Prashant Bhushan: सुप्रीम कोर्ट ने माफी माँगने के लिए 24 अगस्त तक समय दिया

Prashant Bhushan: वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि न मुझे दया चाहिए और न मैं इसकी मांग कर रहा हूं

Updated: Aug 21, 2020, 09:05 AM IST

Photo Courtesy: Bar and Bench
Photo Courtesy: Bar and Bench

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के जानेमाने वकील प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना के मामले में सजा पर सुनवाई करते हुए बिना शर्त माफ़ीनामा दाखिल करने के लिए 24 अगस्त तक का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई के बाद अपने आदेश में लिखा है कि हमने अवमानना के दोषी को बिना शर्त माफी मांगने के लिए समय दिया है। वे चाहें तो 24 अगस्त तक ऐसा कर सकते हैं। अगर माफीनामा जमा होता है तो मामले पर 25 अगस्त को विचार किया जाएगा। 

सुनवाई के दौरन प्रशांत भूषण ने कहा कि मेरे जिस ट्वीट के आधार पर मुझे न्यायालय के अवमानना का दोषी माना गया है दरअसल वो मेरी ड्यूटी है। इससे ज्यादा कुछ नहीं। इस ट्वीट को संस्थानों को बेहतर बनाए जाने के प्रयास के रूप में देखा जाना चाहिए था। मैंने जो लिखा है वो मेरी निजी राय है, मेरा विश्वास और विचार है। राय और विचार रखना मेरा संवैधानिक अधिकार है। प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट के पक्ष में दिए गए बयान पर पुनर्विचार करने के सुप्रीम कोर्ट के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।

न दया चाहिए, न उदारता, हर सजा के लिए तैयार

प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि न मुझे दया चाहिए और न मैं इसकी मांग कर रहा हूं। मैं कोर्ट से इस मामले में कोई उदारता भी नहीं चाह रहा हूं। कोर्ट मेरे लिए जो भी सजा तय करेगा वह मुझे सहर्ष स्वीकार है। प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि मुझे यह सुनकर दुःख हुआ है कि मुझे अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया गया है। मुझे दु:ख इस बात का नहीं है की मुझको सजा सुनाई जाएगी, लेकिन मुझे पूरी तरह से गलत समझा जा रहा है। 

सुनवाई शुरू होने पर प्रशांत भूषण के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि पुनर्विचार याचिका कोई और बेंच भी सुन सकती है, कोई जरूरी नहीं है कि यही जस्टिस मिश्रा की बेंच सुनवाई करे। जस्टिस गवई ने वकील दवे से कहा कि राजीव धवन ने तो 17 अगस्त को कहा था कि पुनर्विचार याचिका तैयार है तो आपने दायर क्यों नहीं की?  भूषण के वकील दवे ने कहा कि पुनर्विचार याचिका मेरा अधिकार है। ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि मैं 24 घंटे के भीतर पुनर्विचार याचिका दायर करूं। पुनर्विचार याचिका दायर करने की अवधि 30 दिन है। 

ग़ौरतलब है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एस ए बोबड़े और उनके पहले के चार चीफ जस्टिस को लेकर किए गए कथित ट्वीट्स के लिए जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने 14 अगस्त को वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था।

क्या है पूरा मामला? 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने 27 जून को अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ और दूसरा ट्वीट मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े के खिलाफ किया था। 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रशांत भूषण को नोटिस मिला। 

प्रशांत भूषण ने अपने पहले ट्वीट में लिखा था कि जब आने वाले इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे।सुप्रीम कोर्ट भूषण के इस ट्वीट पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई कर रहा है।