सूखे की कगार पर छत्तीसगढ़ के 24 जिले, प्रदेश में औसत से 15 प्रतिशत कम हुई वर्षा
राज्य में एक जून से 31 अगस्त तक हुई केवल 797 मिमी बरसात, धान के खेतों में सूखे की वजह से पड़ीं दरारें, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने जिला कलेक्टरों से 7 दिन में रिपोर्ट की तलब
 
                                        रायपुर। छत्तीसगढ़ के किसानों की जमापूंजी अब खेतों में सूख रही है। फसल सूखने के साथ ही उनकी उम्मीदें भी मुरझा रही हैं। सारी मेहनत पानी के बगैर दम तोड़ती दिख रही है। जिन किसानों ने अपनी जमा पूंजी लगाकर खेतों में धान, कोदो, कुटकी आदि बोये थे, उन्हें क्या पता था कि समय से पहले आई बरसात बीच राह में मुंह मोड़ लेगी। दरअसल प्रदेश के ज्यादातर जिलों में 35-37 प्रतिशत कम पानी बरसा है। जिसकी वजह से किसानों की फसल सूखने की कगार पर है। जिस धान को पनपने के लिए भरपूर पानी की जरूरत होती है, उन धान के खेतों में दरारें उभर आई हैं।
मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में 1 जून से 31 अगस्त तक केवल 797.5 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है। जबकि अब तक राज्य में 933.2 मिलीमीटर बरसात होती रही है। याने औसतन करीब 15 प्रतिशत कम वर्षा हुई है। जून में अच्छी शुरुआत होने के बाद जुलाई से मानसून में ब्रेक लगता चला गया। अनियमित बरसात के कारण कई जिलों में आंकडा औसत तक नहीं पहुंच पाया।
धान का कटोरा कहे जाने वाले प्रदेश के केवल 4 जिले ही ऐसे हैं जिनमें अच्छी बारिश हुई है। सुकमा सबसे टॉप पर है, यहां 1300 मिलीमीटर, सूरजपुर में 990, बेमेतरा में 869.5 और कबीरधाम में 693.2 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। इनके अलावा 24 जिलों में हालात चिंताजनक हैं। कई जिलों में तो जमीन में दरारें देखने को मिल रही हैं। धान के किसानों को अब केवल बांधों से पानी से उम्मीद है कि बांधों से सिंचाई के लिए पानी मिले तो उनकी फसलों को जीवनदान मिल सके।
बालोद 528.2 मिमी, बलोदाबाजार 722.7 मिमी, बलरामपुर 791.8 मिमी, बस्तर 785 मिमी, बेमेतरा 869 मिमी बीजापुर 888.8 मिमी, बिलासपुर 878.4 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। इस तरह पूरे प्रदेश में औसतन 15 प्रतिशत कम बारिश का अनुमान है।
हालात से निपटने के लिए सरकार ने पहले ही घोषणा कर दी है कि जिन किसानों ने अपने खेतों में धान समेत अन्य फसलों की बुआई कर दी है, उन सभी किसानों को 9 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से सरकार की ओर से मदद दी जाएगी। छत्तीसगढ़ सरकार नियमानुसार 33 फीसदी से ज्यादा की खेती खराब होने पर सिंचित भूमि पर 13 हजार 500 और असिंचित भूमि वाले किसानों को मदद के तौर पर 6800 रुपए की मदद देती रही है। अब एक नया ऐलान कर दिया गया है कि प्रति एकड़ 9 हजार की मदद किसानों को मिलेगी।
दूसरी तरफ फसलों को हुए नुकसान का सर्वे भी किया जा रहा है। प्रदेश के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग ने जिला कलेक्टरों से 7 सितम्बर तक रिपोर्ट तलब की है। हालांकि कृषि वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि अगर अगले 8-9 दिनों में मानसून फिर से मेहरबानी दिखा दे तो फसलों को सूखने से बचाया जा सकता है।




 
                             
                                   
                                 
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
         
                                    
                                 
                                     
                                     
                                     
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								