दफ्तर दरबारी: मोहन सरकार का टी 20, आयाराम-गयाराम हो गए आईएएस 

MP News: इस हफ्ते एक बड़ी प्रशासनिक सर्जरी का इंतजार था लेकिन जब आधी रात लिस्ट आई तो सब हैरत में रह गए। ऐसा लगा जैसे सरकार अफसरों के साथ सरकार टी-20 का मैच खेल रही है। तबादलों के फास्‍ट ओवर के चलते अफसर आयाराम-गयाराम बन कर रह गए हैं। 

Updated: Nov 17, 2024, 03:42 PM IST

मध्‍य प्रदेश में आधी रात तबादलों का सिलसिला जारी है। आधी रात होने वाले इन तबादलों ने चौंकाने का काम भी जारी रखा है। वरिष्‍ठ आईएएस अनुराग जैन के मुख्‍य सचिव बनने और विभागों के कामकाज की समीक्षा के बाद साफ हो गया था कि प्रदेश में प्रशासनिक सर्जरी होगी। यह प्रशासनिक जमावट नए मुखिया के अनुसार होना तय थी। मगर जब 26 आईएएस की तबादला सूची आई तो कई ऐसे नाम थे जिन्‍हें कुछ समय पहले ही बदला गया था। मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शपथ लेते ही तब के ताकतवर अफसरों को हटा कर लूप लाइन में भेज दिया था। शक्ति संतुलन की तरह बताए गए इस निर्णय पर सरकार खुद ज्‍यादा दिन नहीं टिकी रही। कुछ माह में अफसर फिर महत्‍वपूर्ण पदों पर लौट आए। इनके तबादलों को तब सजा माना गया था तो अच्‍छी पोस्टिंग को पुरस्‍कार माना गया। 

ताजा ट्रांसफर लिस्‍ट में एक चौंकाने वाला नाम शहडोल के कमिश्‍नर का है। शहडोल कमिश्‍नर श्रीमन शुक्‍ल रिश्‍ते में पूर्व गृहमंत्री डॉ. नरोत्‍तम मिश्रा के दामाद हैं। उन्‍हें सवा दो माह में ही हटा दिया गया क्‍योंकि बीजेपी के नेता ही उनकी कार्यशैली से नाराज थे। यही कारण है कि मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव की शहडोल यात्रा के ठीक पहले उन्‍हें भोपाल बुला लिया गया। उनकी जगह सुरभि गुप्ता को शहडोल संभाग का आयुक्त पदस्थ किया गया है। 

एमएसएमई विभाग के सचिव और उद्योग आयुक्त नवनीत कोठारी का एक बार फिर तबादला कर दिया गया है। बताया गया कि शिकायतों के कारण उन्हें छह महीने के भीतर ही हटा दिया गया है। वरिष्‍ठ आईएएस उमाकांत उमराव भी ऐसे ही अफसर हैं  जिन्हें सरकार बार-बार बदल रही है। वे समझ भी पा रहे हैं कि सरकार उनसे नाराज या खुश। नई सरकार बनते ही उन्‍हें भोपाल से बाहर राजस्व मंडल में भेज दिया गया था। फिर उन्हें वापस लाकर श्रम विभाग का पीएस बनाया गया था। अब न ऑर्डर में उन्‍हें ताकतवर बनाते हुए तीन विभाग और दे दिए गए हैं। 

अधिकारी अपने पद पर पहुंच का काम समझते हैं, योजना बना कर लक्ष्‍य पूरा करने की तैयारी करते ही हैं कि फिर से तबादला हो जाता है। सरकार ने अफसरों को आयाराम-गयाराम तो बना रही है लेकिन बार-बार के तबादलों से सरकार का असमंजस ही उजागर हो रहा है। वह यह तय ही नहीं कर पा रही है कि किस अधिकारी से क्‍या काम लेना है। यदि ये तबादले अनुशंसा या शिकायतों के आधार पर हो रहे हैं तो बात और गंभीर है। सरकार का यह असमंजस विभागों का भी असमंजस बन रहा है। अफसरों के बदले जाने से कामकाज का तरीका, प्राथ‍िकताएं, लक्ष्‍य और ‍अंदरूनी व्‍यवस्‍थाएं भी बदल जाती हैं। इस तरह काम भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।     

