उपवास रखना से बढ़ती है उम्र, कम होता है कैंसर जैसी बीमारी बढ़ने का खतरा: स्टडी
मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर की ओर से नई रिसर्च स्टडी में कहा गया कि, व्रत किस तरह कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है और इससे निपटना आसान है।
व्रत रखने का अद्भुत माहौल, स्वास्थ्य और धार्मिकता के लिए एक महत्वपूर्ण अनुभव होता है, इसे न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी हो सकता है। हाल ही में एक नई रिसर्च स्टडी से खुलासा हुआ है कि, अगर आप एक दिन का उपवास रखते है तो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचें रहेंगे। व्रत किस तरह कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है और इससे निपटना आसान है। इसे रिसर्च में चूहों पर रिसर्च की गई थी जिसमें संकेत सामने आए है।
मेमोरियल स्लोअन केटरिंग कैंसर सेंटर की ओर से नई रिसर्च स्टडी में कहा गया कि, व्रत किस तरह कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है और इससे निपटना आसान है। इसे रिसर्च में चूहों पर रिसर्च की गई थी जिसमें संकेत सामने आए है कि, उपवास में कैंसर के खिलाफ शरीर का नेचुरल डिफेंस सिस्टम मजबूत बनता है, इससे लगता है कि व्रत नेचुरल किलर सेल्स के काम को बढ़ाने में मदद करता है।
वहीं पर ये इम्यून सिस्टम के ऐसे फैक्टर्स हैं, जो कैंसर सेल्स पर अटैक करते हैं। चूहों पर की गई स्टडी पर पता चला कि, लीवर की सेहत और कैंसर के खतरे पर इंटरमिटेंट फास्टिंग का प्रभाव पड़ता है. इंटरमिटेंट फास्टिंग प्रोग्राम फैटी लीवर, लीवर की सूजन और लीवर के कैंसर के रिस्क को कम कर सकता है।
आहार में परिवर्तन
व्रत रखने से आमतौर पर अंडाज़े, मांस, अल्कोहल, तेल और मिठाई का सेवन कम होता है, इससे शरीर में वजन कम होने में मदद मिलती है और संक्रमणों से बचाव में सहायक होती है।
आत्म-निगरानी और शांति
व्रत रखने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, यह मानसिक चिंताओं को कम करके आत्म-निगरानी बढ़ाता है और शांति प्रदान करता है।
रसोईया खाद्य सामग्री
व्रत के दौरान आप विभिन्न प्रकार की रसोईया सामग्री का उपयोग कर सकते हैं जैसे कि सेब, गाजर, मूंगफली, खजूर, आदि जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं।
संगठन और आदर्श
व्रत रखने से स्वास्थ्य बढ़ता है, लेकिन इससे शारीरिक स्वच्छता और अनुशासन को बढ़ाने में भी सहायक होता है, व्रत रखने से आदतें बनती हैं, जो आपको संगठित रखती हैं और जीवन में नियमितता लाती हैं।
आध्यात्मिक एवं सामाजिक संवाद
व्रत रखने से आध्यात्मिक और सामाजिक संवाद में भी वृद्धि होती है, इसके माध्यम से आप अपने परिवार और समुदाय के साथ संवाद में बढ़ते हैं और अपने आप को आत्मनिर्भर महसूस करते हैं।
व्रत रखने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होने के साथ-साथ, यह आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, इससे न केवल आपका जीवन स्वस्थ्य रहता है, बल्कि आप अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी प्रयासरत रहते हैं।