जी भाईसाहब जी: हेमंत ऋतु में मोहन की तान और वनवास पर कैलाश 

MP Politics: बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष तो बाल-बाल बचे लेकिन इंदौर जिलाध्‍यक्ष की किरकिरी... बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी घोषित होने पर कोई विवाद ने होने से सुकून महसूस किया जा रहा था लेकिन इंदौर में हुए प्रदर्शन ने विरोध के लिए दरवाजे खोल दिए हैं।

Updated: Oct 29, 2025, 07:11 AM IST

गौरव रणदिवे को मिठाई खिलाते हुए कैलाश विजयवर्गीय
गौरव रणदिवे को मिठाई खिलाते हुए कैलाश विजयवर्गीय

एमपी बीजेपी में यह कार्यकारिणी घोषित करने का समय है। पहले प्रदेश अध्‍यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने 29 सदस्‍यीय लेकिन छोटी कार्यकारिणी घोषित की। पद पाने को उत्‍सुक अनेक नेता इस कार्यकारिणी में शामिल नहीं हैं। पार्टी की ताकत देख ऐसे नेता अपने न होने पर खुल कर विरोध भी नहीं कर पाए लेकिन ज्‍यों ही इंदौर की जिला कार्यकारिणी घोषित की गई, विरोध की चुप्‍पी मुखर प्रदर्शन में बदल गई। जीतू जिराती और खाती समाज के पवन चौधरी के समर्थक विरोध दर्ज कराने बीजेपी ऑफिस पहुंच गए। नाराज समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की और जिलाध्‍यक्ष सुमित मिश्रा मुर्दाबाद के नारे भी लगाए।

बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी घोषित होने पर कोई विवाद ने होने से सुकून महसूस किया जा रहा था लेकिन इंदौर में हुए प्रदर्शन ने विरोध के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। यह विरोध इसलिए भी मायने रखता है क्‍योंकि बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने अपनी कार्यकारिणी में सबसे ज्‍यादा 4 पदाधिकारी इंदौर से लिए हैं। इंदौर भाई कैलाश विजयवर्गीय की कर्मभूमि है और मुख्‍यमंत्री मोहन यादव के प्रभार का जिला है। प्रकृति में यह हेमंत ऋतु का काल है और बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष हेमंत की ऋतु यान कार्यकारिणी में सीएम डॉ. मोहन यादव की राजनीतिक तान तो साफ-साफ सुनाई दे रही है, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के राजनीतिक असर वनवास पर भेज देना भी दिखाई दे रहा है। 

पद संभालने के 3 महीने 21 दिन बाद घोषित खंडेलवाल की टीम में 9 उपाध्यक्ष 3 महामंत्री और 9 मंत्री बनाए गए हैं। उन्‍होंने एक-एक पद खाली छोड़ा है। इसके साथ ही किसान मोर्चा, अनुसूचित जाति, अनसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग मोर्चा के अध्यक्षों की घोषणा भी कर दी गई है। यूं तो प्रदेश अध्‍यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने अपनी टीम गढ़ते समय संगठनात्मक संतुलन, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और जातिगत समीकरण का पूरा ध्‍यान रखा है। लेकिन इसने इंदौर के राजनीतिक समीकरणों को नई दिशा दी है। 

चारों पदाधिकारियों में सबसे ज्‍यादा चौंकाने वाला रहा पूर्व जिलाध्‍यक्ष गौरव रणदिवे का महामंत्री बनना। उन्‍हें महामंत्री बनाए जाने पर खबरें वायरल हुई कि मंत्री के विरोध के बाद भी गौरव महामंत्री बन गए। इन खबरों पर नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सार्वजनिक रूप से गौरव रणदिवे को अपना समर्थक बताते हुए कहा कि, मैं जो पौधा लगता हूं उसे कभी काटता नहीं हूं। मुझे 8 दिन पहले मालूम था डॉ. निशांत खरे महामंत्री बनने वाले हैं, गौरव रणदिवे उपाध्यक्ष बनने वाले हैं। फर्क सिर्फ इतना रहा कि गौरव रणदिवे महामंत्री बनाए गए और निशांत खरे उपाध्यक्ष बन गए। 

