चीज़ खाने से मस्तिष्क विकार रोकने में मिलती है मदद, डिमेंशिया से बचाव का दावा: स्टडी रिपोर्ट

चीज़ सेवन करने से मस्तिष्क विकार का खतरा कम हो जाता है। हाल ही में जापान के शोधकर्ताओं ने अपनी एक स्टडी में पाया है कि चीज़ खाने से मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) या किसी मस्तिष्क विकार का खतरा कम हो सकता है।

Updated: Sep 21, 2023, 05:35 PM IST

Photo Courtesy: harryanddavid.com
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आज कल पनीर और मक्खन के साथ-साथ अब चीज़ का चलन भी बढ़ गया है। बाजार में ऐसी कई डिश मिलती हैं, जिसमें चीज़ इस्तेमाल किया जाता है। कुछ लोग तो एक्स्ट्रा चीज़ के दीवाने हैं। वहीं, घर में बनने वाले खाने-पीने के सामान में भी चीज़ का इस्तेमाल अधिक होने लगा है। लेकिन आप में से बहुत कम लोगों को पता होगा कि चीज़ हमारे दिमाग को भी तेज बनाता है। इसके सेवन करने से मस्तिष्क विकार का खतरा कम हो जाता है। हाल ही में जापान के शोधकर्ताओं ने अपनी एक स्टडी में पाया है कि चीज़ खाने से मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) या किसी मस्तिष्क विकार का खतरा कम हो सकता है। 

न्यूट्रिशन जर्नल के अनुसार इस अध्ययन में डेयरी और मस्तिष्क स्वास्थ्य के बीच संबंध का विश्लेषण किया गया। जिसमें गॉन रिसर्च सेंटर के हंकयुंग किम और उनकी टीम ने टोक्यो में 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के 1,500 से अधिक व्यक्तियों की जीवनशैली और खाने की आदतों की निगरानी की गई। इन प्रतिभागियों से उनकी आहार संबंधी आदतों और समग्र स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ की गई। यह पाया गया कि दस में से आठ प्रतिभागियों ने अपने आहार में चीज़ को शामिल किया, जिसमें प्रसंस्कृत चीज़ से लेकर ब्री, कैमेम्बर्ट और ब्लू मोल्ड चीज़ जैसी किस्में शामिल थीं। इसके बाद पाया गया कि जो लोग नियमित रूप से चीज़ खा रहे है। वो दिमागी तौर पर पूर्ण तरह से स्वस्थ है और खुश हैं। इसके अतिरिक्त, पनीर खाने वालों ने कम बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स), बेहतर रक्तचाप, तेज चलने की गति और अपने आहार में व्यापक विविधता का प्रदर्शन किया।

मनोभ्रंश (डिमेंशिया) क्या है ?

मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत भी कमज़ोर हो जाती है। वे अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। कभी-कभी वे यह भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौनसा साल या महीना चल रहा है। बोलते हुए उन्हें सही शब्द नहीं सूझता। उनका व्यवहार बदला-बदला सा लगता है और व्यक्तित्व में भी फ़र्क आ सकता है। बता दें डिमेंशिया कई प्रकार का होता है, जिसमें अल्जाइमर रोग और पार्किंसंस रोग सबसे आम हैं। वर्तमान में मनोभ्रंश का कोई इलाज नहीं है। हालाँकि दवाएँ इसकी प्रगति को धीमा कर देती हैं, अधिकांश उपचार लक्षण-आधारित होते हैं।