प्याज़ के आंसू रोने को मजबूर किसान, महाराष्ट्र की मंडियों में 50 पैसे किलो तक गिरा भाव

नाशिक की येवला मंडी में प्याज का न्यूनतम दाम 50 -75 पैसे प्रति किलो हो गया है.. प्याज़ उत्पादक संगठन ने मजबूर किसानों को उनकी लागत की भरपायी के लिए सरकार से मुआवज़े की माँग की है

Updated: May 21, 2022, 02:16 PM IST

photo Courtesy: Live Mint
photo Courtesy: Live Mint

नाशिक। देश में 50 पैसे के सिक्के का चलन भले ही खत्म हो गया हो लेकिन किसानों की किस्मत आज भी 50 पैसे में अटक गयी है। महाराष्ट्र की मंडियों में सौदागरों ने प्याज के भाव 50 पैसे तक गिरा दिए हैं। 20 मई को नाशिक की येवला मंडी में प्याज का न्यूनतम दाम 50 पैसे प्रति किलो हो गया। यही हाल अन्य मंडियों में भी देखने को मिला। सतारा में किसानों को 75 पैसे प्रति किलो प्याज़ बेचनी पड़ी। आलम ये है कि महाराष्ट्र प्याज़ उत्पादक संगठन के अध्यक्ष भारत दिघोले ने किसानों के नुकसान की भरपायी के लिए सरकार से मुआवज़े की मांग की है। कृषि मामलों के एक्सपर्ट देवेंद्र शर्मा ने लिखा है कि इसीलिए किसानों को लागत की न्यूनतम गारंटी देना जरूरी हो गया है। 

यह भी पढ़ें...केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर घटाई एक्साइज ड्यूटी, पेट्रोल साढ़े 9 रुपए और डीजल 7 रुपए सस्ता हुआ

मजबूरी में महाराष्ट्र राज्य प्याज़ उत्पादक संगठन रास्ता रोको आंदोलन कर रहे हैं। फिर भी नैफेड और अन्य संस्थाएं सस्ते प्याज खरीद रही हैं। संगठन के लोगों का आरोप है कि सरकार तो सस्ते प्याज़ पर रोक नहीं लगा रही है लेकिन इसका फायदा आम उपभोक्ता को नहीं मिल रहा है। केवल बड़े व्यापारी खरीदकर अपने गोदाम भर रहे हैं। 

किसानों को कहीं से भी राहत नहीं मिलती देख वे मुफ्त में प्याज़ बांट रहे हैं। महाराष्ट्र की कमोबेश सभी मंडियों में यही हाल है। प्याज़ 50 पैसे से एक रूपये तक के भाव ही चल रहे हैं। प्याज़ उत्पादक संगठन के अध्यक्ष का यह भी आरोप है कि जैसे ही प्याज के भाव चढ़ते हैं सरकार विदेश से प्याज़ इंपोर्ट करने लग जाती है। लेकिन जब गिरते हैं तो उसे कंट्रोल करने की कोई व्यवस्था नहीं है।

कुल मिलाकर इस ुपेक्षा से किसान निराश हैं और महाराषट्र की मंडियों के बाहर किसान मुफ्त में प्याज बांटकर भी घर जा रहे हैं। जो कभी बेहतर मुनाफे की आस में प्याज़ की खेती करने को तत्पर हुए वे मंडी तक अपनी फसल को लाने का खर्चा भी नहीं निकाल पा रहे हैं।