा वर्ग ने 33.16%, सामान्य वर्ग में 25.09%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58%, SC के 42.93% और ST 42.7% परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं।

Updated: Nov 07, 2023, 06:11 PM IST

पटना। बिहार सरकार ने मंगलवार को ऐतिहासिक ऐलान करते हुए कहा है कि राज्य के 94 लाख गरीब परिवारों को मदद के रूप में दो-दो लाख रुपए दिए जाएंगे। नीतीश कुमार ने सदन में इस बात घोषणा की है। उन्होंने कहा कि बिहार में जिन 94 लाख परिवारों के पास कोई नौकरी या रोजगार नहीं है, उन्हें 2-2 लाख रूपये सरकार की तरफ से दिया जायेगा, जिससे वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें। ये राशि सरकार की तरफ से मुफ्त दी जायेगी और सभी वर्ग के लोग इसके लाभान्वित होंगे।

बिहार में मंगलवार को देश का पहला जातिगत आर्थिक सर्वे पेश किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में पिछड़ा वर्ग के 33.16 फीसदी, सामान्य वर्ग में 25.09 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग में 33.58 फीसदी, अनुसूचित जाति के 42.93 फ़ीसदी और अनुसूचित जनजाति के 42.7 फ़ीसदी परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में सबसे ज्यादा गरीब यादव और भूमिहार हैं, वहीं सबसे संपन्न कायस्थ हैं।

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रिपोर्ट्स जारी करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में परिवारों की कुल संख्या 2 करोड़ 76 लाख 68 हजार 930 है, जिसमें 94 लाख 42 हजार 786 परिवार गरीब है। इन गरीब परिवार को 2 लाख रुपए राज्य सरकार की तरफ से मदद किया जाएगा। इसमें सभी जाति के गरीबों को मदद पहुंचाई जाएगी। जमीन खरीदने के लिए 1 लाख दिया जाएगा। इस पर 2 लाख 50 हजार करोड़ रुपए की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को 5 साल में पूरा करेंगे। अगर विशेष राज्य क दर्जा मिल जाए तो 2 साल मे ही पूरा करेंगे।

राज्य में छह हजार रुपए से कम मासिक आमदनी वाले परिवारों को गरीब माना गया है। ऐसे परिवारों की संख्या 94 लाख है। जबकि 6000 रुपए से 10 हजार रुपए तक की मासिक आय वालों की संख्या 81 लाख 91 हजार 390 है। ये कुल संख्या परिवारों का 29.61 फीसदी है। वहीं, 10 से 20 हजार रुपए मासिक आय वालों की संख्या 49 लाख 97 हजार 142 है। ये कुल संख्या का 18.06 प्रतिशत है। 

आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के मुताबिक 20 से 50 हजार रुपए तक कमाने वाले परिवारों की संख्या 27 लाख 20 हजार 870 है। कुल संख्या का 9.83 फीसदी है। 50 हजार रुपए से अधिक मासिक आमदनी वाले परिवारों की कुल संख्या 10 लाख 79 हजार 466 है। जो कुल संख्या का 3.90 प्रतिशत है। 12 लाख 37 हजार 276 परिवारों की आमदनी सार्वजनिक नहीं की गई। कुल संख्या का 4.47 फीसदी है।

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आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में एक तिहाई आबादी गरीब है। सूबे के 34.13 फीसदी परिवारों की मासिक आय महज 6 हजार रुपए है। सरकार ने इन्हें गरीबी की श्रेणी में रखा है। सामान्य वर्ग यानी सवर्णों में सबसे ज्यादा गरीबी भूमिहारों में है। बिहार में 27.58 प्रतिशत भूमिहार आर्थिक रूप से गरीब हैं। उनके कुल परिवारों की संख्या 8 लाख 38 हजार 447 है, जिनमें 2 लाख 31 हजार 211 परिवार गरीब हैं। 25.32 प्रतिशत ब्राह्मण परिवार गरीब हैं, जबकि राजपूतों में 24.89 प्रतिशत आबादी गरीब है। कायस्थों में 13.83 प्रतिशत लोग ही गरीब हैं।

बिहार विधानसभा में पेश जाति सर्वेक्षण के अनुसार बिहार के 50 लाख से अधिक लोग आजीविका या शिक्षा के लिए राज्य से बाहर रह रहे हैं। इसी के साथ बिहार में जाति गणना रिपोर्ट जारी होने के बाद आरक्षण का दायरा बढ़ाने की कवायद तेज हो गई है। नीतीश कुमार सरकार ने विधानसभा में आरक्षण का दायरा 50% से बढ़ाकर 65% करने का प्रस्ताव पेश किया है।