मध्य प्रदेश में कृत्रिम भू-जल रिचार्ज की कोई योजना मंजूर हुई या नहीं, संसद में दिग्विजय सिंह ने पूछे सवाल
मध्य प्रदेश 60 फीसदी पत्थर पर है, राज्य में भू-जल का अत्यधिक दोहन हुआ है। मध्य प्रदेश का National Aquifer Mapping हुआ या नहीं: दिग्विजय सिंह
नई दिल्ली। मॉनसून सत्र के छठे दिन सोमवार को संसद के दोनों सदनों में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार बहस देखने को मिला। लोकसभा में एक ओर जहां कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी केंद्र सरकार पर हमलावर रहे। उधर राज्यसभा में पार्टी के कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह केंद्र को घेरते नजर आए।
दरअसल, प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल पंजाब में भूजल का गिरता स्तर को लेकर एक सांसद के सवाल का जवाब दे रहे थे। इस दौरान मध्य प्रदेश से कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने सवाल पूछते हुए कहा कि भू-जल उतनी ही बड़ी समस्या मध्य प्रदेश में है।
इतने में सभापति जगदीप धनखड़ उन्हें टोकते हुए कहते हैं कि बात पंजाब की हो रही है। इसपर दिग्विजय कहते हैं कि सर आप प्रश्न देखिए, उसमें सभी राज्यों का भी उल्लेख है। सिंह आगे कहते हैं कि मैं पॉइंटेड सवाल पूछ रहा हूं देखते हैं मंत्री जी कितना पॉइंटेड जवाब देते हैं।
मध्य प्रदेश 60% पठार पर है, जहां भू-जल का खूब दोहन हुआ है।
— Congress (@INCIndia) July 29, 2024
इसलिए मैं सरकार से पूछना चाहता हूं कि..
- मध्य प्रदेश में कृत्रिम भू-जल रिचार्ज की कोई योजना मंजूर हुई या नहीं?
: राज्य सभा में @digvijaya_28 जी pic.twitter.com/mzMl8khuqT
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सिंह सदन में बताते हैं कि मध्य प्रदेश 60 फीसदी पठारों पर है और वहां पर भी भू-जल का अत्यधिक दोहन हुआ है। मध्य प्रदेश का National Aquifer Mapping हुआ है या नहीं? हुआ तो कितना हुआ? मध्य प्रदेश में कृत्रिम भू-जल रिचार्ज की कोई योजना मंजूर हुई या नहीं?
सिंह के सवाल पर सभापति जगदीप धनखड़ मंत्री पाटिल से कहते हैं कि उन्होंने पॉइंटेड सवाल पूछे हैं आप भी पॉइंटेड जवाब दीजिए। हालांकि, मंत्री पाटिल सीधा जवाब देने की बजाए कहते हैं कि माननीय सदस्य का प्रश्न मध्य प्रदेश के बारे में है और यहां पंजाब के बारे में बात चल रही थी। मैं इतना कहूंगा कि पंजाब, मध्य प्रदेश सहित देश के सभी निस्तारों पर पानी के अंदर नाइट्रेट, आयरन, आर्सेनिक, फ्लोराइड मिल रही है, उसके बारे में भी उपचार मंत्रालय द्वारा हो रहे हैं और गुणवत्ता प्रभावित गांवों के लिए अतिरिक्त निधि का प्रावधान मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।