कोरोना वैक्सीन की सिंगल डोज है नाकाफी, रिसर्च का दावा ऑक्सफोर्ड एस्ट्रोजेनेका है 87 से 90 फीसदी कारगर

ब्रिटेन में पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की रिसर्च का दावा है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका की वैक्सीन के दोनों डोज नए वेरियंट पर 87 से 90 प्रतिशत असरदार है, भारत में कोवीशील्ड के नाम से बन रही है यह वैक्सीन, इंडियन वैरियंट B.1.617.2 पर 81 और इंग्लैंड के केंट में मिले B.1.1.7 वैरिएंट पर 87 फीसदी है असरदार

Updated: May 23, 2021, 03:00 PM IST

Photo courtesy: PAHO
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ऑक्सफोर्ड-एस्ट्रोजेनेका की वैक्सीन भारत में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा तैयार की जा रही है। एस्ट्रोजेनेका की वैक्सीन का निर्माण भारत में कोविशील्ड के नाम से हो रहा है। ब्रिटेन में हुई एक रिसर्च में दावा किया जा रहा है कि ऑक्सफोर्ड/ एस्ट्रोजेनेका की वैक्सीन का एक डोज से कोरोना के वैरियंट्स के लिए पर्याप्त इम्यूनिटी नहीं बनता है। पर्याप्त इम्यूनिटी के लिए कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज लेना जरूरी है। ऑक्सफोर्ड/ एस्ट्रोजेनेका की वैक्सीन के दोनों डोज 87 से 90 प्रतिशत तक प्रभावी है।

कोविड 19 वायरस के नए वैरिएंट पर ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका के टीके के एक डोज कम असरदार साबित हो रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ब्रिटेन में यूके सरकार की नई रिसर्च में दावा किया गया है भारत में मिले कोरोना के नए वैरिएंट से सुरक्षा के लिए कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लेना आवश्यक है।

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 ब्रिटेन के पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (PHE) की रिसर्च के आकंडों में कहा गया है कि कोरोना वैक्सीन की दो डोज ने भारत में मिले B.1.617.2 वैरिएंट पर 81 फीसदी सुरक्षा प्रदान की। इसी तरह साउथ ईस्ट इंग्लैंड के केंट में पहली बार मिले B.1.1.7 वैरिएंट के खिलाफ 87 फीसदी सुरक्षा प्रदान की है।

रिपोर्ट के आंकडों के अनुसार ऑक्सफोर्ड/ एस्ट्रोजेनेका की  वैक्सीन की एक खुराक कोविड के B.1.617.2 वैरिएंट पर मजह 33 फीसदी ही असरदार पाई गई। वहीं B.1.1.7 वैरिएंट के खिलाफ वैक्सीन 51 फीसदी कारगर रही है। फाइनेंशियल टाइम्स में छपी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना वैक्सीन की सिंगल डोज B.1.1.7 वैरिएंट की अपेक्षा B.1.617.2 पर 35 फीसदी कम असरदार है।

दरअसल ब्रिटेन के पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड ने यह शोध बायोएनटेक/फाइजर और ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका वैक्सीन पर किया। और दोनों से मिले डाटा के हिसाब से इस नतीजे पर पहुंचा है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के दोनों डोज 85 से 90 फीसदी तक कारगर हैं।

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भारत में कोरोना वैक्सीनेशन का काम तेजी से हो रहा है। 45 से ज्यादा उम्र के साथ-साथ 18 प्लस लोगों का टीकाकरण जारी है। वैक्सीनेशन को लेकर जारी नई गाइडलाइन के अनुसार अब भारत कोविशील्ड वैक्सीन की दो खुराकों के बीच का समय बढ़ाकर 12 से 16 हफ्ते कर दिया है। एक रिसर्च में कहा गया है कि वैक्सीन की दो खुराकों के बीच ज्यादा अंतर हो तो 300 प्रतिशत ज्यादा एंटीबॉडीज शरीर में बनती है।

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इसी तरह वैक्सीन की दो डोज लेना भी जरूरी है, क्योंकि पहली डोज से लोगों के शरीर में एंटीबॉडी बनती हैं, वहीं दूसरा डोज एंटीबॉडी को स्ट्रांग करता है। इसी वजह से कोरोना से बचाव के लिए डबल डोज वाली वैक्सीन ज्यादा करागर मानी जा रही हैं। दो डोज वाली वैक्सीन की डिमांड कई देशों में है।