फौज में सेलेक्ट हो चुके युवाओं को नियुक्ति का अधिकार नहीं, अग्निपथ से पहले चयनित युवाओं को SC का झटका

दिल्ली हाईकोर्ट ने अग्निपथ योजना के खिलाफ दायर सभी 23 याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी फौज में सेलेक्ट हो चुके युवाओं को झटका दिया है।

Updated: Apr 10, 2023, 07:01 PM IST

नई दिल्ली। 'अग्निपथ योजना' से पहले सेना और वायु सेना में भर्ती प्रक्रिया के तहत चयनित युवाओं को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहते हुए दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया कि फौज में सेलेक्ट हो चुके युवाओं को नियुक्ति का अधिकार नहीं है। याचिकाकर्ता भर्ती के लिए निहित अधिकारों का दावा नहीं कर सकते।

दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने फरवरी में अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने केंद्र की अग्निपथ योजना के खिलाफ दायर सभी 23 याचिकाओं को एकसाथ खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के इसी फैसले को SC में चुनौती दी गई थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसले को चुनौती देने वाली दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा, अग्निपथ योजना से पहले तीनों सेनाओं में रैलियों, शारीरिक और चिकित्सा परीक्षणों जैसी भर्ती प्रक्रियाओं के माध्यम से चुने गए उम्मीदवारों के पास नियुक्ति का निहित अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ गोपाल कृष्ण और अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा दायर अलग-अलग याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा, माफ कीजिए। हम दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेंगे। हाईकोर्ट ने सभी सभी पहलुओं पर विचार करके फैसला सुनाया था। 

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर टिपण्णी करते हुए कांग्रेस नेता गुरदीप सिंह सप्पल ने कहा कि, "वो युवा, जो जी-तोड़ मेहनत के बाद सेलेक्ट हुए थे, जिनके घरों में ख़ुशियों की लहर दौड़ गई थी कि फ़ौज की पक्की नौकरी मिल गई है, उनसे और उनके परिवार वालों से पूछिये कि हाथ में आयी सरकारी नौकरी जाने का दर्द क्या होता है। सेलेक्ट होने के बाद भर्ती का अधिकार नहीं है, ऐसा फ़ैसला आया है।"