दफ्तर दरबारी: कर्मचारियों की माने तो सेट हो गई ईवीएम
मध्यप्रदेश सहित दो पड़ोसी राज्यों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी की ताजपोशी से कर्मचारी निराश है। ओपीएस यानी ओल्ड पेंशन योजना के लिए लड़ रहे कर्मचारी अब खुल कर कहने लगे हैं कि ईवीएम में गड़बड़ी संभव है और लोकतंत्र बचाना है तो ईवीएम हटानी होगी।
पुरानी पेंशन योजना के लिए आंदोलन कर रहे कर्मचारियों को विधानसभा चुनाव परिणाम से झटका लगा है। कर्मचारी मान चुके हैं कि अब ओपीएस पर बीजेपी सरकार को झुकाना आसान नहीं है। दूसरी तरफ, वे यह भी मानने को तैयार नहीं है कि ओपीएस के लिए कर्मचारी एकजुट नहीं हुए और इस कारण बीजेपी को नुकसान नहीं हुआ। बल्कि यह भी आरोप लगे हैं कि कर्मचारियों के परिवारों के वोट भी बंट गए। ओपीएस पर निराश कर्मचारी ईवीएम के विरोध में दिखाई दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर बने अनेक पेजों पर कर्मचारी ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं।
पुरानी पेंशन योजना को लागू करवाने के लिए पूरे देश में संघर्ष कर रहे कर्मचारियों को मध्यप्रदेश और राजस्थान में मिले बहुमत से निराशा है। चुनाव परिणाम आने के बाद कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर अपनी हताशा, निराशा और आक्रोश जाहिर किया है। कर्मचारियों ने यहां तक लिख दिया कि अब ओपीएस यानी पुरानी पेंशन योजना लागू होना संभव नहीं लगता है। कुछ कर्मचारियों ने ईवीएम पर उठ रहे सवालों से भी सहमति जताई है। वे मानते हैं कि ईवीएम में गड़बड़ हुई जिसके कारण उनकी नाराजगी राजनीतिक परिणाम में तब्दील नहीं हुई है। ऐसे अनेक पेज बने हुए हैं जहां ईवीएम के प्रति आंशका जताई जा रही है। इन पेजों में ईवीएम हटाओ, लोकतंत्र बचाओ की आवाज बुलंद कर रहे कर्मचारी नेता टिप्पणियां कर रहे हैं।
नीति विश्लेषक गिरीश मालवीय की टिप्पणी को फारवर्ड कर कहा जा रहा है कि जिस तरह से पेट्रोल पंप की मशीनों में मालवेयर इंस्टॉल किया जा सकता है उसी तरह से ईवीएम को इंटरेनट से जोड़े बगैर भी मतदान की पूरी प्रक्रिया में मालवेयर इंस्टाल किया जाना संभव है। इसका सीधा अर्थ यह है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है लेकिन हम सिर्फ यह मानकर बैठ गए हैं कि ईवीएम तो पवित्र है।
कर्मचारी नेता ओपीएस के मुद्दे पर केवल कर्मचारियों के वेतन का मोटा खर्च बताने पर भी आपत्ति जता रहे हैं। मध्यप्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संगठन के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी कहते हैं कि सरकार स्थापना व्यय का बड़ा बजट बता कर कहती है कि कर्मचारियों की तनख्वाह व पेंशन पर ज्यादा खर्च किया जा रहा है मगर इस स्थापना व्यय में नेताओं, मुख्यमंत्री-मंत्री के वेतन, भत्ते भी शामिल होते हैं। इस तरह केवल कर्मचारियों को दोष देना ठीक नहीं है। कर्मचारी प्रदेश की सरकार तो नहीं बदल पाए लेकिन अपना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री के सलाहकार आईएएस अब अडानी के साथ
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पद से हटाए जाने की खबरों के बीच उनके मीडिया सलाहकार रहे मध्यप्रदेश के सीनियर आईएएस आईपीसी केसरी अब अडानी ग्रुप के साथ जुड़ गए हैं। वे अडानी ग्रुप को ऊर्जा के क्षेत्र में कारोबार बढ़ाने के लिए सुझाव देंगे तथा सहायता करेंगे।
1988 बैच के आईएएस आईपीसी केसरी केंद्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार के साथ काम कर चुके हैं। उन्हें ऊर्जा के क्षेत्र में कार्य करने का लंबा अनुभव है। केंद्र की प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद आईसीपी केसरी को 2012 में मध्यप्रदेश में ऊर्जा विभाग का प्रमुख सचिव बनाया गया था। केंद्र में जाने से पहले आईएएस केसरी प्रदेश में ऊर्जा विभाग का काम संभाल चुके थे। प्रतिनियुक्ति के दौरान भी करीब साढ़े पांच साल तक वे केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेटरी (थर्मल) रहे।
रिटायर होने के बाद उनके किसी महत्वपूर्ण पद पर पुनर्वास की अटकलें थीं। दिसंबर 2022 में उन्हें मुख्यमंत्री सचिवालय में नियुक्त कर सीएम शिवराज सिंह चौहान का मीडिया सलाहकार बनाया गया था। उनका मुख्यालय दिल्ली बनाया गया था।
