पंडित प्रदीप मिश्रा के कुबेरेश्वर धाम में उमड़ रही भारी भीड़, तीन दिन में तीन श्रद्धालुओं की हुई मौत

सोमवार सुबह करीब 6 बजे अचेत हालत में मिलने पर एक महिला को जिला अस्पताल पहुंचाया गया। यहां डॉक्टरों ने उसकी मौत की पुष्टि की। यह तीसरी मौत है।

Updated: Mar 03, 2025, 04:16 PM IST

सीहोर। मध्य प्रदेश के सीहोर स्थित कुबेरेश्वर धाम में पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है। आलम ये है कि भीड़ और अव्यवस्था के कारण पिछले तीन दिन में तीन श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है।

जानकारी के अनुसार सोमवार सुबह करीब 6 बजे अचेत हालत में मिलने पर एक महिला को जिला अस्पताल पहुंचाया गया। यहां डॉक्टरों ने उसकी मौत की पुष्टि की। कोतवाली थाना पुलिस को जानकारी भेजी। महिला का नाम मंजू (55) है। वह कुबेरेश्वर धाम में चल रहे रुद्राक्ष महोत्सव में कथा सुनने गुजरात से आई थी। उसके साथ कौन था और वह गुजरात में कहां की रहने वाली है, इसका पता नहीं चल सका है।

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इससे पहले कुबेरेश्वर धाम में रविवार को 25 वर्षीय गोलू कोष्टा की मौत हुई थी। वह जबलपुर का रहने वाला था। गोलू के रिश्तेदार राहुल कोष्टा ने बताया कि वह अपने चार साथियों के साथ कथा सुनने पहुंचा था। तेज गर्मी के कारण उसे चक्कर आ गया और वह नीचे गिर पड़ा। जिला अस्पताल में डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।

वहीं, शनिवार को कुबेरेश्वर धाम में कानपुर से आए एक श्रद्धालु विजेंद्र स्वरूप ने दम तोड़ दिया था। विजेंद्र तीन महिलाओं संध्या, मीना, मनु और ड्राइवर अनुराग और एक बच्चे के साथ शिव पुराण कथा सुनने सीहोर आए थे। ये लोग ग्राम गुड़ मेला में ठहरे हुए थे। विजेंद्र की हालत अचानक खराब हो गई और शनिवार को उनकी मौत हो गई।

बता दें कि कुबेरेश्वर धाम में कथा स्थल पर भीड़ का प्रबंधन चुनौती बन गया है। अनुमान के मुताबिक यहां प्रतिदिन 10 लाख से अधिक लोग पहुंच रहे हैं। कुबेरेश्वर धाम में सात दिवसीय रुद्राक्ष महोत्सव की शुरुआत 25 फरवरी को हुई थी। सोमवार को इसका समापन है। इसमें शामिल होने के लिए सोमवार को सीएम डॉ. मोहन यादव भी पहुंचे। उन्होंने मंच पर पहुंचकर पंडित प्रदीप मिश्रा से आशीर्वाद लिया। फिर श्रद्धालुओं को संबोधित किया।

मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि कुपोषण महिला बाल विकास विभाग की योजनाओं से नहीं बल्कि गाय पालन से दूर होगा। मेरा मानना है कि शराब की दुकानों की जगह दूध की दुकानें खोली जानी चाहिए। यह दुर्भाग्य की बात है कि शिप्रा नदी बरसाती नदी है और मार्च के महीने में ही सूख जाती है। लेकिन मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि अगला सिंहस्थ जब होगा, तो हम ऐसी व्यवस्था कर रहे हैं कि लोग शिप्रा के पानी में ही स्नान करेंगे।