दफ्तर दरबारी: बड़े बंगले में पहुंचे आईएएस मोहम्मद सुलेमान, कुर्सी का सस्पेंस बरकरार
MP News: सीएस पद के प्रमुख दावेदार मोहम्मद सुलेमान ने अपना ठिकाना बदल लिया है। चार इमली में मुख्य सड़क के बाईं ओर रहने वाले सुलेमान अब सड़क के दाईं ओर बने बंगले में चले गए हैं। उनके ठिकाना बदलते ही सीएस की कुर्सी की चाल भी बदल गई है।

यूं तो मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को छह माह की सेवावृद्धि मिले अभी दो माह ही हुए हैं। अभी वे चार माह और मुख्य सचिव रहेंगे। मगर अभी से नए मुख्य सचिव को लेकर चर्चाएं चल पड़ी हैं। पिछली बार की तरह अब भी दो नामों आईएएस अनुराग जैन और आईएएस मोहम्मद सुलेमान को ही प्रमुख दावेदार माना जा रहा है। लेकिन इसी बीच आईएएस सुलेमान के एक कदम ने जिज्ञासाएं जगा दी है।
सीएस पद के प्रमुख दावेदार मोहम्मद सुलेमान ने अपना ठिकाना बदल लिया है। चार इमली में मुख्य सड़क के बाईं ओर रहने वाले सुलेमान अब सड़क के दाईं ओर बने बंगले में चले गए हैं। सुलेमान डी 3/23 में रहा करते थे मगर अब पहले से ज्यादा ‘बड़े’ बंगले में ‘बी 15’ में चले गए हैं। खासबात यह है कि यह बंगला मुख्य सचिव का आवास है। आवास बदले जाने के निर्णय में भविष्य के संकेत देखे जा रहे हैं। नए और पुराने बंगलों में रौनक और साज सज्जा भी की जा रही है। हालांकि, यह सज्जा परिवार में मांगलिक कार्य के लिए की जा रही है मगर आगंतुकों का ध्यान तो आकृष्ट कर ही रही है।
राजधानी में मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के बंगले इयर मार्क बंगले माने जाते हैं। इस तय बंगले में आने को लेकर सुलेमान के समर्थक उन्हें भविष्य का मुख्य सचिव मान चुके हैं। माना जा रहा था कि नवंबर में ही सुलेमान को मुख्य सचिव बनाए जाने की खबर आ जाएगी लेकिन तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र सरकार से मुख्य सचिव के रूप में इकबाल सिंह बैंस का कार्यकाल छह माह बढ़वा लिया।
अब मई में ही तय हो पाएगा कि बंगले के बाद क्या आईएएस सुलेमान मंत्रालय में सीएस के चेंबर में काबिज हो पाते हैं या नहीं। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट की सफलता को आईएएस सुलेमान की दक्षता बता कर समर्थक दावा कर रहे हैं कि अब उनकी राह मुश्किल नहीं है। देखना होगा कि समर्थकों की मंशा पूरी होती है या उनके विरोधियों की चालें कामयाब होती हैं जो आईएएस सुलेमान की राह रोकने के लिए कभी पर्चेबाजी करते हैं तो कभी पुराने मामलों को ताजा बनाने के जतन करते हैं।
सर्च के लिए एक साथ पहुंचे 15 आईपीएस, हुई उथल पुथल
आमतौर पर जब कोई बड़ी छापामारी कार्रवाई करनी होती है या कोई बड़ी सर्च तो जांच अमला एक काफिले के रूप में पहुंचता है। जबलपुर के कोतवाली बाजार में जब एक दर्जन गाडि़यों का काफिला पहुंचा तो यही कयास लगाए गए कि कोई बड़ी सर्च होने वाली है। इस काफिले में 15 आईपीएस शामिल थे तो हड़कंप मचना लाजमी था। इतनी गाडि़यों को देख कर लोग कयास लगाने लगे कि निशाना कौन है?
