स्कूल न बने मौत का घर, कैसे शिक्षक, कैसी शिक्षा

– अमिताभ पाण्डेय – स्कूलों को बच्चों के लिए ज्ञान और मनोरजंन का केन्द्र माना जाता है। स्कूल पहले शिक्षा,अध्ययन,अध्यापन का ही प्रतीक हुआ करते थे। अब भी ज्यादातर स्कूल अपनी बेहतर श्शेैक्षणिक गतिविधियों के लिए जाने पहचाने जाते हैं। कुछ स्कूल ऐसे हैं जहॅा जाने के नाम से बच्चे भयभीत हो जाते हैं। ऐसे […]

Publish: Jan 18, 2019, 12:34 AM IST

स्कूल न बने मौत का घर, कैसे शिक्षक, कैसी शिक्षा
स्कूल न बने मौत का घर, कैसे शिक्षक, कैसी शिक्षा
strong - अमिताभ पाण्डेय - /strong p style= text-align: justify स्कूलों को बच्चों के लिए ज्ञान और मनोरजंन का केन्द्र माना जाता है। स्कूल पहले शिक्षा अध्ययन अध्यापन का ही प्रतीक हुआ करते थे। अब भी ज्यादातर स्कूल अपनी बेहतर श्शेैक्षणिक गतिविधियों के लिए जाने पहचाने जाते हैं। कुछ स्कूल ऐसे हैं जहॅा जाने के नाम से बच्चे भयभीत हो जाते हैं। ऐसे स्कूल पढने-पढाने की बजाय बच्चों के साथ मारपीट के लिए ज्यादा चर्चा में रहते हैं। अनेक स्कूलों में शिक्षकों का मानसिक तनाव बेवजह का गुस्सा बच्चों पर मारपीट के रूप में सामने आता है। अभिभावकों ने जिन शिक्षकों के भरासे अपने बच्चे को शिक्षित संस्कारित बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है उनमें से कई शिक्षक बच्चों के साथ ऐसा अनुचित व्यवहार करते हैं कि बच्चे के मन में स्कूल के नाम से डर बैठ जाता है। एक बच्चे को पिटते देखकर दूसरे बच्चे भी शिक्षक से कई दिनों तक डरते सहमते रहते हैं । मारपीट के चलते कई स्कूलों में बच्चे जाना ही नहीं चाहते और स्कूल न जाने के नये नये बहाने खोजने लगते हैं। ऐसे स्कूलों में शिक्षक बच्चों को शिक्षा देने की बजाय मारपीट ज्यादा करते हैं। /p p style= text-align: justify यहॅा यह बताना जरूरी होगा कि बच्चों के साथ मारपीट गाॅव से लेकर नगर-महानगर तक के स्कूलों में हो रही है। मारपीट के मामलें निजी और सरकारी दोनों ही तरह के स्कूलों में लगातार सामने आ रहे हैं। हाल ही में भोपाल के भोैरीं क्षेत्र में स्थित केैम्पियन स्कूल में के जी 2 के छात्र को शिक्षक ने ऐसा पीटा कि मारपीट के निशान बच्चे के श्शरीर पर साफ नजर आ रहे थें। मारपीट से डरा सहमा बच्चा बडी मुश्किल से अपने परिवारजनों को पिटाई के बारे में बताने को तैयार हुआ । उसका कहना था कि मैनें किसी को बताया तो टीचर फिर मारेगी। यह बच्चा स्कूल जाने के नाम से ही डरने लगा है। /p p style= text-align: justify शिक्षकों के मारपीट की बात यही खत्म नहीं होती । हाल ही में एक ऐसी घटना भी सामने आई है जिसमें शिक्षक ने बच्चे को ऐसा मारा कि वह दीवार से जा टकराया और गंभीर रूप से घायल हो गया । अस्पताल में उपचार के दौरान बच्चे की मौत हो गई । यह घटना आंध्रप्रदेश से अलग होकर बनाये गये नये राज्य तेलंगाना की है। तेलंगाना राज्य के नालगौडा जिले के अन्तर्गत तिरूमलागिरी नामक गांव में एक निजी स्कूल में पढने वाले पहली कक्षा के छात्र