जी भाईसाहब जी: भारत जोड़ो यात्रा उतनी चमकी जितनी अंधेरे में धकेलने की कोशिशें हुईं
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ मध्य प्रदेश में लोकप्रियता व चमक हासिल करती जा रही है, भले ही उसे ‘अंधेरे’ में रखने के कई जतन हुए हैं। वहीं, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की समर्थक इमरती देवी ने अपनी ही पार्टी के एक मंत्री को लूट में सहायक तक बता दिया है। कौन है वह मंत्री जिस पर इमरती देवी लगातार निशाना साध रही हैं?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का मध्य प्रदेश में लगभग आधा सफर पूरा हो चुका है। इस दौरान जहां कांग्रेस की ओर से यात्रा को सफल बनाने के कई प्रयत्न हुए तो बीजेपी ने भी यात्रा को निशाने पर लेने का कोई मौका नहीं छोड़ा। मध्यप्रदेश में यात्रा के इस आधे सफर की पड़ताल करें तो पाते हैं कि जैसा राहुल गांधी ने कहा है, यह यात्रा उनका धैर्य बढ़ाने में भी मददगार साबित हुई है। उसी तरह भारत जोड़ो यात्रा मध्य प्रदेश में लोकप्रियता व चमक हासिल करती जा रही है, भले ही उसे ‘अंधेरे’ में रखने के कई जतन हुए हैं।
पिछले 80 दिनों से अधिक समय से चल रही यात्रा के अनुभवों के बारे में जब राहुल गांधी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान उनका सुनने का तरीका भी बदल गया है। वे पहले एक दो घंटे में ही ‘इरिटेट’ हो जाते थे लेकिन अब वे आठ-आठ घंटे तक लोगों को धैर्य से सुन लेते हैं। इंदौर में राहुल गांधी ने मीडिया को बताया कि आज यात्रा में आरएसएस के व्यक्ति आए और उन्होंने कहा है कि मैं आरएसएस का हूं। आपका स्वागत करने आया हूं तो मैंने स्वागत करवाया। मेरी तरफ से यह मेरी जिम्मेदारी है। मुझे लगा इस देश में जो नफरत और हिंसा फैलाई जा रही है। वह इस देश के लिए खतरनाक है। इस देश को नुकसान पहुंचाएगी और मैंने सोचा कि मेरी जिम्मेदारी क्या है और मेरे दिमाग में आया कि इस नफरत के खिलाफ, हिंसा के खिलाफ कुछ किया जाए। यह भारत जोड़ो यात्रा उसी जिम्मेदारी के अहसास का परिणाम है।
उन्होंने यह भी कहा है कि जब केरल से यात्रा शुरू की थी, तो मीडिया ने कहा था कि यहां तो ठीक है, कर्नाटक में दिक्कत आएगी, वहां राहुल के साथ कौन खड़ा होगा! लेकिन, कर्नाटक की भीड़ देखकर कहा गया कि महाराष्ट्र में तो सबसे ज्यादा समस्या है। पर, वहां भी लोगों का जबरदस्त प्रेम मिला। फिर दावा किया गया कि मध्यप्रदेश में तो राहुल गांधी की यात्रा की सफलता संदिग्ध है। लेकिन, मुझे मध्य प्रदेश में जनता का जो स्नेह मिला वो बाकी सभी राज्यों से बहुत ज्यादा है। अब कहा जाने लगा कि राजस्थान में दिक्कत आएगी!