जब यह काफिला रेडिमेड शॉप पर जा कर रूका तो वहां भीड़ जमा हो गई। खोजबीन के बाद जो कारण पता चला तो लोग कहकहे लगाते हुए आगे बढ़ गए। असल में जबलपुर के मुख्य बाज़ार में एक साथ 15 आईपीएस अधिकारी किसी सर्च के लिए नहीं बल्कि अपने लिए मुफीद कपड़ों की सर्च में पहुंचे थे। यह खोज भोपाल में 4 और 5 फरवरी को होने जा रही आईपीएस मीट के लिए थी। ये आईपीएस अधिकारी सांस्कृतिक कार्यक्रम में देशभक्ति गीत पर प्रस्तुति के लिए तैयारी कर रहे थे। इन आईपीएस अधिकारियों का नेतृत्व शहडोल के आईजी डीसी सागर ने किया। उनके साथ जबलपुर, शहडोल और बालाघाट ज़ोन में पदस्थ आईपीएस अधिकारी आए थे।
विकास यात्रा की बात करने पहुंचे मित्र, शत्रु पर भड़ास निकाल पर लौटे
इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव एकबार फिर चर्चा में हैं। इसबार का कारण निगम में अफसरशाही का बोलबाला है। यूं तो महापौर पुष्यमित्र भार्गव कभी भी निगम आयुक्त आईएएस प्रतिभा पाल के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहने से बचते हैं लेकिन इस बार उनका आक्रोश सामने आ ही गया।
हुआ यूं कि 5 फरवरी से आरंभ हो रही विकास यात्रा पर बात करने के लिए पुष्यमित्र भार्गव ने एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में महापौर परिषद (एमआईसी) के सदस्य तो पहुंचे लेकिन निगमायुक्त या कोई अन्य अधिकारी नहीं पहुंचे। अब अधिकारियों की अनुपस्थिति में विकास कार्यों पर कैसे बात होती? नेताओं ने आपसी बातचीत में अधिकारियों की बेरूखी पर भड़ास निकाली। निष्कर्ष यह निकला कि आईएएस प्रतिभा पाल महापौर पुष्यमित्र भार्गव और एमआईसी सदस्यों को मनचाही तवज्जो नहीं दे रही है। महापौर तो कुछ नहीं बोले मगर एमआईसी सदस्यों ने जमकर भड़ास निकाली।
यह पहला मामला नहीं है जब निगम अफसरों की मनमानी के कारण महापौर पुष्यमित्र भार्गव असहज हुए हैं। 4 अक्टबूर 2022 को इंदौर के होलकर स्टेडियम पर भारत-दक्षिण अफ्रिका के बीच टी-20 मैच खेला गया। इसके ठीक एक दिन पहले यानी 3 अक्टूबर को नगर निगम की टीम ने एमपीसीए के दफ्तर में छापामार कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई को मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष अभिलाष खांडेकर ने मनमानी कार्रवाई बताया था। आरोप था कि अधिकारियों ने पास न मिलने के कारण यह बदले की कार्रवाई की। इस मामले पर भी महापौर चुप्पी साध गए थे।
हालांकि इंदौर के पड़ोसी जिले खंडवा में महापौर से विवाद के बाद नगर निगम कमिश्नर सविता प्रधान को हटा दिया गया था। नगर निगम चुनाव के बाद पहली मेयर इन काउंसिल की बैठक में ही कमिश्नर सविता प्रधान का महापौर अमृता यादव से विवाद हो गया था। महापौर ने बैठक में आयुक्त के खिलाफ खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित कर मोर्चा खोल दिया था। खंडवा महापौर की जिद को पूरी हुई मगर इंदौर महापौर पुष्यमित्र भार्गव फिलहाल कसमसा कर रह गए हैं।
चुनाव के लिए कलेक्टरों की जमावाट, उज्जैन को मिले पुरुषोत्तम
आईएएस मीट के ठीक पहले राज्य सरकार ने सात कलेक्टर बदल दिए। इस सूची में उज्जैन, ग्वालियर व खरगोन जैसे संवेदनशील जिलों में सरकार ने चुनावी जमावट कर कर ली है।
देर रात जारी हुई तबादला सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम कुमार पुरुषोत्तम का था। वे मई 2022 में ही रतलाम से खरगोन भेजे गए थे। जबकि रतलाम कलेक्टर बने हुए उन्हें एक साल का ही वक्त हुआ था। वे रतलाम में अच्छा काम भी कर रहे थे मगर खरगोन में दंगों के बाद की स्थिति को संभालने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पसंदीदा अफसर आईएएस कुमार पुरुषोत्तम को पर ही भरोसा जताया था। अब जब चुनाव के पहले की प्रशासनिक जमावट की बारी आई तो शिवराज ने कुमार पुरुषोत्तम को उज्जैन भेज कर उन्हें बड़ा दायित्व दे दिया है। जबकि उज्जैन के कलेक्टर आशीष सिंह की कार्यप्रणाली से सरकार खुश नहीं थी। महाकाल लोक में आर्थिक गड़बड़ी के मामले में लोकायुक्त ने जिन 15 अफसरों को नोटिस दिए थे उनमें कलेक्टर आशीष सिंह भी थे। इस कार्रवाई के बाद उन्हें हटाना तय माना जा रहा था। हालांकि, उन्हें तुरंत नहीं हटाया गया था।
ग्वालियर में भी कलेक्टरकौशलेन्द्र विक्रम सिंह की कई राजनीतिक शिकायतें मिल रही थीं। उन्हें हटा कर शिवपुरी के कलेक्टर अक्षय सिंह को ग्वालियर भेजा गया है। जबकि कौशलेन्द्र विक्रम सिंह पर भरोसा जताते हुए मुख्यमंत्री सचिवालय में अपर सचिव बनाया गया है।