दफ्तर दरबारी: विपक्ष को तेवर दिखाने वाले प्रमोटी अफसरों को तवज्‍जो, मैदानी जमावट पर जोर 

एमपी में हुए आईएएस ट्रांसफर में माना जा रहा है कि सीएस इकबाल सिंह बैस ने सेवानिवृत्ति के पहले अपनी तरह से अफसरों की जमावट कर दी है। जब तक नए सीएस फेरबदल नहीं करेंगे तब तक वर्तमान सीएस की प्रशासनिक टीम ही काम करेगी।  दूसरी तरफ सरकार के दावों की पोल खोल एक आईएएस चर्चा में हैं।  

Updated: Nov 12, 2022, 09:05 AM IST

मुख्‍यसचिव इकबाल सिंह बैंस और मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
मुख्‍यसचिव इकबाल सिंह बैंस और मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

आखिरकार मध्‍य प्रदेश में बहुप्र‍तीक्षित प्रशासनिक सर्जरी हो ही गई। मुख्‍य सचिव इकबाल सिंह बैंस के रिटायरमेंट और मिशन 2023 की दृष्टि से यह प्रशासनिक फेरबदल काफी मायने रखता है। हुआ भी यही। जहां ऊपरी स्‍तर पर किए गए तबादलों से चौंकाया तो मैदानी में पोस्टिंग में चुनावी जमावट साफ दिखी। सरकार ने फिर से प्रमोटी अफसरों पर भरोसा जताया है। विपक्ष के प्रति तीखे तेवरों के लिए गुड बुक में रहने वाले अफसरों को इस मैदानी जमावट में प्रा‍थमिकता मिली है। 

मध्‍य प्रदेश में शिवराज सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए आईएएस के तबादलों का विश्‍लेषण करते हैं तो यही बात उभरती है। सबसे पहले मैदानी जमावट को समझते हैं। राज्य सरकार ने 15 जिलों में नए कलेक्टर बनाए हैं। इनमें आठ अफसरों को पहली बार कलेक्टरी मिली है। जबकि चुनावी साल में अनुभवी अधिकारी को मैदान की कमान दी जाती है।

दूसरी तरफ 18 जिलों में प्रमोटी अफसर हैं। प्रमोटी आईएएस और सीधी भर्ती के आईएएस में अनुभव और कौशल को लेकर एक खास तरह की प्रतिस्‍पर्धा और टकराव चलता रहता है। चुनाव के साल में नए सीधी भर्ती के आईएएस व राज्‍य सेवा से पदोन्‍नत हुए आईएएस को मिली इस पोस्टिंग से उन पर एक खास तरह का दबाव होगा। यूं भी मैदानी पोस्टिंग के लिए सत्‍ता के प्रति आस्‍था पहली योग्‍यता मानी जाती है। शायद यही कारण है कि जिलों में पदस्‍थ अधिकारी विपक्ष के प्रति सख्‍त तेवर दिखलाते हैं और सत्‍ता पक्ष के प्रति अतिरिक्‍त उदार होते हैं। 

शुक्रवार को रतलाम में हुई घटना इस बात का एक उदाहरण है। शुक्रवार दोपहर करीब चार बजे झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया, राऊ विधायक जीतू पटवारी, सैलाना विधायक हर्षविजय गेहलोत, कालापीपल विधायक कुणाल चौधरी, थांदला विधायक वीरसिंह भूरिया, पेटलावद विधायक वालसिंह मेड़ा कांग्रेस विधायक पर दर्ज हुए मामले पर विरोध जताने कलेक्टर कार्यालय पहुंचे थे। विपक्ष के छह विधायक इंतजार करते रहे मगर कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी से प्रतिनिधिमंडल से सार्वजनिक रुप से मिलने से इंकार कर दिया। बाद में करीब डेढ़ घंटे के धरने के बाद कक्ष में मुलाकात हुई लेकिन विधायकों की कलेक्‍टर से बहस हो गई। वे बगैर कोई ज्ञापन दिए चले आए।

कांग्रेस के साथ अन्‍य विपक्षी नेताओं को तो मैदानी अफसरों से शिकायत है कि वे उनकी सुनते नहीं हैं बल्कि सत्‍ता पक्ष को लाभ पहुंचाने का काम करते हैं। जनप्रतिनिधि कलेक्‍टरों द्वारा अवहेलना और प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने की शिकायत करते हैं मगर प्रश्रय के कारण कोई कार्रवाई हो नहीं पाती है। दूसरी तरफ सत्‍ताधारी दल के नेताओं को अफसरों से हमेशा शिकायत होती है। 

