भूपेश बघेल सरकार कराएगी झीरम घाटी नरसंहार की जांच, हाईकोर्ट ने खारिज की NIA की याचिका

झीरम घाटी नरसंहार को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने NIA की अपील को किया खारिज, अब राज्य सरकार कर सकती है इस नरसंहार की जांच

Updated: Mar 02, 2022, 11:00 AM IST

रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बहुचर्चित झीरम घाटी में हुए कांग्रेस नेताओं के नरसंहार को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने एनआईए की अपील को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद झीरम घाटी नरसंहार की जांच राज्य सरकार कर सकती है। उच्च न्यायालय के इसल फैसले को छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार की जीत के तौर पर देखा जा रहा है।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले से केंद्रीय जांच एजेंसी को बड़ा झटका लगा है। जस्टिस आरसीएस सामंत और जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के बहुचर्चित झीरम घाटी हत्याकांड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की अपील को सिरे से खारिज कर दिया। ऐसे में अब राज्य सरकार झीरम घाटी हत्याकांड के राजनीतिक षडयंत्रों की जांच कर सकती है। 

दरअसल, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद झीरम घाटी हत्याकांड में दिवंगत हुए उदय मुदलियार के बेटे जितेंद्र मुदलियार ने दरभा थाने में साल 2020 में हत्या और षडयंत्र का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था। पुलिस में दर्ज इस आपराधिक प्रकरण को एनआईए ने जगदलपुर की विशेष अदालत में चुनौती दी थी और केस को एनआईए को सौंपने की मांग भी की थी, लेकिन विशेष अदालत ने आवेदन को खारिज कर दिया। 

इस फैसले के खिलाफ एनआईए ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। प्रारंभिक सुनवाई के दौरान ही हाईकोर्ट ने इस प्रकरण की जांच पर रोक लगा दी थी, तब से मामले की सुनवाई लंबित थी और राज्य सरकार जांच शुरू नहीं कर पाई थी। बुधवार को डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाते हुए एनआईए की अपील को खारिज कर दिया है, जिसके बाद अब राज्य पुलिस मामले की जांच कर पाएगी।

बता दें कि 25 मई 2013 को सूबे के कद्दावर नेताओं समेत कुल 29 लोगो को नक्सलियों ने अपनी गोलियों का निशाना बनाया था। इस हमले में तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष नंद कुमार पटेल समेत 29 लोग मारे गए थे। उसके ठीक साढ़े पांच साल के बाद सूबे में कांग्रेस की सत्ता वापस आई और इस पूरे मामले की जांच एसआईटी से कराने की घोषणा भूपेश सरकार ने की थी।