दफ्तर दरबारी: रामबाई को नसीहत देने वाला आईएएस एसोसिएशन तब क्‍यों रहा चुप

कलेक्‍टरों के साथ राजनेताओं द्वारा किए जा रहे दुर्व्‍यवहार पर आखिर आईएएस एसोसिएशन ने चुप्‍पी तोड़ी। अब सवाल उठ रहे हैं कि आईएएस एसोसिएशन अब ही क्‍यों बोला? उधर, कुर्सी की लालच में सक्रिय हुए दरबारी ने चला एक और पैंतरा। 

Updated: Oct 02, 2022, 05:18 AM IST

बसपा विधायक रामबाई परिहार
बसपा विधायक रामबाई परिहार

कलेक्‍टर जिले का मुखिया होता है। और इन दिनों मध्‍य प्रदेश में राजनेताओं द्वारा जिले के मुखिया की दुर्गति की जा रही है। हाल ही में तीन जिलों में कलेक्‍टरों के साथ राजनेताओं ने अपमानजनक व्‍यवहार किया। कुक्षी में तो ट्रेनी आईएएस के साथ शराब माफिया ने मारपीट तक कर दी लेकिन यह अफसरों की कौन सी पॉ‍लीटिक्‍स है कि दो मामलों में आईएएस एसोसिएशन चुप्‍पी साधे रहा जबकि तीसरे मामले में बयान जारी कर अपना साथ जाहिर किया। 

तीसरा मामला शुक्रवार का है। नरसिंहगढ़ में शुक्रवार को जन समस्या निवारण शिविर का आयोजन किया गया था। यहां कई महिलाएं अपनी समस्याएं लेकर पहुंची थीं। शिविर में प्रमुख अधिकारी नहीं पहुंचे। विधायक रामबाई को इस बात पर गुस्सा आया और महिलाओं को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंच गई। विधायक रामबाई ने महिलाओं की समस्याएं बताई तो कलेक्टर एस कृष्ण चेतन्य ने बार-बार चेक करा लेंगे जैसे शब्दों का उपयोग किया तो विधायक भड़क गई और उन्होंने अपना आपा खोते हुए कलेक्टर के लिए ढोर, बेवकूफ और बदतमीज जैसे शब्द उपयोग किए।

इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया हुई। कलेक्टर एस कृष्ण चेतन्य की शिकायत पर एफआईआर भी हो गई है। घटना पर सबसे चौंकाने वाली प्रतिक्रिया हुई मध्य प्रदेश आईएएस एसोसिएशन की। चौंकाने वाली इसलिए क्‍योंकि अपशब्‍दों के प्रयोग पर एसोएिसशन ने बयान जारी कर दिया मगर एक आईएएस की पिटाई व दूसरे आईएएस के साथ दुव्‍यर्वहार पर आईएएस एसोसिएशन चुप रह गया था।

ट्रेनी आईएएस नवजीवन पवार धार जिले के कुक्षी में अवैध शराब को पकड़ने गए थे। वहां पवार के साथ शराब माफिया ने मारपीट की और नायब तहसीलदार राजेश भिङे को बांधकर ले गए। आरोप लगा कि इन शराब माफियाओं को प्रदेश की एक पूर्व मंत्री का संरक्षण प्राप्त है। युवा आईएएस ने ताकतवरों से लड़ने की हिम्‍मत दिखाई, इस हौसले पर साथ देना तो दूर आईएएस एसोसिएशन चुप्पी साधे बैठा रहा। 

दूसरा मामला, ग्‍वालियर का है। 15 सितंबर 2022 को सीएम शिवराज सिंह चौहान के ग्वालियर दौरे के दौरान आरोप लगा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विक्कू सिंह राजावत ने मुख्यमंत्री का सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की। जब सिक्योरिटी गार्ड चंद्रशेखर शर्मा ने उन्हें रोका तो राजावत हमलावर हो गए। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बीच में आकर समझाने की कोशिश की तो उनसे अभद्रता करने लगे। इस दौरान राजावत ने सिक्योरिटी गार्ड की पिस्तौल छीनने की कोशिश की। कलेक्‍टर ने बीजेपी नेता राजावत के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया लेकिन इसके बाद कलेक्टर कमजोर पड़ते हुए दिखाई दिए। पुलिस ने इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। विक्कू सिंह राजावत की गिरफ्तारी के प्रयास भी नहीं हुए। 

