Guru Purnima 2020: गुरु की वंदना का दिन

गुरु वेद व्यास का जन्म दिन, ऋषि मुनियों ने गुरु पूजा करने की परंपरा आरंभ की

Publish: Jul 06, 2020, 12:36 AM IST

आज व्यास पूर्णिमा है, जिसे गुरू पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है, मान्यता है कि आज ही के दिन वेद व्यास का जन्म इस दिन हुआ था। जिन्होंने 18 पुराण और महाभारत की रचना की थी। कहा जाता है कि महर्षि वेद व्यास ने सबसे पहले भागवत पुराण की कथा ऋषि मुनियों को सुनाई थी। तभी से ऋषि – मुनियों ने गुरु की पूजा करने की परंपरा की शुरुआत की। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूजन का विशेष विधान है।

गुरू पूजन के लिए नहीं होती मुहूर्त की जरूरत

विधि पूर्वक गुरू की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में नया सवेरा होता है। मनुष्य के जीवन का मार्ग भी प्रशस्त होता है। आषाढ़ी पूर्णिमा को दिन के किसी समय गुरु की पूजा की जा सकती है। आज के दिन दान पुण्य करने का विशेष विधान है। व्यक्ति अपनी क्षमता अनुसार दान-पुण्य जरूर कर सकता है

मात,पिता और गुरू हैं एक समान

पंडित मंगल प्रसाद गौतम का कहना है कि उपनिषद् में मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, गुरुदेवो भव कहकर गुरु का महत्त्व माता-पिता के तुल्य बताया है। प्राचीन समय में आध्यात्मिक और लौकिक ज्ञान पाने के लिए छात्रों को गुरुकुल भेजने की परम्परा थी। अब वक्त बदल गया है वहीं यह परम्परा समाप्त हो गई है। लेकिन आज भी गुरु की महत्व उतना ही है जितना पहले हुआ करता था।

बल, बुद्धि और ज्ञान प्रदान करते हैं गुरू

गुरु व्यास से बल, बुद्धि और विद्या की कामना का विधान है। यह दिन विद्यार्थियों के लिए विशेष महत्व रखता है। गुरु पूर्णिमा के मौके पर देवी-देवताओं को प्रणाम करना चाहिए। इसके बाद विधि विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इसके बाद पूजा स्थल पर रखें अपने गुरु की तस्वीर को माला फूल अर्पित कर उनका तिलक करना चाहिए। धूप दीप से गुरु मन्त्रों द्वारा गुरु की पूजा करनी चाहिए। पूजा करने के बाद यदि संभव हो तो अपने गुरु के घर जाकर उनकी पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।