इस नियुक्ति के करीब एक वर्ष बाद चुनाव में बीजेपी तो भारी बहुमत से जीती है लेकिन शिवराज सिंह चौहान के बदले जाने की चर्चा है। ऐसे में नई सरकार के गठन के पहले ही सीएम के मीडिया सलाहकार आईपीसी केसरी ने पद छोड़ कर अडानी का हाथ पकड़ लिया है। ऊर्जा क्षेत्र की कमान कई वर्षों तक थामने वाले केसरी का साथ अडानी समूह के लिए लाभ वाला होना तय है। रिटायर्ड आईएएस की यह भूमिका राजनेता, ब्यूरोक्रेसी और उद्योगपति के गठजोड़ के कारण चर्चा में है।
लाड़ली बहना वाले अफसर का सम्मान भी एक पासा
नेतृत्व में बदलाव की चर्चा के बीच मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी ताकत दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। जब मुख्यमंत्री पद के दावेदार सारे नेताओं की दिल्ली दौड़ जारी है तब शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा कर दी कि वे दिल्ली नहीं जाएंगे। वे दिल्ली तो नहीं गए बल्कि छिंदवाड़ा, राघोगढ़, उत्तर भोपाल गए और अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। जहां सभी नेता मध्यप्रदेश की जीत में लाड़ली बहना योजना के योगदान को कमतर आंकने में जुटे हुए हैं वहीं शिवराज सिंह चौहान हर जगह बहनों से मिल कर अपने जन शक्ति को दिखा रहे हैं। इस तरह वे मानो नेतृत्व को चुनौती दे रहे हैं कि इतने लोकप्रिय नेता को हटा कर देखें।
शिवराज सिंह चौहान जानते हैं कि जब सभी उन्हें हटाने की तैयारी कर रहे हैं तब महिलाओं के नाराज होने का डर ही उन्हें पद पर कायम रख सकता है। यही कारण है कि कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल जैसे बीजेपी के सभी बड़े नेता कह रहे हैं कि प्रदेश में बीजेपी की जीत में लाड़ली बहना योजना के अलावा भी कई फेक्टर थे। इनमें मोदी की गारंटी एक बड़ा कारण है।
मगर शिवराज हर बार कह रहे हैं कि उनकी बहनों से जीत की राह में बाधा बन रहा कांटा निकाल दिया। मैदान में बहना के साथ संबंधों को बढ़ा चढ़ा कर दिखा रहे शिवराज सिंह चौहान ने इसी राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के बीच योजना का बेहतर क्रियान्वयन का श्रेय देते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव आईएएस अजय कटेसरिया का सम्मान भी कर दिया। यह एक तरह से अफसरों में अपनी अच्छी छवि बना कर जाने का जतन तो है ही केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव का तरीका भी है।
कल के बाद घट जाएगा इन आईएएस का वजन
बीजेपी अब तक अपना मुख्यमंत्री तय नहीं कर पाई है। इस देरी के कारण जितना राजनीतिक पारा हाई है उतना ही प्रशासनिक जगत में उलझने हैं। अब सोमवार को नए सीएम का फैसला होने के बाद प्रदेश के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव का निर्णय तो होगा ही मंत्रालय में बैठने वाले कई सीनियर आईएएस का वजन घटना और बढ़ना भी तय हो जाएगा। ये वे आईएएस हैं जिनके पास शिवराज सरकार में एक ज्यादा विभाग हैं और कुछ ऐसे भी हैं जिनके पास काम नहीं है।
मुख्य सचिव रहे इकबाल सिंह बैंस के रिटायर होने के बाद आईएएस अधिकारियों में अपनी पदस्थापना को लेकर आस जगी है। अभी कुछ अधिकारियों के पास एक से अधिक महत्वपूर्ण विभाग हैं। जैसे, अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान के पास स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, डॉ. राजेश राजौरा के पास गृह, धार्मिक एवं धर्मस्व, डायरेक्टर टीआरआई, जेएन कांसोटिया के पास वन एवं उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण जैसे विभागों का जिम्मा है।
संजय दुबे ऊर्जा एवं नवीन एवं नवकरणीय विभाग, संजय शुक्ला लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं उद्योग विभाग, अशोक वर्णवाल कृषि एवं किसान कल्याण, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक, मनु श्रीवास्तव तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार, खादी एवं ग्रामोद्योग, सुखवीर सिंह लोक निर्माण विभाग, परिवहन विभाग तथा दीपाली रस्तोगी के पास महिला एवं बाल विकास विभाग तथा वाणिज्यिक कर विभाग की प्रमुख सचिव हैं। इन अधिकारियों के दायित्व में बदलाव निश्चित है।