चन्दू की मौत शिक्षक के गुस्से और मारपीट के कारण हो गई । अधिकृत जानकारी के अनुसार तेलगू भाषा बोलने वाला चन्दू शिक्षक से अंग्रेजी में बात नहीं कर पा रहा था। शिक्षक के पढाने के बाद भी इस बालक को अंग्रेजी समझ में नहीं आ रही थी । अंग्रेजी समझ नहीं पाने के कारण चन्दू शिक्षक के सवाल का जवाब नहीं दे पाया । चन्दू ने अपनी मातृभाषा तेलगू में शिक्षक से कुछ पूछना चाहा । शिक्षक को अंगे्रजी में जवाब न मिलने ओैर तेलगू भाषा में चन्दू को बोलते देखकर ऐसा गुस्सा आया कि उसने चन्दू के साथ मारपीट कर दी । गुस्से में चन्दू को ऐसा मारा कि वह बालक दीवार से जा टकराया गंभीर रूप से घायल होकर घर पहुंचा और अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। /p p style= text-align: justify स्कूल में बच्चों के साथ मारपीट की ये दो घटनाएं बताती हैं कि सभी बच्चों के लिए भयरहित माहौल में शिक्षा अभी सुनिश्चित नहीं हो पाई है। बच्चे डर के साये में पढने पर मजबूर है। मारपीट के कारण कई स्कूल यातनाघर में बदल गये हैं जहॅा बच्चों का ध्यान शिक्षा से ज्यादा पिटने से कैसे बचें ? इस पर ज्यादा रहता है। /p p style= text-align: justify शिक्षक बच्चों के साथ मारपीट न करें इसके लिए कई सारे कानून बने ओर बनते जा रहे हैं । इसके बाद भी कोई कानून सारे बच्चों को पिटाई से नहीं बचा पाया है। बच्चे पूरी रूचि मनोरजंन के साथ शिक्षा ग्रहण करें उनके साथ मारपीट न हो इसका प्रभावी उपाय किया जाना चाहिये। इसके साथ ही यह भी विचार किया जाना चाहिये कि शिक्षक मासूम बच्चों के प्रति ऐसा जानलेवा व्यवहार क्यों कर रहे हैं। शिक्षकों के व्यवहार में बदलाव क्यों आ रहा है। बच्चे उनके तनाव गुस्से का शिकार क्यों बन रहे हैं। /p p style= text-align: justify शिक्षकों और बच्चों के बीच बेहतर शिक्षा के लिए उत्साहवर्धक वातावरण सुनिश्चित किये जाने की जरूरत हैं। शिक्षक स्नेह और सहानूभूति के साथ ही बच्चों के मन में शिक्षा के प्रति रूचि जाग्रत कर सकते हैं । यदि एक बच्चे से मारपीट होती है तो उसका असर स्कूल में पढने वाले दूसरे बच्चों के मन पर भी पडता है। मारपीट बच्चों के मन में डर पैदा करती है जबकि बच्चे स्कूल इसलिये आते हैं ताकि बेहतर शिक्षा प्राप्त करके समाज में निर्भयता और सम्मान के साथ जीवनयापन कर सकें। शिक्षा का उद्देश्य भी बच्चों को निर्भय ज्ञानी सक्षम और समृध्द बनाना है यदि बच्चों से मारपीट होगी तो कौन बच्चा स्कूल में रहना पढना पंसद करेगा ? शिक्षकों से बार बार पिटने के बजाय बच्चे पढना लिखना बंद करना स्कूल जाना बंद करना ही बेहतर समझेगें । पढने योग्य उम्र के अनेक बच्चे जो स्कूल नहीं जा रहे हैं उनके शिक्षा से दूर रहने स्कूल से दूर रहने का एक कारण शिक्षकों की मारपीट तो नहीं है ? इसकी जाॅच कौन करेगा। श्यह भी देखा जाना चाहिये कि गरीब कमजोर वर्ग के बच्चे ही शिक्षकों की मारपीट का ज्यादा शिकार क्यों बनते हैं ? ऐसे मारपीट करने वाले शिक्षकों पर सख्त कार्यवाही कब संभव होगी ? /p