आईएएस ऑफिसर के साथ अभद्रता करने वाले बीजेपी नेता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का संदेश दिया जाना था मगर ऐसा कुछ हुआ नहीं। एफआईआर दर्ज कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। राजनीतिक दल ने तो अपने समर्थकों को बचाने का काम किया लेकिन आईएएस एसोसिएशन की पॉलिक्टिस क्‍या है कि वह दो मामलों पर आंखों मूंदे बैठा रहा और एक मामले पर विधायक को अच्‍छे व्‍यवहार की नसीहत देने को तत्‍पर हो गया। दूसरे नेताओं द्वारा आईएएस अफसरों के साथ किए जा रहे अपमानजनक व्‍यवहार पर बोलना भी तो आईएएस एसोसिएशन का धर्म है।  

कुर्सी के लालच में साहब के दरबारी हुए सक्रिय 

मध्‍य प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया यानी मुख्‍य सचिव इकबाल सिंह बैंस नवंबर में रिटायर हो रहे हैं। पिछले कई दिनों से चर्चा है कि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पसंदीदा अफसर बैंस को सेवावृद्धि दी जाएगी। विधानसभा चुनाव को देखते हुए मुख्‍यमंत्री पहले भी ऐसा कर चुके हैं। तत्‍कालीन मुख्‍य सचिव आर परशुराम को छह माह की सेवावृद्धि दी गई थी। 

इकबाल सिंह बैंस की कार्यप्रणाली कई अफसरों यहां तक कि राजनेताओं को भी रास नहीं आती है। पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया सार्वजनिक रूप से उन्‍हें निरंकुश कह चुके हैं। ऐसे में कई लोग हैं जो चाहते हैं कि बैंस को सेवावृद्धि नहीं मिले। इनमें वे लोग भी हैं जो लूपलाइन में हैं और बैंस के हटने के बाद अपने दिन फिरने का इंतजार में हैं। दूसरी तरफ, बैंस के समर्थक भी हैं, जिनकी मंशा है कि बैंस कुछ माह और प्रशासन सत्र थामे रहें। 

चाहतों के इस संघर्ष के बीच कुछ दरबारी सक्रिय हुए हैं और एक पैंतरा चला है। एक पर्चे के रूप में चले गए इस दांव में कुछ आईएएस की छवि बिगाड़ने का काम किया गया है। इस पर्चे को जारी करने वाले की पहचान का खुलासा नहीं हुआ है। जारीकर्ता के रूप में रिटायर्ड आईएएस लिखा गया है। 

पर्चे की सत्‍यता का तो किसी को पता नहीं है लेकिन कई अफसरों और मंत्रियों के नाम का उल्लेख करते हुए उनके द्वारा की गई करोड़ों की आय को काली बताते हुए इसे कमाने के तरीकों को उजागर किया गया है। इस पर्चे को कुछ लोगों ने गंभीरता से लिया है तो कुछ ने हवा में उड़ा दिया है मगर सीएस की सेवावृद्धि रूकवाने के लिए आरोपों की सनसनी फैलाने का पैंतरा तो कामयाब हो ही गया है। अब देखना है कि यह सनसनी सीएस की राह में बाधा बनती है या हर बार के पर्चों की तरह यह भी बेअसर कवादय साबित होगा। 

चुनाव का दबाव, कोई निपटा रहा है, कोई टांग रहा है 

मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के तेवर देख कर उनके प्रिय अफसर थोड़ा  असहज हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव के समय तो मुख्‍यमंत्री चौहान सुन लें कलेक्‍टर काम न हुआ तो टांग दूंगा जैसे जुमले बोलते दिखाई व सुनाई दिए थे मगर इस बार में अधिक एक्टिव हैं। आदिवासी समुदाय को लुभाने के जतन कर रही सरकार की मंशा को नहीं समझने वाले झाबुआ के एसपी को सस्‍पेंड किया है, शिकायतों पर कलेक्‍टर को भी बदल दिया।

