शिक्षा मंत्री का भाई गरीब कोटे से बना असिस्टेंट प्रोफेसर, सोशल मीडिया पर बवाल

उत्तरप्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के सगे भाई की नियुक्ति पर उठ रहे सवाल, सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी में बने असिस्टेंट प्रोफेसर

Updated: May 23, 2021, 07:19 AM IST

Photo Courtesy: News18
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सिद्धार्थ नगर। उत्तरप्रदेश के सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु में अरुण द्विवेदी असिस्टेंट प्रोफेसर बनाए गए हैं। उनका चयन ईडब्ल्यूएस यानी आर्थिक रूप से कमजोर जनरल कैंडिडेट के कोटे से हुई है। द्विवेदी की नियुक्ति सोशल मीडिया पर सुर्खियों में है, चूंकि वह राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश द्विवेदी के सगे भाई हैं।

असिस्टेंट प्रोफेसर बनाए जाने के बाद मंत्रीजी के भाई अरुण द्विवेदी ने शुक्रवार को ही सिद्धार्थ विश्वविद्यालय जॉइन किया है। द्विवेदी का चयन मनोविज्ञान विभाग में किया गया है। उनकी पोस्टिंग भी गृह जनपद में हुई है। उनके भाई व राज्य सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी जिले के ही इटवा विधानसभा सीट से विधायक चुनकर आए हैं। अरुण के नियुक्ति में पक्षपात व नियमों के उल्लंघन के आरोपों को विश्वविद्यालय ने खारिज कर दिया है। वहीं मंत्रीजी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

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सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे ने इस बारे में बताया है कि मनोविज्ञान में लगभग डेढ़ सौ आवेदन आए थे जिनमें से मेरिट के आधार पर 10 कैंडिडेट्स को चुना गया था। मेरिट लिस्ट में अरुण द्विवेदी का भी नाम था। इन सभी 10 लोगों का जब इंटरव्यू लिया गया तो उसमें अरुण दूसरे स्थान पर थे। लेकिन इंटरव्यू, एकेडमिक रिकार्ड्स और अन्य अंकों को जोड़ने के बाद वह सभी प्रतियोगियों को पछाड़कर पहले स्थान पर आ गए, जिस वजह से हमें उनका चयन करना पड़ा।

कुलपति ने दावा किया कि उन्हें इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि वे बेसिक शिक्षा मंत्री के सगे भाई हैं। बकौल सुरेंद्र दुबे, 'मुझे नियुक्ति के बाद सोशल मीडिया के माध्यम से इस बात की जानकारी लगी कि वे सतीश द्विवेदी के भाई हैं। ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र जारी करना तो प्रशासन का काम है। यदि उन्होंने फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया होगा तो वे दंड के भागी होंगे। हमारे यहां पारदर्शी तरीके से चयन किया गया है, इंटरव्यू का वीडियो भी हमारे पास है।'

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बताया जा रहा है कि सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग में दो पद खाली था। इसमें एक पद ओबीसी कैटेगरी के उम्मीदवार के लिए आरक्षित था वहीं दूसरा समान्य वर्ग से आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर यानी ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के उम्मीदवार के लिए। आर्थिक रूप से गरीब सामान्य वर्ग के पद के लिए अरुण द्विवेदी को सबसे उपयुक्त माना गया जिसके बाद उनकी सिलेक्शन हुई। अब सवाल उनकी काबिलियत को लेकर नहीं उठ रहे हैं, लोगों के पल्ले बस यह नहीं पड़ रहा है कि मंत्रीजी के भाई इतने गरीब कैसे हुए जो उन्हें आरक्षित सीट से आवेदन देना पड़ा।