आखिर आईएएस राजेश राजौरा बन गए ताकतवर 

ज्‍यादा दिन नहीं हुए हैं जब वरिष्‍ठ आईएएस राजेश राजौरा के हाथ से सीएस की कुर्सी चली गई थी। उनका नाम लगभग फाइनल हो चुका था। उन तक बधाइयां पहुंच गई थीं। समर्थक मिठाइयां बांटने की तैयारी कर चुके थे। लेकिन आदेश निकलने में देरी हुई और अंतत: प्रतिनियुक्ति पर दिल्‍ली गए आईएएस अनुराग जैन की मुख्‍य सचिव के रूप में वापसी हो गई। इस तरह राजेश राजौरा सीएस बनते-बनते रह गए। उन्‍हें अगस्‍त तक इंतजार करना होगा क्‍योंकि मुख्‍य सचिव अनुराग जैन अगस्‍त में रिटायर होंगे। यदि उन्‍हें सेवावृद्धि मिल गई तो फिर सीएस के दावेदार आईएएस का इंतजार लंबा हो सकता है। 

लेकिन सीएम डॉ. मोहन यादव ने आईएएस राजेश राजौरा की ताकत बढ़ा कर एक तरह से क्षतिपूर्ति कर दी है। ताजा फेरबदल में सीएम सचिवालय में पदस्थ दो प्रमुख सचिवों राघवेंद्र सिंह और संजय शुक्‍ला को हटा दिया गया है। अब मुख्‍यमंत्री सचिवालय के सारे काम एसीएस राजेश राजौरा के माध्‍यम से ही होंगे। राघवेंद्र सिंह वही अधिकारी हैं जिन पर मुख्‍यमंत्री बनते ही डॉ. मोहन यादव ने सबसे पहले भरोसा कर अपनी टीम में शामिल किया था। 

यानी राजेश राजौरा को सशक्‍त बनाने के‍ लिए मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रमुख सचिव राघवेंद्र सिंह को भी अपनी टीम से हटा दिया। इस तरह मंत्रालय में प्रशासनिक सत्‍ता का केंद्र यदि मुख्‍य सचिव अनुराग जैन हैं तो मुख्‍यमंत्री सचिवालय के सर्वेसर्वा राजेश राजौरा हो गए हैं। अब वे हर विभाग में अधिक अधिकारों के साथ हस्‍तक्षेप कर सकेंगे। इस तरह मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आईएएस राजेश राजौरा को एक छत्र अधिकार दे कर उनके प्रति अपने विश्‍वास को प्रकट किया है। यह प्रशासनिक जगत के लिए भी एक संदेश ही है। 

मन का काम किया, क्या अब मानेंगे कैलाश विजयवर्गीय?

क्‍या मोहन सरकार में नंबर 2 की हैसियत रखने वाले कद्दावर बीजेपी नेता नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय नाराज हैं? ये सवाल बीते कुछ समय के उनके व्‍यवहार से उपजे हैं। बीते कुछ समय से कैलाश विजयवर्गीय कैबिनेट बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। इंदौर में आयोजित कार्यक्रम में मुख्‍यमंत्री की मौजूदगी में कैलाश विजयवर्गीय ने मंच से भी कुछ तल्ख बातें भी कहीं थीं। इससे यह माना गया कि वे सरकार से नाराज है। उनकी नाराजगी के सूत्र विभाग में अफसरों की पोस्टिंग से भी जोड़े गए। 