आदिवासी क्षेत्र अलीराजपुर व डिंडौरी में खाद्य अधिकारियों को मंच से ही सस्‍पेंड कर दिया। सुबह की समीक्षा बैठक में अनूपपुर की प्रगति की जानकारी लेते हुए मुख्‍यमंत्री चौहान ने जल जीवन मिशन के कार्यपालन यंत्री को गलत जानकारी देने पर माफी मांगने के लिए कहा और बैठक में अफसर ने जनता से माफी भी मांगी। फिलहाल तो मुख्‍यमंत्री चौहान के ये तेवर कम होते दिखाई नहीं दे रहे हैं। अफसर भी यह सोच कर समय काट रहे हैं कि ये दिन भी गुजर जाएंगे जब गुजर गए हजार दिन। 

मगर, ब्‍यूरोक्रेसी के हावी होने और विधायकों व मंत्रियों की अनसुनी करने के आरोप नए नहीं है।  खुद मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मैदान में दिखाई दे रहा है कि अफसर काम नहीं कर रहे हैं। उनके मंत्री भी अब सीएम की तर्ज पर अधिकारियों को फटकारते हुए दिखाई दे रहे हैं। नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भोपाल निगमायुक्‍त के एक फैसले को अपनी शक्ति का इस्‍तेमाल करते हुए निरस्‍त किया तो परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत अपने क्षेत्र में मुख्यमंत्री जन सेवा शिविर में पहुंचे तो अधिकारियों की कार्यशैली पर नाराज हो गए। यहां उन्‍होंने कहा कि अधिकारी व कर्मचारी अधिक से अधिक लोगों के काम निपटाएं,नहीं तो खुद निपटने को तैयार हो जाएं।

काम किया तो लटका दूंगा... 

एक तरफ काम न होने से उपजी नाराजगी है तो दूसरी तरफ काम करने वाले अफसर नेताओं को असहज कर रहे हैं!  ऐसे ही ऑडियो सामने आने के बाद मंत्री रामखेलावन पटेल चर्चा में आ गए। सतना के अमरपाटन में खाद्य सुरक्षा अधिकारी के साथ मारपीट हुई। अफसर का आरोप है कि मुझे ढाबा संचालक और उसके साथियों ने मिलकर पीटा। शिकायत के लिए थाने गए तो 5 घंटे बैठाकर रखा गया लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई। खाद्य सुरक्षा अधिकारी नीरज विश्वकर्मा ने मीडिया को बताया कि मैंने दो व्यापारियों के यहां सैंपलिंग की थी। व्यापारियों ने कार्रवाई न करने के लिए रिश्वत की पेशकश की थी। मैंने अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल ने फोन पर मुझे धमकाया। अफसर उनके ऑडियो सेव कर लिए थे। 

पहले ऑडियो में राज्य मंत्री रामखेलावन पटेल कथित रूप से खाद्य सुरक्षा अधिकारी नीरज विश्वकर्मा से कह रहे हैं कि उनके क्षेत्र में जांच-पड़ताल की कार्रवाई की गई तो उल्टा लटका देंगे। दूसरे ऑडियो में वे कह रहे हैं कि जिले भर में कहीं भी काम करो, लेकिन रामनगर, मुकुंदपुर में नहीं। बहुत शिकायतें मिल रही हैं। इस पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि वह तो एक साल से मुकुंदपुर गए ही नहीं। इस पर मंत्री ने कहा कि जिस दिन मैं भोपाल गया उस दिन लिख कर दे दूंगा तो चले जाओगे झाबुआ-मंदसौर तब कर लेना जांच। 

सरकार चुनाव के दबाव में है, काम नहीं हुए तो वोट कैसे मांगेंगे। वे अफसरों को चेतावनियां दे रहे हैं, सजा दे रहे हैं। साथी मंत्री भी उसी शैली में काम करने लगे हैं। जो ब्‍यूरोक्रेसी अब तक मजे में थी वह फटकारी जा रही है, हालांकि सरकार से विपक्ष का सवाल तो है कि जो अनसुनी कर रहे हैं उन्‍हें इतना बेलगाम होने क्‍यों दिया गया?