MP में खाद की किल्लत से जूझ रहे हैं किसान, गुना में रातभर लाइन में लगने के बावजूद नहीं मिला टोकन
किसानों ने कहा कि हमें यहां लाइन में खड़ा कर दिया गया है और दूसरी तरफ खाद ब्लैक किया जा रहा है। ट्रक भेजे जा रहे हैं, लेकिन हमारे लिए कोई व्यवस्था नहीं है।

गुना। मध्य प्रदेश में खाद संकट गहराता जा रहा है। प्रदेश में खरीफ की बुवाई शुरू होने से पहले ही बड़े पैमाने पर खाद की किल्लत उत्पन्न हो गई है, जिसके कारण अन्नदाता किसान परेशान है। प्रदेश में बड़े स्तर पर खाद की कालाबाजारी की भी शिकायतें हैं। लेकिन सरकार न तो खाद दिलाने को लेकर गंभीर है न ही कालाबाजारी करने वालों पर कार्रवाई हो रही है।
गुना जिले में मंगलवार से शुरू हुए DAP खाद वितरण की व्यवस्था पहले ही दिन लड़खड़ा गई। इस दौरान किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। कई किसान सोमवार रात 7 बजे से ही केंद्रों पर लाइन में लग गए थे। बावजूद इसके, टोकन नहीं मिले, और खाद भी नहीं बांटी गई। धमनार गांव के नरेंद्र सिंह ने मीडिया से कहा कि किसानों को यहां लाइन में खड़ा कर दिया गया है और दूसरी तरफ खाद ब्लैक किया जा रहा है। ट्रक भेजे जा रहे हैं, लेकिन हमारे लिए कोई व्यवस्था नहीं है।
महिलाओं ने बताया कि पहले उन्हें पुरुषों के साथ ही लाइन में लगाया गया था। फिर दो बार उनकी लाइन की जगह बदली गई। एक महिला बोली ने कहा कि बिना चाय-नाश्ता किए घंटों से लाइन में खड़े हैं। अब तक खाद नहीं मिला और पैरों में दर्द भी हो गया है। बताया जा रहा है कि रविवार को जिले में 2572 मीट्रिक टन DAP खाद की रैक पहुंची थी। इसे वितरण केंद्रों, सोसाइटियों और प्राइवेट विक्रेताओं को भेजा गया।
सोमवार को खाद वितरण की गाइडलाइन भी जारी की गई थी, जिसमें तय किया गया था कि, सुबह 7 बजे टोकन बांटे जाएंगे। सुबह 9 बजे से खाद वितरण होगा। एक परिवार को 5 कट्टे DAP मिलेगा। लेकिन किसानों का कहना है कि ना टोकन दिए गए और ना ही समय पर वितरण हुआ। प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष जयवर्धन सिंह ने खाद किल्लत को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है।
सिंह ने सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, 'यह खाद वितरण है या किसानों का अपमान? सुबह 4 बजे से किसान लाइन में हैं। न पानी है, न छाया। सरकार कह रही है खाद भरपूर है, तो फिर ये लाइनें क्यों? ये ‘टोकन वितरण’ नहीं, किसानों की परीक्षा है। ये उनकी सहनशीलता का उपहास है। क्या यही है ‘डबल इंजन’ की कार्यशैली? किसानों को अब भाषण नहीं, समाधान चाहिए।