यह बातें बता रही है कि राहुल गांधी के बर्ताव में परिवर्तन आया है और यात्रा ने भी सफलता पाई है। राहुल गांधी की इस यात्रा से मध्य प्रदेश के मालवा में एक खास तरह की राजनीतिक सक्रियता बढ़ी है जिसकी गूंज पूरे प्रदेश में है। बीजेपी यह जानती थी इसीलिए उसने हर तरह से जतन किए और राहुल गांधी की यात्रा को निशाने पर लिया। बीजेपी नेताओं ने इसे भारत तोड़ो यात्रा करार दिया। प्रशासनिक सुस्ती (सक्रियता) ऐसी कि यात्रा मार्ग तथा अंबडेकर जन्मस्थली पर अंधेरा पसरा रहा।
इंदौर में यात्रा का पड़ाव स्थल बदलना पड़ा। नए स्थल चिमनबाग मैदान के सामने के डिवाइडर को भी आनन फानन में तोड़ दिया गया। राजबाड़ा पर सभा का मंच वहां दिया गया, जहां आज तक कभी कोई सभा नहीं हुई। यात्रा मार्ग तक पहुंचने वाले रास्तों पर वक्त से कई घंटे पहले यातायात रोका गया जिससे जनता में यात्रा को लेकर नकारात्मक संदेश जाए। यात्रा के ठीक पहले तक होर्डिंग्स, पोस्टर, बैनर उतारने के लिए नगर निगम ने बड़ी टीम को काम पर लगा दिया।
इतना ही नहीं, कांग्रेस में तोड़फोड़ की दृष्टि से कमलनाथ के मीडिया सलाहकार रहे नरेंद्र सलूजा को बीजेपी में शामिल करवाया गया। कथित रूप में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले वीडियो वायरल हुआ। उस पर बयान दिए गए और एफआईआर भी दर्ज की गई। राहुल गांधी की यात्रा पर बीजेपी में शीर्ष से लेकर स्थानीय नेताओं के बयानों ने बता दिया कि यात्रा एक मकाम प्राप्त कर चुकी है और बीजेपी इसके राजनीतिक महत्व को कम करना चाहती है।
राहुल गांधी की अभिव्यक्ति और यात्रा को लेकर बीजेपी के आक्रामक होने की तस्वीर का तीसरा पहलू मैदान में दिखाई दे रहा है। राहुल गांधी के साथ कदमताल करने, उनके साथ विभिन्न मुद्राओं की तस्वीरों से सोशल मीडिया भरा पड़ा है। अपने-अपने तरीकों से प्रतिक्रियाएं दी जा रही हैं। इन तस्वीरों, सुखद अनुभव बताती पोस्ट को देख तो यही लगता है कि यात्रा उतनी चमक हासिल करती जा रही हैं, जितनी उसे अंधेरे में रखने की कोशिशें की जा रही हैं।
इमरती देवी बीजेपी के किस मंत्री को कह रही है ‘लुटेरा’
ग्वालियर बीजेपी की हांडी में एक अलग ही खिचड़ी पक रही है। एक तरफ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्री हैं तो दूसरी तरफ अन्य मंत्री। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच ग्वालिया संगठन में वर्चस्व को लेकर संघर्ष जारी है वहीं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के क्षेत्र में सिंधिया समर्थक मंत्री दर्जा प्राप्त नेत्री इमरती देवी खासी सक्रिय है।
इमरती देवी लगातार गृहमंत्री मिश्रा को चुनौती दे रही है। पहले जनपद चुनाव में बीजेपी से अलग अपने समर्थकों को उतारा और जितवा कर इमरती देवी ने गृहमंत्री मिश्रा को शिकस्त दी अब वे टीआई की नियुक्ति के बहाने निशाना साध रही हैं। डबरा सहित ग्वालियर जिले में हो रही वारदतों को लेकर पूर्व मंत्री इमरती देवी ने गंभीर आरोप लगाए हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में वे कहते दिखाई दे रही हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तो हर जगह जा कर रहकर अपराध नहीं रोकेंगे। वे तो अपराधों को रोक रहे हैं। इंदौर में एक टीआई पर कार्रवाई भी की है। डबरा टीआई खुद लूट करवा रहे हैं। सीएम सख्त है लेकिन कुछ नेता हैं जो लुटेरों को बैठा रहे हैं और लूट करवा रहे हैं।
वायरल वीडियो में इमरती देवी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का तो बचाव किया है, लेकिन स्थानीय बड़े नेताओं पर निशाना भी साधा है। माना जा रहा है कि उनका निशाना गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा है क्योंकि टीआई तो उनके ही विभाग से सम्बद्ध है। गौरतलब है कि पिछले दिनों डबरा में एक व्यापारी से 35 लाख की लूट हो गई थी और लूट करने वाले लुटेरे अभी भी पुलिस की पकड़ से बाहर है। इसी तरह डबरा में ही एक जैन समाज के व्यापारी के गोदाम से माल चोरी चला गया है।
इमरती देवी के मुताबिक व्यापारी ने स्वयं चोरों का पता लगा लिया और एक को पकड़ लिया। लेकिन पुलिस हाथ पर हाथ रखे हुए बैठी है। पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। इमरती देवी के मुताबिक बदमाशों को पुलिस व कुछ नेताओं ने संरक्षण दे रखा है। व्यापारी का माल वापस आ जाने दो, इसके बाद वे सभी बदमाशों के नाम का खुलासा कर देंगी। मामला अपराध से जुड़ा है लेकिन इमरती देवी के पार्टी में अपने विरोधी पर हमले जारी हैं। यह सक्रियता ग्वालियर बीजेपी में चर्चा का सबब बनी हुई है।
