खरीदी न होने से तंग किसान, चने में आग लगाने की कोशिश
26 मई फसल खरीदी की अंतिम तारीख, परेशान किसान, रतलाम,राजगढ़, सीहोर सहित कई जगहों पर चक्काजाम

सरकार भले ही रिकार्ड तोड़ खरीदी का दावा कर रही है मगर समर्थन मूल्य केंद्रों पर गेहूं बेचने में किसानों को कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। खरीदी की अंतिम तारीख 26 मई करीब है और फसल न बिकने से किसान बेचैन हैं। यही कारण है कि शनिवार को फसल न बिकने पर राजगढ़ में सड़क पर जाम लगा दिया गया। रतलाम में शुक्रवार को ट्रेक्टर ट्रॉली के साथ गेहूं बेचने के लिए खड़े किसान बारदाना खत्म होने पर बिफर गए। आक्रोशित किसानों ने शुक्रवार सुबह नामली और दोपहर में सेजावता फोरलेन पर जाम लगा दिया। दमोह में चना न खरीदने पर आक्रोशित किसान ने फसल में आग लगाने की कोशिश की।
'हम समवेत' ने अलग-अलग स्थानों पर फसल बेचने के लिए खड़े किसानों से बात कर उनकी समस्याओं को जाना। उन्होंने बताया कि लगभग 1 हफ्ते से उपार्जन केंद्रों पर समय पर तुलाई नहीं हो रही है। अमानक बता कर तो कभी गेहूं चमकीला नहीं होने की बात कह कर तुलाई करने से मना किया जा रहा हैं। आरोप है मंडी कर्मचारियों और व्यापारियों के बीच सांठगांठ है। यही कारण है कि किसान जानबूझकर गेहूं को अमानक बता कर खरीदी नहीं की जा रही है। व्यापारी इसका फायदा उठा कर कम दाम पर गेहूं खरीद रहे हैं। यही कारण है कि हर एक उपार्जन केंद्र पर लंबी लाइनें लगने लगी है।
एक फीसदी से भी कम तिवड़ा फिर भी नहीं खरीदा चना
दमोह के किसान हेमराज पटेल ने बताया कि दमोह के रूचि वेयर हाऊस में सरकारी खरीद हो रही है। वे चार-पांच दिन पहले चने का नमूना लेकर गए थे तब नमूने को स्वीकार कर लिया था। वे ट्रॉली में 25 क्विंटल चना लेकर 22 मई को यहां पहुंचे तो चने में तिवड़ा मिला होने की बात कह कर फसल खरीदी से इंकार कर दिया गया। वे परेशान हो गए। गुस्साए हेमराज पेट्रोल ला कर फसल में आग लगाने को तत्पर हो गए थे। हंगामा होने पर टीआई और अन्य अधिकारी पहुंचे। बाद में उन्हें फसल लेकर घर आना पड़ा। हेमराज ने बताया कि नमूना स्वीकार किया गया था तब ही वे 2 हजार के किराए पर ट्रॉल लेकर चना ले गए थे। यदि नहीं खरीदी करनी थी तो नमूना स्वीकार ही नहीं करना चाहिए था। उनका कहना है कि समर्थन मूल्य 4780 रुपए है मगर मंडी के बाहर चना 37 सौ रुपए प्रति क्विंंटल पर बिक रहा है। हेमराज ने कहा कि सरकारी खरीद नहीं होने पर उन्हें कम दाम पर फसल बेचनी होगी।
फसल खरीदी में देरी पर शनिवार को राजगढ़ में किसानों का सब्र टूट गया। राजगढ़ में पिपलबे के निकट चक्काजाम किया गया। किसान 11-12 मई से फसल बिक्री का टोकन लिए इंतजार कर रहे थे। बिक्री के लिए नंबर आया तब तक एसएमएस निरस्त हो गए। चार-पांच दिनों से लाइन में लगे किसानों को कह दिया कि नंबर खत्म हो गया। फसल नहीं खरीदेंगे। इसबात से नाराज किसान सड़क पर उतर आए। एसडीएम और अन्य अधिकारियों ने पहुंचकर किसानों से बात की।
सब्र चुका,जगह-जगह चक्का जाम
सीहोर में गेहूं खरीदी केंद्र साइलो पर किसानों ने चक्काजाम कर दिया है। साइलो शुक्रवार शाम से बंद है। एक हजार ट्राली में फसल लिए किसान खड़े हैं। खरीदी न होने से नाराज किसानों ने दो घंटे से ज्यादा समय तक सड़क का यातायात रोके रखा। ऐसा ही शुक्रवार को रतलाम में हुआ। रतलाम के पास सेजावता केंद्र पर 2 दिन से लगभग 200 ट्रैक्टर ट्राली आ इकट्ठी हो रही थी। गेहूं की तुलाई नहीं हो रही थी। बारदाना भी खत्म हो गया था। इस बीच नामली स्थित खरीदी केंद्र के किसानों को भी सेजावता जाने को कहा गया। किसान सेजावता में 18 मई से टोकन लेकर खड़े थे। उन्होंने सेजावता जाने से इंकार कर दिया। उन्होंने रतलाम ग्रामीण विधायक दिलीप मकवाना को फोन लगाया लेकिन वहां भी सुनवाई नहीं हुई। इस बात से नाराज किसानों ने ट्रैक्टर ट्रॉलियां सड़क पर खड़ी कर जाम लगा दिया। तहसीलदार और टीआई के आश्वासन पर नामली से किसान ट्रैक्टर ट्रालियां लेकर सेजावता पहुंचे। लेकिन यहां भी बारदान नहीं होने से खरीदी नहीं हुई। तो नामली में चक्काजाम कर दिया गया।
रतलाम के पास शिवपुर गांव में 20 गांव का केंद्र है। यहां पर 21 मई को 500 ट्रैक्टर ट्रालियां इकट्ठी हो गई थी।किसानों ने हंगामा किया तब कलेक्टर रूचिका चौहान और एसपी गौरव तिवारीने मौके पर पहुंच कर केंद्रों की व्यवस्था सुधारने की बात कही थी। मगर समस्या हल नहीं हुई।
किसानों को बेवजह तंग किया जा रहा है
भारतीय किसान संघ के अनिल यादव के अनुसार गेहूं का बंपर उत्पादन हुआ है। सरकार के पास लेने की कोई व्यवस्था नहीं है। प्रदेश में गेहूं की तुलाई समय पर नहीं हो रही है। भंडारण हेतु कट्टे की व्यवस्था नहीं है। तौल कांटें भी पर्याप्त नहीं हैं। गेहूं खरीदी की अंतिम तिथि 26 मई है। इस कारण किसानों में असंतोष का वातावरण बना हुआ है।