कार्यकर्ताओं के बीच कैलाश विजयवर्गीय ने यह जताने की कोशिश की है कि वे संगठन पर अब भी पकड़ रखते हैं लेकिन गौरव रणदिवे को अपना लगाया पौधा बताने पर चटखारे लेते हुए कानाफूसी हुई कि आखिर कैलाश विजयवर्गीय ने कब गौरव रणदिवे को मजबूत किया था। विश्‍लेषक मानते हैं कि हेमंत खंडेलवाल की टीम में सीएम डॉ. मोहन यादव की पसंद का ख्‍याल रखते हुए भाई यानी कैलाश विजयवर्गीय साइडलाइन कर दिए गए। गौरव रणदिवे जहां कैलाश विजयवर्गीय की पसंद नहीं माने जाते हैं वहीं अब विधायक मालिनी गौड़ के पुत्र एकलव्य गौड़, सावन सोनकर भी गौरव रणदिवे के साथ हैं। इस तिकड़ी को मुख्‍यमंत्री का समर्थन है औ ताई सुमित्रा महाजन तथा कैलाश विजयवर्गीय से दूरी रखने वाले देपालपुर विधायक मनोज पटेल जैसे नेताओं का भी साथ मिल रहा है। यानी, मुख्‍यमंत्री के प्रभार वाले जिले में नए राजनीतिक समीकरण भाई की राजनीति को किनारे कर रही है। 

इधर, बीजेपी की नेता की पिटाई में शिवराज की घेराबंदी

इंदौर में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय समर्थकों को कार्यकारिणी में जगह नहीं मिली तो विदिश में संघ-बीजेपी नेताओं की राजनीति सड़क पर मारपीट तक पहुंच गई। बीजेपी के बुजुर्ग नेता विमल तारण अपने दो पहिया वाहन से जा रहे थे। रास्ते में रोककर एक गुंडे ने उन्‍हें थप्‍पड़ मारे। उम्रदराज नेता विमल तारण अचानक हुए हमले का विरोध भी नहीं कर पाए। इस पिटाई का वीडियो बना कर वायरल किया गया। जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, विदिशा बीजेपी की राजनीति भी चरम पर पहुंच गई। नाराज कार्यकर्ताओं ने न केवल शहर बंद का आयोजन किया बल्कि आरोप लगाए गए कि इस घटना के पीछे बीजेपी के ही स्‍थानीय विधायक मुकेश टंडन के साथ एक और बीजेपी नेता पर मारपीट की साजिश रचने का आरोप लगाया। 

भाजपा नेता विमल तारण ने मीडिया से कहा कि "मैं शहर की समस्याओं को लेकर सोशल मीडिया पर आवाज उठाता हूं। मेरी बीजेपी नेता श्याम सुंदर शर्मा से बहस हुई थी। उन्होंने मुझे देख लेने की धमकी दी थी। इसके बाद एक व्यक्ति ने मुझे चांटे मारे। उसने कहा मैं विधायक का आदमी हूं।" विमल तारण की पत्नी ने कहा "अगर मेरे पति को कुछ हो जाता है तो कौन जिम्मेदार होगा?"

बीजेपी नेता श्‍याम सुंदर शर्मा के पक्ष में भी कुछ नेताओं ने सोशल मीडिया पर पोस्‍ट की है कि वे तो बीमार है और राजनीति में सक्रिय नहीं हैं। इस घमासान में सबसे ज्‍यादा घिरे केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान। विधायक मुकेश टंडन को केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का ही समर्थक माना जाता है। बीजेपी नेता विमल तारण ने खुल कर कहा है कि वे सोशल मीडिया पर समस्‍याओं पर पोस्‍ट कर रहे थे। इसलिए उन पर हमला हुआ। इस घटना के बाद वायरल हुए वीडियो में शिवराज सिंह चौहान से सहायता मांग रही विमल तारण की पत्‍नी काफी आक्रोशित दिखाई दे रही है। 

पुलिस ने आरोपी बदमाश को पकड़ कर उसका जुलूस भी निकाल दिया है। कुछ और लोगों से साजिश करने के आरोप में पूछताछ की जा रही है लेकिन मामला ठंडा नहीं पड़ा है। मांग की जा रही है कि इस घटना के साजिशकर्ता राजनेताओं का भी खुलासा होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान से सवाल पूछे जा रहे हैं। उन्‍होंने घटना पर दु:ख भी जताया है लेकिन जिन नेताओं पर आरोप है वे उनके समर्थक हैं और उन्‍हें शिवराज का प्रश्रय है। अब शिवराज की घेराबंदी की जा रही हैं ताकि वे अपने ही समर्थकों पर कार्रवाई करने को मजबूर हों। यदि वे कार्रवाई नहीं करते हैं तो राजनीतिक रूप से नुकसान तो पहुंचेगा ही। 

क्‍या संजय पाठक को पसंद नहीं आ रही सीएम मोहन यादव की सफलता 

2023 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद कांग्रेस से बीजेपी में आए पूंजीपति विधायक संजय पाठक को मंत्री नहीं बनाया गया है। मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्‍हें मंत्री तो बनाया नहीं प्रदेश सरकार ने अवैध खनन के आरोप में करोड़ों का जुर्माना भी लगा दिया। अब सवाल उठ रहा है कि क्‍या कटनी के बीजेपी विधायक संजय पाठक को मुख्‍यमंत्री डॉ. मोहन यादव की रिजनल इंस्‍वेटर्स समिट की सफलता पसंद नहीं आ रही है? 