सलूजा न घर के न घाट के, कांग्रेस का भी कम नुकसान नहीं
अंतत: वही हुआ जिसका कई महीनों से जिसका चर्चा था। जब अंदरूनी राजनीति के चलते कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने नई कार्यकारिणी का गठन करते हुए अपने मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा को पद से हटा दिया था तो चर्चा चल पड़ी थी कि सलूजा बीजेपी में चले जाएंगे। तब तो वे बीजेपी में गए नहीं और कमलनाथ के साथ चर्चा के बाद अपनी जिम्मेदारी पर लौट आए थे। मगर इसबार सलूजा ने बीजेपी का दामन थाम लिया, इधर कांग्रेस ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से बाहर भी कर दिया। इसतरह कांग्रेस के एक बेहद सक्रिय प्रवक्ता अब बीजेपी के साथ हो गए।
मीडिया में नरेंद्र सलूजा की सौम्य और मिलनसार छवि है। वे तत्परता से सोशल मीडिया कमेंट करने में एक्सपर्ट हैं। अपने वन लाइनर से वे कमलनाथ की तरफ से बीजेपी पर पैने हमले करते रहे हैं। उनकी इस प्रतिभा को देख कर स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सहित अन्य बीजेपी नेता पहले उन्हें बीजेपी में आने का प्रस्ताव दे चुके हैं। इस बार कथित अपमान के बाद सलूजा अंतत: बीजेपी में शामिल हो गए हैं। वे ऐसे समय बीजेपी में गए हैं जब इंदौर में गुरुद्वारे में कमलनाथ को लेकर दिया गया बयान चर्चित हुआ और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा प्रदेश में पहुंची है।
पार्टी बदलते ही सलूजा ने अपने पूर्व आका कमलनाथ के खिलाफ ही ट्वीट हमले शुरू कर दिया। मीडियाकर्मियों के लिए सलूजा की यह भूमिका थोड़ी अचरज वाली है। जिन पर वे अब तक हमले करते रहे हैं, अब वे उन्हीं की प्रशस्ति पढ़ रहे हैं और जिनका गुणगान करते रहे हैं, अब उनके नुक्स निकाल रहे हैं। प्रवक्ताओं से भरी पड़ी बीजेपी में सलूजा की बयानबाजी एक आतिशबाजी की तरह है। अभी तय नहीं हुआ है कि उन्हें क्या जिम्मेदारी दी जाएगी। भारत जोड़ो यात्रा समाप्त होने के बाद राजनीतिक उफान जब शांत होता तब पता चलेगा कि सलूजा को आखिर क्या दायित्व दिया जाएगा।
अब तक बीजेपी में गए सभी नेताओं को मनमाफिक पद नहीं मिले हैं। सलूजा को कार्य करने की कांग्रेस जैसी आजादी मिलेगी या नहीं यह भी देखना होगा। इस पर भी निगाहें टिकी हैं कि वे किसी खेमे में शामिल होते हैं। विश्लेषण तो यह भी है कि वे भी पार्टी छोड़ कर गए अन्य नेताओं की तरह न घर के रहेंगे न घाट के।
दूसरी तरफ, नुकसान तो कांग्रेस का भी हुआ है। कांग्रेस में अभी प्रवक्ता या तो बहुत वरिष्ठ हैं या युवा। सलूजा अपने व्यवहार के कारण पत्रकारों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। जिस गति से वे बीजेपी व बीजेपी नेताओं पर हमले किया करते थे वह गति पाना कांग्रेस के लिए चुनौती होगी। ऐसी स्थिति में यह भी दिलचस्प होगा कि सलूजा नई पार्टी में पहले सफलता पाते हैं या कांग्रेस उनकी कमी से उबर जाती है।
भ्रष्टाचार की शिकायत मांगी तो सीएम के सामने लगा अंबार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बात पर तुरंत प्रतिक्रिया होती है। इसबार भी ऐसा हुआ लेकिन इस बार प्रतिक्रियाओं से सरकार की पोल खुलती गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया भ्रष्टाचार कोढ़ है इसे पूरी तरह से समाप्त करना है। अगर कोई गड़बड़ कर रहा है तो उसकी जानकारी तत्काल मुझे दें। ऐसे लोगों को मैं किसी कीमत पर नहीं छोड़ूंगा।
बस मुख्यमंत्री का इतना कहना था कि जवाब में लोग शिकायतों का पिटारा खोल कर बैठ गए। निर्मल झारिया ने तो मुख्यमंत्री की सभा का वीडियो टैग करते हुए सीईओ के आचरण की शिकायत की। पीयूष पांडे ने रीवा में गौशाला निर्माण में घोटाले तथा शिकायत की सुनवाई नहीं होने का मुद्दा उठा दिया। श्योपुर निवासी अकरम खान ने सलाह दी कि मुख्यमंत्री महोदय भ्रष्टाचार को हटाना है तो सीएम हेल्पलाइन 181 की शिकायतों का समीक्षा कीजिए। 181 की समीक्षा करना तो आप भूल ही गए है। सब विभागों की समीक्षा हो रही है सीएम हेल्पलाइन की समीक्षा कब होगी? पोर्टल पर लाखों शिकायत है पेंडिंग है जिनको अधिकारी फोर्स क्लोज कर देते हैं। आम जनता की ऐसी ही शिकायतों का ट्वीटर पर अंबार लगा हुआ है।