डिंडौरी कलेक्‍टर रत्‍नाकर झा का तबादला ऐसी ही एक नजीर है। आम तबादला सूची से अलग राज्‍य सरकार ने डिंडौरी कलेक्‍टर रत्‍नाकर झा को हटाने का आदेश अलग से जारी किया। इस आदेश के पहले जिला पंचायत अध्‍यक्ष व कांग्रेस नेता रूदेश परस्‍ते से कलेक्‍टर रत्‍नाकर झा का विवाद चर्चा में आ गया था। परस्‍ते ने कलेक्‍टर के खिलाफ मामला दर्ज करवाने के लिए पुलिस थाने में शिकायत की थी। बताते हैं कि कलेक्‍टर रत्‍नाकर झा को इसलिए नहीं हटाया बल्कि रत्‍नाकर झा की विदाई की स्क्रिप्‍ट बीजेपी नेताओं ने लिखी है।

जिला पंचायत चुनाव में आपसी टसल के कारण बीजेपी उम्‍मीदवार ज्‍योति धुर्वे हार गई थीं। पूर्व मंत्री और बीजेपी के राष्‍ट्रीय मंत्री ज्‍योति धुर्वे ने आरोप लगाया था कि वे केंद्रीय मंत्री फग्‍गन सिंह कुलस्‍ते के कारण हारी हैं। बीजेपी नेताओं के बीच गुटबाजी की यह शिकायत भोपाल में संगठन तक पहुंची थी। लगातार शिकायतों के बाद संगठन का प्रेशर बना तो कलेक्‍टर को हटाने का सिंगल आदेश जारी किया गया। उन्‍हें अभी कोई पद भी नहीं दिया गया है। झा की जगह एक अन्‍य प्रमोटी आईएएस विकास मिश्रा को भेजा गया है। 

ऐसे तमाम उदाहरणों से संकेत मिलते हैं कि मिशन 2023 के लिए प्रशासनिक मैदानी जमावट में प्रमोटी अफसरों को तवज्‍जो क्‍यों दी गई हैं। 

क्‍यों हटा दिए प्रिय अफसर, चर्चा में प्रशासनिक सर्जरी 

आईएएस और आईपीएस के तबादलों की लंबे समय से प्रतीक्षा थी लेकिन ये तबादले चौंकाने वाले हुए। चौंकाने वाले इसलिए कि मंत्री से बेहतर तालमेल रखने वाले अफसर भी बदले गए तो सरकार के प्रिय माने जाने वाले व उपलब्धियां दर्ज करवा रहे अफसर भी हटा दिए गए। मानो उन्‍हें अच्‍छे काम की सजा दी गई हो।  

इन परिवर्तनों में सबसे महत्‍वपूर्ण नाम उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव संजय शुक्‍ला का रहा। उन्‍हें इंवेस्‍टर्स समिट के ठीक पहले हटा दिया गया। उनकी जगह नगरीय विकास एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव मनीष सिंह को पदस्‍थ किया गया है। जबकि पीएस मनीष सिंह का विभाग के मंत्री भूपेन्द्र सिंह से अच्‍छा तालमेल था। इंदौर के कलेक्‍टर प्रमोटी आईएएस मनीष सिंह को भी अधिक ताकतवर बना कर भोपाल लाया गया है। वे निवेश तथा मेट्रो का कार्य देखेंगे। 

जबकि लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई को हटा कर नगरीय विकास विभाग में लाना भी अचरज भरा है। पंचायत विभाग से उमाकांत उमराव की विदाई का कारण भी समझ नहीं आया है। 

इन तबादलों को लेकर चर्चा है कि जहां मैदान में पोस्टिंग के दौरान राजनीतिक समीकरणों को ध्‍यान में रखा गया है वहीं शीर्ष प्रशासनिक स्‍थापना में मुख्‍य सचिव इकबाल सिंह ने अपने मुताबिक की है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस इस माह 30 तारीख को रिटायर हो रहे हैं। सेवानिवृत्ति के पहले उन्‍होंने अपनी तरह से अफसरों की जमावट कर दी है। अब जब तक नए सीएस प्रशासनिक फेरबदल नहीं करेंगे तब तक वर्तमान सीएस की प्रशासनिक टीम ही काम करेगी।  

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह दावों की पोल खोलते हुए आईएएस 

