चार दिन पैदल चली बच्‍ची हुई थी तस्‍करी की शिकार

तेलंगाना से छत्तीसगढ़ के स्थित अपने घर जाने के लिए पैदल निकली और घर से 14 किमी पहले ही रास्ते में दम तोड़ देने वाली 12 वर्षीय बच्‍ची ह्यूमन ट्रैैफिकिंग की शिकार हुई थी।

Publish: Apr 24, 2020, 11:48 PM IST

file photo
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लॉकडाउन के बीच तेलंगाना से छत्तीसगढ़ के बीजापुर स्थित अपने घर जाने के लिए पैदल निकली और घर से 14 किमी पहले ही रास्ते में दम तोड़ देने वाली 12 वर्षीय जमलो मडकामी ह्यूमन ट्रैफिकिंग की शिकार हुई थी। उसके साथ कुल पांच नाबालिग लड़कियों को काम करवाने के लिए तेलंगाना ले जाया गया था। इस मामले में अब पुलिस ने दो लोगों के खिलाफ मानव तस्करी का केस दर्ज किया है। आरोप है कि दोनों व्यक्ति नाबालिग बच्ची को तेलंगाना के मिर्ची फार्म पर काम करने के लिए ले गए।

12 साल की बच्ची अपने परिवार का पेट भरने के लिए बीजापुर के आदेड गांव से रोजगार की तलाश में तेलंगाना के पेरूर गांव गयी हुई थी। लॉकडाउन के बाद वो अपने ही गांव के 11 लोगों के साथ पैदल ही जंगली रास्ते से होते हुए तेलंगाना से बीजापुर के लिए रवाना हुई। तेलंगाना के पेरूर गांव से अपने घर वापस आने के लिए 11 लोगों के साथ बच्ची भी निकली। लगातार 3 दिनों तक पैदल सफर कर छत्तीसगढ़ के बीजापुर के मोदकपाल इलाके में 12 साल की जमलो मडकामी पहुंची ही थी कि डिहाइड्रेशन का शिकार होकर इस मासूम बच्ची की मौत हो गई। बच्ची की जहां मौत हुई वहां से उसका घर 14 किलोमीटर दूर था। बच्ची की मौत 18 अप्रैल को हुई थी।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक श्रम विभाग ने इस मामले  में केस दर्ज किया है। बीजापुर कोतवाली में आईपीसी की धारा 370 (मानव तस्करी), 34 (समान स्वार्थ की पूर्ति के लिए कई लोगों द्वारा किया गया कार्य) और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 79 (बाल कर्मचारी का शोषण) के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

श्रम विभाग के सचिव सोनमणि बोरा ने कहा, "अपनी जांच में हमने पाया कि आदेड गांव की रहने वाली सुनीता मडकामी नामक महिला बिना किसी को बताए गांव की पांच नाबालिग लड़कियों को तेलंगाना में मिर्ची फार्म में काम करने ले गई। हमने महिला समेत तेलंगाना में कन्नाइगुडा गांव के रहने वाले कॉन्ट्रेक्टर संतोष मंचल के खिलाफ संबंधित धारा में एफआईआर दर्ज की गई है।"