यह सवाल निवेश में रू‍चि दिखाने वाले निसर्ग इस्पात कंपनी के मालिक महेंद्र गोयनका ने उठाया है। महेंद्र गोयनका का कहना है कि बीते कुछ दिनों से लगातार मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है। इसका एक उदाहरण यह भी है कि मेरे घुघरा जबलपुर स्थित कृषि जमीन जहां मैं पिछले तीन वर्ष से गया भी नहीं हूं। वहां अपने गुर्गों से मरे हुए जंगली सूअर को जमीन पर दफना कराने के बाद, कभी मरा हुआ तेंदुआ फिंकवाकर मुझे झूठे प्रकरण में फंसाने का प्रयास पूर्व मंत्री व विधायक के द्वारा किया जा रहा है।

महेंद्र गोयनका ने मुख्यमंत्री के नाम एक पत्र लिखकर मांग की है कि मामले की सीबीआई जांच होना चाहिए। उनका तर्क है कि हाल ही में कटनी इन्वेस्टर्स मीट हुई थी। उसकी सफलता से भाजपा विधायक संजय पाठक घबराए हुए हैं। वह नहीं चाहते कि कटनी, जबलपुर में उनके अलावा कोई और बड़ा निवेशक आए। यही कारण है कि मेरे और मेरी कंपनी को झूठे केस में फंसा कर निवेशकों को डराया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विधायक संजय पाठक भय एवं भ्रष्टाचार का दूसरा नाम बन चुके हैं। जो लोगों को सत्ता और पावर से डराने का काम करते हैं। संजय पाठक अपनी ही सरकार में संकटों से घिरे हुए हैं। अब उनपर नए तरह का आरोप लगा है। मुख्‍यमंत्री की मंशा और योजना को विफल करने का आरोप। विधायक संजय पाठक की ओर से इस आरोप का जवाब नहीं आया है। 

जब तक महापौर हूं, आयुक्‍त की मर्जी चलने नहीं दूंगा... 

इंदौर बीजेपी में ताजा घमासान के बीच एक खबर यह भी है कि महापौर पुष्‍यमित्र भार्गव का एक बार फिर निगम आयुक्‍त दिलीप कुमार यादव से विवाद हो गया है। दिलीप कुमार यादव चौथे आयुक्‍त हैं जिनके साथ बीजेपी के महापौर पुष्‍यमित्र भार्गव का विवाद हुआ है। इस विवाद की जड़ नगर निगम द्वारा वार्ड 74 में शुरू किया गया संपत्ति सर्वेक्षण अभियान है। निगम के इस अभियान पर बीजेपी के ही पार्षदों ने आपत्ति जताई है। निगम अमले और बीजेपी पार्षदों में तीखी झड़प हुई और एक–दूसरे पर एफआईआर दर्ज करवाने की नौबत आ गई। 

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने निगम की कार्रवाई पर कहा कि “संपत्ति का मूल्यांकन जरूरी है, लेकिन इसे सही तरीके और सूचना देकर होना चाहिए। बिना बताए मकानों की नपती करना अराजकता है,जिसे मैं महापौर रहते बर्दाश्त नहीं करूंगा।” जबि‍क निगमायुक्त दिलीप कुमार यादव का कहना है कि राजस्व संग्रहण शहर के विकास के लिए जरूरी है। सबकुछ महापौर पुष्‍यमित्र भार्गव की जानकारी में था। 

महापौर और निगमायुक्‍त में टकराव का यह पहला मामला नहीं है। इसके पहले के तीन निगम आयुक्‍तों के साथ असहमतियां हो चुकी हैं। लेकिन इसबार मामला थाने और एफआईआर तक पहुंच गया। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के दखल के बाद सर्वे तो रूक गया लेकिन अफसरों के व्‍यवहार और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी का मामला गर्मा गया है। अफसरों के जरिए नेताओं पर लगाम लगाना राजनीति का पुराना तरीका है और इंदौर में यह आरोप ताजा हो गया है कि नेताओं की प्रशासन द्वारा अनदेखी करवा कर उनकी राजनीतिक जमीन खिसकाने का प्रयास किया जा रहा है।