जो अफसर कभी सरकार का चेहरा हुए करते थे वे इनदिनों सरकार के दावों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इस बार रिटायर्ड आईएएस राजेश बहुगुणा ने निवेशकों से मुलाकात में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बताए आंकड़ों पर सवाल खड़े किए हैं। मुंबई में उद्योगपतियों के साथ संवाद में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा था कि मध्यप्रदेश में इस साल करेंट प्राइजेज पर हमारी ग्रोथ रेट 19.67 फीसदी है। मध्यप्रदेश का देश की जीडीपी में पहले योगदान 3.6 प्रतिशत था जो कि अब बढ़कर 4.6 फीसदी हो गया है। बेरोजगारी की दर देश में सबसे कम मध्यप्रदेश में है। हमारे यहां बेरोजगारी दर 0.8 फीसदी है। हमने बेरोजगारी दूर करने के लिए कई उपाय किए हैं। 

इस पर रिटायर्ड आईएएस राजेश बहुगुणा ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि मैं सोच रहा हूं कि अगर मध्य प्रदेश की ग्रोथ करेंट प्राइज पर 19.67 प्रतिशत है और बेरोजगारी मात्र 0.8 प्रतिशत ही रह गई है तो अब इस प्रदेश में तो निवेश की आवश्यकता ही नहीं है. उद्योग आएंगे भी तो उद्योगों के लिए मानव संसाधन मिलना ही कठिन हो जाएगा. दूसरे प्रदेशों कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, तेलंगाना, दिल्ली प्रदेशों को उद्योगों की आवश्यकता ज्यादा होगी, जहां बेरोजगारी 0.8 प्रतिशत से काफी अधिक है. लेकिन एक बात समझ में नहीं आती जब ग्रोथ इतनी भयंकर है और बेरोजगारी इतनी कम या नगण्य है तो विकसित मध्य प्रदेश में जीएसटी संग्रह की वृद्धि दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम क्यों है? क्या यह भी पिछले वर्षों में प्राप्त कृषि वृद्धि की महानतम (न भूतो न भविष्यति) दर 24.99 प्रतिशत की तरह कागजों में तैयार किए गए आंकड़े हैं. विभाग को तो उत्कृष्टता पुरस्कार मिलना चाहिए. 

जब सरकार के कर्ताधर्ता रहे अफसर ही ऐसे सवाल उठाएंगे तो विपक्ष का आरोप लगाना तो लाजमी ही है कि सरकार विकास के नाम पर केवल आंकड़ेंबाजी कर रही है। 

गए थे हरी भजन को ओटन लगे कपास

अपने बयानों के कारण चर्चा में रहने वाले आईएएस नियाज खान की स्थिति ऐसी ही है जिस स्थिति के लिए यह कहावत बनी है। इनदिनों आईएएस अफसर सोशल मीडिया पर खासे सक्रिय है। वर्तमान आईएएस को तो मुख्‍यमंत्री ने विभाग के प्रमोशन के निर्देश दिए हैं। मगर इन अफसरों की व्‍यक्तिगत पीड़ा भी सोशल मीडिया पर व्‍यक्‍त होती है। आईएएस अधिकारी नियाज खान की सोशल मीडिया पर की गई ऐसी ही एक पोस्‍ट में उनका दर्द दिखाई दिया है। 

राज्य सरकार ने सोमवार को 15 जिलों में नए कलेक्टर बनाए हैं। इनमें आठ अफसरों को पहली बार कलेक्टरी मिली है। इसके अगले ही दिन मंगलवार को नियाज खान ने ट्वीट कर भ्रष्ट सोसायटी से दूर जंगल में जाने की इच्छा जताई है। नियाज खान ने लिखा कि मुझे मौरो मोरांडी की तरह जीने की तीव्र इच्छा है, जो सार्डिनिया द्वीप में प्रकृति के बीच तीस साल तक अकेले रहे थे। किताब लिखने के लिए कलम और प्रकृति की गोद भ्रष्ट समाज से दूर शांति का आनंद लेने के लिए पर्याप्त है। 

नियाज खान 2015 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। इससे पहले वह राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। प्रमोशन होने के बाद वह आईएएस बने हैं। अभी नियाज खान लोक निर्माण विभाग में उपसचिव पद पर पदस्थ हैं। कश्‍मीर फाइल्‍स फिल्‍म पर टिप्‍पणी, फिर संघ प्रमुख मोहन भागवत की प्रशंसा करने वाले नियाज खान ब्राह्मण को श्रेष्‍ठ बताते हुए एक पुस्‍तक लिख रहे हैं। माना जा रहा है कि वे भी कलेक्‍टर बनने की इच्‍छा रखते हैं मगर जब उनके अरमान पूरे नहीं हुए तो पीड़ा में एकांतवास जाने जैसी बात लिख दी।