मुंबई हमले में आतंकियों से लड़ने वाला NSG कमांडो बना ड्रग्स माफिया, 200 किलो गांजे के साथ गिरफ्तार

राजस्थान ATS ने बजरंग सिंह के पास से 200 किलो गांजा की खेप बरामद की है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार ओडिशा-तेलंगाना में पुराने संपर्कों को इस्तेमाल कर बजरंग सिंह इस गैंग को चला रहा था।

Updated: Oct 03, 2025, 04:57 PM IST

जयपुर। राजस्थान की एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (ATS) और एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने अपने संयुक्त अभियान में गांजा तस्करी के बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इस रैकेट के सरगना बजरंग सिंह को गिरफ्तार किया है। पुलिस की जांच में पता चला है कि बजरंग सिंह गांजा तस्कर बनने से पहले नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स (NSG) का पूर्व कमांडो रह चुका है। उसने मुंबई में जब 26/11 का हमला हुआ था तो उस दौरान आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया था।लेकिन अब वो ड्रग्स माफिया बन चुका है।

गांजा तस्करी में पकड़े जाने के बाद पुलिस ने बजरंग सिंह के गिरोह को लेकर कई बड़े खुलासे किए हैं। बजरंग सिंह का गैंग ओडिशा, तेलंगाना और राजस्थान में सबसे ज्यादा सक्रिय है। नशे के कारोबार में बजरंग सिंह एक बड़ा नाम है। यही वजह है कि पुलिस को बीते लंबे समय से उसकी तलाश थी। पुलिस ने बजरंग सिंह पर 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था। राजस्थान ATS ने बजरंग सिंह के पास से 200 किलो गांजा की खेप बरामद की है। 

पुलिस अधिकारियों के अनुसार ओडिशा-तेलंगाना में पुराने संपर्कों को इस्तेमाल कर बजरंग सिंह इस गैंग को चला रहा था। बजरंग सिंह की सेना में एंट्री से लेकर ड्रग्स माफिया बनने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। बजरंग सिंह ने दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन उनकी छह फुट लंबी कद-काठी और फिटनेस ने उन्हें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में करियर बनाने में मदद की। बीएसएफ कांस्टेबल के रूप में अपनी सेवा के दौरान, उन्होंने पंजाब, असम, राजस्थान, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में घुसपैठियों से देश की सीमाओं की रक्षा की और माओवादियों से भी लड़ाई लड़ी।

देश की सुरक्षा के प्रति उसके समर्पण को जब बड़े अधिकारियों ने देखा और उन्हें देश के विशिष्ट आतंकवाद-रोधी बल, एनएसजी में चुन लिया गया। उन्होंने सात साल तक कमांडो के रूप में सेवा की। एनएसजी में अपनी सेवा के दौरान, उन्होंने 2008 में 26/11 के आतंकवाद-रोधी अभियान में हिस्सा लिया और आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया। पुलिस के अनुसार साल 2021 में बजरंग सिंह की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई और वह राजस्थान स्थित अपने गांव लौट आए और एक राजनीतिक दल के सक्रिय कार्यकर्ता बन गए। उन्होंने अपनी पत्नी को भी पंचायत चुनाव में उतारा, लेकिन वह हार गईं।

इसके बाद उसने नशे के कारोबार में कदम रख दिया। राजनीति में रहते हुए ही वह आपराधिक बैकग्राउंड वाले लोगों के संपर्क में आया था। ऐसे ही एक सहयोगी से उसे गांजे के कारोबार से होने वाले मुनाफे के बारे में पता चला। ओडिशा में अपने निजी संबंधों और बीएसएफ के दिनों के अनुभव का इस्तेमाल करते हुए, उसने ओडिशा और तेलंगाना तक अपने इस रैकेट को फैलाया। उसने पुराने संपर्कों का इस्तेमाल किया और ऐसे अपराधों में शामिल कुछ लोगों से दोस्ती कर ली। एक साल के भीतर ही,वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ता गया और गांजा सिंडिकेट का सरगना बन गया।

पुलिस की पूछताछ में उसने बताया कि वह छोटी-छोटी खेपों का कारोबार नहीं करता था। उसने ऐसे काम किए जो बहुत जोखिम भरे थे जैसे राज्य की सीमाओं के पार क्विंटलों गांजा पहुंचाना। पिछले कुछ वर्षों में उसके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए, जिनमें से एक उसके ज़िले सीकर में भी दर्ज किया गया था। उस दौरान उसके पास से कई क्विंटल प्रतिबंधित नशीला पदार्थ बरामद किया गया था। 2023 में, उसे हैदराबाद के पास दो क्विंटल गांजा की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वो पहले भी जेल जा चुका है।