केंद्र की टीकाकरण नीति को सुप्रीम कोर्ट ने बताया अतार्किक, वैक्सीन ख़रीद पर खर्चे का मांगा ब्यौरा
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि अब तक वैक्सीन की खरीद के लिए तय किए गए 35 हज़ार करोड़ के बजट में कितना खर्चा किया? उच्चतम न्यायालय ने इसका लेखा जोखा सुप्रीम कोर्ट में पेश करने के लिए कहा है

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की टीकाकरण नीति को अतार्किक करार दिया है। उच्चम न्यायालय ने कहा है कि केंद्र की वैक्सीनेशन पॉलिसी प्रथम दृष्टया अतार्किक प्रतीत होती है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से वैक्सीन की खरीद के लिए तैयार किए गए बजट का ब्यौरा मांगा है।
सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से 35 हज़ार करोड़ के वैक्सीन खरीद के बजट पर सवाल किया है कि अब तक वैक्सीन की खरीद के लिए बजट का कितना हिस्सा खर्च किया गया है? इस बजट को 18 वर्ष की उम्र के अधिक लोगों का टीकाकरण करने के उपयोग में क्यों नहीं लाया जा सकता? उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से इन बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
दरअसल इस समय 18 से 44 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण की ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों पर डाल रखी है। जबकि तमाम राज्य वैक्सीन कि किल्लत से जूझ रहे हैं। कोविशील्ड और कोवैक्सीन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रही है, जिस वजह से कई राज्यों ने मॉडर्ना और फाइजर जैसी विदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनियों का रुख किया है, लेकिन विदेशी कंपनियों से भी राज्यों को निराशा हाथ लगी है। वैक्सीन निर्माता कंपनियों का कहना है कि वो वैक्सीन के लिए सीधे केंद्र सरकार के साथ डील करती हैं। वैक्सीन की किल्लत और केंद्र सरकार के आनाकानी भरे रवैये को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार से ब्यौरा मांगा है।