फिर सवाल उठा कि अगर कैलाश विजयवर्गीय नाराज है तो सरकार ने उन्हें मनाने के लिए कुछ किया क्‍यों नहीं? इस सवाल का जवाब अब मिला है। ताजा फेरबदल में सरकार ने कैलाश विजयवर्गीय के विभाग में पसंदीदा प्रमुख सचिव संजय शुक्ला को पदस्थ कर दिया है। प्रमुख सचिव संजय शुक्ला मुख्यमंत्री सचिवालय में थे और उनके पास महिला एवं बाल विकास विभाग तथा खनिज साधन विभाग का प्रभार भी था। उनसे सभी विभाग लेकर अब केवल नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग का प्रमुख सचिव बना दिया गया है। 

प्रमुख सचिव संजय शुक्‍ला सौम्‍य अफसर हैं और कैलाश विजवर्गीय जब इंदौर में महापौर थे तब संजय शुक्‍ला इंदौर निगम आयुक्‍त थे। तब ही से दोनों के बीच काम का अच्‍छा तालमेल है। समझा जा रहा है कि उन्‍हें कैलाश विजयर्गीय को खुश करने के लिए ही सीएम सचिवालय से नगरीय प्रशासन विभाग भेजा गया है।  

इसके अलावा मोहन यादव सरकार ने एक और अफसर को बदला है। हाउसिंग बोर्ड के एमडी मनीष सिंह को हटा दिया है। मनीष सिंह शिवराज सरकार में विभन्नि दायित्‍व निभाने के बाद जनसंपर्क आयुक्‍त बनाए गए थे। डॉ. मोहन यादव ने मुख्‍यमंत्री बनते ही उन्‍हें भी साइड लाइन कर दिया था। शुरुआत के कुछ माह उन्‍हें काम नहीं दिया गया फिर कमतर विभाग दिया गया। 21 अगस्‍त 2024 को उन्‍हें हाउसिंग बोर्ड का प्रबंध संचालक बनाया गया था। हाउसिंग बोर्ड नगरीय प्रशासन विभाग का हिस्‍सा है।

इंदौर निगम आयुक्‍त और फिर कलेक्‍टर रहते हुए मनीष सिंह और कैलाश विजयवर्गीय के बीच बेहतर रिश्‍ते की खबरें कभी नहीं आई बल्कि कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर को स्‍वच्‍छ बनाने का श्रेय अकेले अफसर को देने पर आपत्ति भी जताई थी। यह भी माना गया कि अपने विभाग में गैर पसंदीदा अफसर की पोस्टिंग कैलाश विजयवर्गीय को नागवार गुजरी है और इसी कारण उन्होंने भोपाल से दूरी बना ली। सरकार ने कैलाश विजयवर्गीय के पसंदीदा अफसर को उनके विभाग का प्रमुख सचिव तो बनाया ही उनकी नापसंद के अफसर को हटा कर स्थितियों को सामान्‍य बनाने की कोशिश की है। 

सोशल मीडिया पोस्ट से एडीएम की खाट खड़ी

सरकार का ध्‍यान सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स पर है और नए नवेले अफसरों से लेकर सीनियर अफसर तक सोशल मीडिया पर सनसनी बने हुए हैं। ऐसी ही एक अफसर हैं नीमच की एडीएम लक्ष्मी गामड़। वे सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती हैं। शनिवार को उनका एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें वे खाट में निवार बुनाई की प्रक्रिया समझा रही थी। वायरल वीडियो में वर्दी पहने दो पुलिसकर्मी ने खाट में निवार की बुनाई करते दिखाई दे रहे हैं।

इस वीडियो के जारी होते ही शिकायत हो गई। पुलिसकर्मियों के अफसरों के घर में काम करवाने पर कई बार आपत्तियां की गई हैं। इस बार भी यही हुआ। जब खाट भरने की वीडियो पोस्ट पर अफसर के खिलाफ कार्रवाई की मांग हुई तो एडीएम  ने न केवल पोस्ट हटाई बल्कि नई पोस्‍ट की जिसमें ‘उड़ता तीर’ लिख कर हंसने वाली इमोजी बना दी। उनके फालोअर्स ने इस पर भी टिप्‍पणियां की लेकिन माना जा रहा है कि इस पोस्‍ट के जरिए एसडीएम लक्ष्‍मी गामड़ ने शिकायतकर्ता पर तंज किया है।