RDVV कुलपति की नियुक्ति अवैध, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री और राज्यपाल को लिखा पत्र

जबलपुर की रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी (RDVV) में कुलपति प्रो. राजेश कुमार वर्मा की नियुक्ति को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शैक्षणिक नैतिकता की हत्या करार दिया है।

Updated: Apr 19, 2025, 07:20 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी (RDVV) के कुलपति प्रो. राजेश कुमार वर्मा की नियुक्ति सवालों के घेरे में है। राज्यसभा सांसद व शिक्षा को लेकर गठित संसदीय समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने इस संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल एवं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पत्र लिखा है। सिंह ने वर्मा की नियुक्ति को लेकर गंभीर अनियमितताओं की ओर इशारा किया है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक यूनिवर्सिटी के कुलपति राजेश कुमार वर्मा की प्राध्यापक के रूप में मूल नियुक्ति पहले ही कानूनी रूप से अमान्य थी। अब कुलपति पद पर पदोन्नति से यह सवाल और भी गंभीर हो गया है, कि अवैध नियुक्ति से शुरू हुआ सफर, नियमों को ताख पर यूनिवर्सिटी के सर्वोच्च पद तक कैसे पहुंचा? जबलपुर NSUI लगातार इस मुद्दे पर हमलावर रही है। मामला विधानसभा तक भी पहुंच चुका है। 

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विगत दिनों एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष अमित मिश्रा ने इस मामले की शिकायत वरिष्ठ सांसद दिग्विजय सिंह को सौंपी है। शिकायत की गंभीरता को देखते हुए दिग्विजय सिंह ने संबंधियों को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की। सिंह की शिकायती पत्र के अनुसार साल 2009 में MPPSC द्वारा जारी विज्ञापन में स्पष्ट रूप से लिखा गया था कि प्रोफेसर पद हेतु वे ही व्यक्ति पात्र होंगे जिनका शोध कार्य उच्च गुणवत्ता का रहा हो। पीएचडी डिग्री और कम से कम दस वर्षों का शिक्षण अनुभव अनिवार्य है। 

हालांकि, प्रो. राजेश कुमार वर्मा ने अपनी पीएचडी डिग्री 25 नवम्बर 2008 को प्राप्त की थी। केवल दो महीने बाद प्रोफेसर पद के लिए आवेदन कर दिया और चयनित हो गए। जबकि तब किसी भी प्रतिष्ठित शोध पत्रिका में उनके शोध पत्र का प्रकाशन नहीं हुआ था। न्यायिक निर्णयों और यूजीसी नियमों के अनुसार, शिक्षण अनुभव की गणना पीएचडी के बाद ही की जाती है। ऐसे में आरोप है कि प्रो वर्मा विज्ञापन की पात्रता को पूरा ही नहीं करते थे।

संसदीय समिति के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने इस नियुक्ति को शैक्षणिक नैतिकता की हत्या करार देते हुए कहा कि अगर प्रो. वर्मा की मूल नियुक्ति ही गैरकानूनी थी, तो फिर उनकी पदोन्नति को भी तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मामला न केवल एक व्यक्ति की नियुक्ति का है, बल्कि पूरी व्यवस्था की पारदर्शिता, निष्पक्षता और योग्य उम्मीदवारों के साथ न्याय का है।

पूर्व सीएम सिंह ने यह भी सवाल उठाया कि क्या मध्य प्रदेश में कुलपति की नियुक्तियां अब पैसे और पहचान की राजनीति का शिकार हो चुकी हैं? उन्होंने मांग की है कि न केवल प्रो. वर्मा की नियुक्ति की न्यायिक जांच कराई जाए, बल्कि राज्य के अन्य विश्वविद्यालयों में हुई सभी कुलपति नियुक्तियों की स्वतंत्र जांच भी आवश्यक है। उन्होंने लिखा है कि यदि शिक्षा में योग्यता नहीं, तो फिर किस क्षेत्र में होगी? यदि विश्वविद्यालयों में भी साजिशें होंगी, तो भविष्य की नींव कौन रखेगा?