कृषि कानून वापस नहीं हुए तो लौटा दूंगा खेल रत्न सम्मान, बॉक्सर विजेंदर सिंह का एलान

बॉक्सर विजेंदर सिंह आज किसान आंदोलन को समर्थन देने सिंघु बॉर्डर पहुंचे, विजेंदर से पहले भी कई हस्तियाँ कर चुकी हैं अवॉर्ड लौटाने का एलान

Updated: Dec 06, 2020, 09:41 PM IST

Photo Courtesy : Indian Express
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नई दिल्ली। किसान आंदोलन के समर्थन में अब बॉक्सर विजेंदर सिंह भी उतर आए हैं। विजेंदर सिंह ने कहा है कि अगर केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती है तो खेल के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए उन्हें दिया गया खेल रत्न सम्मान वे लौटा देंगे। विजेंदर सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों के पास पहुंच कर इस बात ऐलान किया।  

विजेंदर सिंह ने सिंघु बॉर्डर पर किसानों का खुलकर समर्थन करते हुए कहा, अगर सरकार ये काले कानून वापस नहीं लेती तो मैं सरकार को खेल का सबसे बड़ा सम्मान राजीव गांधी खेल पुरस्कार वापस करूंगा।' केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरुद्ध किसानों के आंदोलन को पंजाब और हरियाणा से आने वाली तमाम बड़ी हस्तियों का समर्थन मिल रहा है।

उधर, राष्ट्रीय बॉक्सिंग टीम के पूर्व कोच गुरबक्श सिंह संधू ने भी अपना द्रोणाचार्य अवॉर्ड लौटाने की बात कही है। उनका कहना है कि अगर नए कृषि नियमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वह अपना द्रोणाचार्य अवॉर्ड लौटा देंगे।

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केंद्र के कानूनों के विरुद्ध अपना सांकेतिक विरोध जताने के लिए कई लोग अपने सम्मान लौटाने का एलान कर चुके हैं। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल अपना पद्मविभूषण सम्मान लौटा चुके हैं। सुखदेव सिंह ढींडसा भी पद्मभूषण सम्मान लौटा चुके हैं। पंजाब के कुछ साहित्यकारों ने भी अपना सम्मान लौटाया है। इसी क्रम में अब बॉक्सर विजेंदर सिंह ने सम्मान लौटाने की चेतावनी दी है। 

वहीं पंजाब होम गार्ड्स के एक सेवानिवृत्त कमांडेंट राय सिंह धालीवाल ने अपना राष्ट्रपति मेडल वापस लौटाने की बात कही है। उथर, किसानों के सपोर्ट में लेखक डॉ. मोहनजीत, चिंतक डॉ. जसविंदर और पत्रकार स्वराजबीर ने अपने साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिए हैं।वहीं कारसेवा खडूर साहिब वाले बाबा सेवा सिंह ने पद्मश्री ऑवर्ड लौटाने का ऐलान किया।

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पिछले 11 दिनों से दिल्ली हरियाणा बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन रत हैं। इस बीच में केंद्र सरकार तीन दफा किसानों से बातचीत भी कर चुकी है। लेकिन हर बैठक बेनतीजा निकली है। कृषि कानूनों पर अगली बातचीत 9 दिसंबर को होने वाली है। इससे पहले किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है। बता दें कि कृषि कानूनों में केंद्र सरकार संशोधन करने के लिए राज़ी है लेकिन किसान तीनों कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर डटे हुए हैं।