गरियाबंद में पंचायत सचिव का तुगलकी फरमान, टैक्स नहीं भरा तो नहीं मिलेगा राशन, ग्रामीणों में आक्रोश
गरियाबंद जिले की मैनपुर खुर्द पंचायत के सचिव ने आदेश दिया कि जो ग्रामीण पंचायत टैक्स नहीं भरेंगे, उन्हें पीडीएस दुकान से राशन नहीं मिलेगा। इस फरमान से ग्रामीणों में आक्रोश है।

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मैनपुर खुर्द ग्राम पंचायत के सचिव ने ऐसा फरमान जारी किया है जिसने गरीब और जरूरतमंद ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है। आदेश के मुताबिक, जो ग्रामीण पंचायत का टैक्स नहीं भरेंगे उन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की दुकान से राशन नहीं दिया जाएगा।
ग्राम पंचायत सचिव बेनूराम पांडे द्वारा जारी किए गए इस लिखित आदेश में मैनपुर सोसायटी के सेल्समैन को निर्देश दिया गया है। इसमें लिखा गया है कि जो लाभार्थी पंचायत टैक्स का भुगतान नहीं कर रहे हैं उन्हें राशन वितरण से वंचित रखा जाए। सचिव ने यहां तक कहा कि जल कर, प्रकाश कर, संपत्ति कर, धंधा कर और अन्य करों की रसीद दिखाने के बाद ही राशन दिया जाए।
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सचिव के इस आदेश से ग्रामीणों के मन में भारी आक्रोश फैल गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह फैसला न केवल गरीबों के अधिकारों का हनन है बल्कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम का सीधा उल्लंघन भी है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर यह आदेश वापस नहीं लिया गया तो वे सामूहिक विरोध करेंगे।
ग्रामीणों ने सचिव बेनूराम पांडे से आदेश को तुरंत रद्द करने की मांग की है। उनका कहना है कि कर वसूली का अधिकार पंचायत के पास है। लेकिन इसके लिए राशन रोकना अनुचित और अमानवीय तरीका है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि सचिव पर कार्रवाई की जाए और गांव में सामान्य रूप से राशन वितरण शुरू कराया जाए। ग्रामीणों का कहना है कि “अगर टैक्स नहीं भरने पर राशन रोक दिया गया, तो हम अपने बच्चों को क्या खिलाएंगे? सरकार को तुरंत इस तुगलकी फरमान पर रोक लगानी चाहिए।”
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जानकारों के अनुसार, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत किसी भी पात्र लाभार्थी को राशन वितरण से वंचित नहीं किया जा सकता है। राशन वितरण का कर वसूली से कोई संबंध नहीं है। सरकारी योजना के तहत गरीब परिवारों को सस्ते दरों पर राशन देना उनका संवैधानिक अधिकार है। मामला सामने आने के बाद स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से इसकी शिकायत की है। उनका कहना है कि यदि सचिव का आदेश लागू रहा तो गांव में अनाज संकट जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। कई परिवारों के सामने भूखमरी का खतरा खड़ा हो जाएगा।