सरकारी खामियों ने किसानों को बनाया आत्मनिर्भर, ट्यूबवेल से जरूरतमंदों के लिए नहर चला दी

मध्यप्रदेश में सूखने के कगार पर थी मूंग की लाखों हेक्टेयर फसल, किसानों ने थामा एक दूसरे का हाथ, ट्यूबवेल वाले किसानों ने नहर में भर दिया पानी, अब निचले हिस्से के किसान भी कर सकेंगे सिंचाई

Updated: May 17, 2021, 04:24 AM IST

Photo Courtesy: Twitter
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हरदा। कोरोना संकट काल में मध्यप्रदेश के हरदा और होशंगाबाद के किसान दोहरी मार झेल रहे हैं। राज्य के इन जिलों में भयंकर जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है और लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में मूंग की फसल सिंचाई के इंतज़ार में खड़ी है। इस बीच सोनखेड़ी के किसानों ने आपसी सहयोग से वो कमाल कर दिखाया है जो असंभव लग रहा था। यहां ट्यूबवेल वाले किसानों ने नीचे के किसानों की फसल बचाने के लिए ट्यूबवेल का पानी नहर में डाल दिया।

दरअसल मध्यप्रदेश के होशंगाबाद और हरदा जिलों में ग्रीष्मकालीन फसल मूँग की व्यापक स्तर पर बुआई की गई है। इन दो जिलों में लगभग 3.25 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मूँग की बुआई हुई है। इस फसल की सिंचाई हेतु किसान मुख्यतः तवा डैम पर निर्भर है। वर्तमान में फसल को 15 दिन सिंचाई की आवश्यकता है, परंतु डैम पूरी तरह से सुख चुका है। नतीजतन लाखों हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसल बर्बादी के कगार पर आ गईं हैं।

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इसी बीच हरदा जिले के सोनखेड़ी के किसानों ने आपसी सहयोग से वह कर दिखाया जो अबतक असंभव लग रहा था। यहां जिन किसानों के खेतों की सिंचाई पूरी हो चुकी थी, उन्होंने अपने ट्यूबवेल से नहर को पानी से भर दिया। इससे निचली क्षेत्र के खेतों तक काफी हद तक पानी पहुंचा और फसल को सूखे के चपेट से कुछ समय के लिए बचाया जा सका। वहीं, राज्य के कई हिस्सों में बारिश होने की भी संभावना है, यदि इंद्रदेव की मेहरबानी रही, तो हजारों किसानों की खून-पसीने की मेहनत बेकार नहीं जाएगी।

राजनीतिक अयोग्यता पर मानवता भारी- सिरोही

किसानों के इस आपसी सहयोग और एकजुटता को लेकर किसान नेता व कृषि विशेषज्ञ केदार शंकर सिरोही ने कहा है की, 'राजनीतिक अयोग्यता पर मानवता भारी है। राज्य सरकार ने उल्टी गंगा (टेल टू हेड) बहाकर किसानों को बर्बाद कर दिया, मगर वहीं दूसरी तरफ कहावत है कि घुटने पेट की तरफ झुकते हैं, इसी कहावत को सोनखेड़ी के किसानों ने चरितार्थ कर दिखाया है।'

क्यों उत्पन्न हुआ जल संकट

कृषि जानकारों का मानना है कि दोनों जिलों में जल संकट राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल की नासमझी की वजह से उत्पन्न हुई है। किसान नेता केदार सिरोही ने बताया कि अमूमन फसल की सिंचाई 'हेड टू टेल' यानी ऊपर से नीचे के खेतों में होती है। लेकिन इस बार कृषि मंत्री ने उल्टी गंगा बहाते हुए 'टेल टू हेड' का नारा दिया और खुद अपने समर्थकों के साथ आकर डैम का गेट खोल गए। कृषि मंत्री की इस नासमझी की वजह से सूखे की स्थिति उत्पन्न हुई।

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हरदा के एक किसान ने बताया कि एक हेक्टेयर क्षेत्र में फसल की बुआई से लेकर कटाई तक करीब 30 हजार रुपए की लागत बैठती है। इस रकम को जोड़ने के लिए उसने लगभग 2,3 जगह से ऋण लेकर रखा है। कुछ ऋण बैंक से उठाया है तो कुछ गांव के ही साहूकारों से। किसान ने बताया कि एक हेक्टेयर में करीब 20 क्विंटल मूंग की पैदावार होती है। यदि पानी नहीं मिला तो सारे फसल सूख जाएंगे और वो कर्ज़ तले दब जाएगा।