नाग पंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दुर्लभ दर्शन, साल में एक बार खुलता है मंदिर का पट, पूरी होती है मनोकामना
शिवजी को अपनी तपस्या से प्रसन्न करके सर्पों के राजा तक्षक ने पाया था अमरता का वरदान, शिव सानिध्य में रहने के लिए मंदिर में करते हैं निवास, महाकाल के एकांत वास में विघ्न ना हो इसलिए केवल नागपंचमी पर देते हैं नागचंद्रेश्वर के रूप में दर्शन
2. सर्पराज तक्षक ने किया था शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तप
धार्मिक मान्यता के अनुसार सर्पों के राजा तक्षक ने महाकाल को प्रसन्न करने के कठिन तप किया था। जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने तक्षक को अमर होने का वरदान दिया। तभी से नागराज तक्षक ने शिवजी के सान्निध्य में रहने लगे। लेकिन बाबा महाकाल के एकांतवास में किसी तरह का कोई विघ्न ना आए इसलिए तक्षक नागचंद्रेश्वर रुप में नागपंचमी के दिन ही वे दर्शन देते हैं। बाकी 364 दिन परंपरा के अनुसार इस मंदिर के पट बंद रहते है।